बेसिक शिक्षकों की 'लास्ट कम फर्स्ट आउट' की स्थानांतरण नीति रद, हाई कोर्ट ने समायोजन नीति को मनमाना करार दिया, कहा-यह भेदभावपूर्ण
बेसिक शिक्षकों की 'लास्ट कम फर्स्ट आउट' की स्थानांतरण नीति रद, हाई कोर्ट ने समायोजन नीति को मनमाना करार दिया, कहा-यह भेदभावपूर्ण
🔴 बेसिक शिक्षा विभाग के जूनियर शिक्षकों को बड़ी राहत
🔴 जस्टिस मनीष माथुर ने जून में लाई गई नीति पर दिया फैसला
तबादला नीति के ये अंश किए निरस्त
अदालत ने सभी पक्षों की सुनने के बाद 26 जून 2024 को जारी आदेश के 3, 7, 8 और 9वें बिंदु को निरस्त कर दिया है। आदेश के तीसरे बिंदु में मानकों के अनुसार अधिक शिक्षकों की संख्या वाले विद्यालयों और शिक्षकों की आवश्यकता वाले विद्यालयों को चिह्नित करने, 7वें बिंदु में जूनियर शिक्षकों को अधिक मानते हुए उनके स्थानांतरण की सूची, 8वें बिंदु में विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात को तय करने के तरीके और 9वां बिंदु एक ही विषय के दो अध्यापकों के कार्यरत होने पर जूनियर शिक्षकों का तबादला प्राथमिकता पर करने का प्रावधान था।
लखनऊ : हजारों जूनियर शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात बनाए रखने के लिए जून, 2024 में लाई गई 'लास्ट कम फर्स्ट आउट' की स्थानांतरण नीति को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में सरकार द्वारा जारी 26 जून, 2024 के शासनादेश और बेसिक शिक्षा विभाग के 28 जून, 2024 के सर्कुलर के संबंधित प्रविधानों को मनमाना व भेदभावपूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया है। यह फैसला जस्टिस मनीष माथुर की एकल पीठ ने पुष्कर सिंह चंदेल समेत सैकड़ों जूनियर अध्यापकों की 21 रिट याचिकाओं पर दिया।
याचिकाओं में 26 जून, 2024 के शासनादेश और 28 जून, 2024 के सर्कुलर को चुनौती देते हुए कहा गया था कि उक्त प्रविधान समानता के मौलिक अधिकार के साथ-साथ शिक्षा के अधिकार अधिनियम के भी विरोधाभासी हैं। अलग-अलग याचियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं एचजीएस परिहार, यूएन मिश्रा एवं सुदीप सेठ की सम्मिलित दलील थी कि उक्त प्रविधानों के अनुपालन में जो शिक्षक बाद में किसी प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त होता है, उसका ही तबादला शिक्षक-छात्र अनुपात को बनाए रखने के लिए किया जाता है। कहा गया कि स्थानांतरण के पश्चात ऐसा अध्यापक जब किसी नए प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त किया जाता है तो - वहां भी उसका सेवाकाल सबसे कम होने के कारण, उसे ही स्थानांतरित किया जाता है।
तर्क दिया गया कि इस नीति के तहत जूनियर अध्यापकों का ही स्थानांतरण होता है जबकि जो - वरिष्ठ हैं अथवा पुराने हैं, वे अपने विद्यालय में ही बने रहते हैं। यह नीति अध्यापकों के सर्विस रूल्स के विरुद्ध है। राज्य सरकार की ओर से याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा गया कि याचियों को स्थानांतरण नीति को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है। शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षक-छात्र अनुपात को बनाए रखने के लिए यह स्थानांतरण नीति आवश्यक है।
ऐसे तो हर बार जूनियर शिक्षक का ही होगा स्थानांतरण
कोर्ट ने कहा कि शासनादेश और सर्कुलर में ऐसा कोई भी कारण नहीं दर्शाया गया है, जिसमें उक्त स्थानांतरण नीति में सेवाकाल को आधार बनाए जाने का औचित्य हो। कोर्ट ने कहा कि यदि इस नीति को जारी रखा गया तो हर बार जूनियर अध्यापक स्थानांतरण के द्वारा समायोजित होता रहेगा और सीनियर जहां है, वहीं हमेशा बना रहेगा। ऐसे में स्थानांतरण नीति भेदभावपूर्ण है और संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुरूप नहीं है
हाईकोर्ट ने निरस्त की "बाद में आने वाले का पहले तबादला" नीति
लखनऊ पीठ ने शिक्षकों की याचिका को स्वीकार करते हुए कुछ प्रावधानों को खारिज किया
लखनऊ। राज्य सरकार के शिक्षकों के स्थानांतरण संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने आदेश के कुछ अंशों को निरस्त कर दिया। अदालत ने बाद में सेवा में आने वालों का पहले तबादला के आदेश को भी निरस्त कर दिया। साथ ही विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात के आधार पर शिक्षकों के समायोजन के प्रावधान को भी निरस्त कर दिया।
न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने पुष्कर सिंह चंदेल, राहुल पांडेय, सौरभ शुक्ला, उदय प्रताप सिंह व अन्य शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई के बाद बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अपना फैसला सुनाया। याचिका में शिक्षकों ने बाद में सेवा में आने वाले शिक्षकों का पहले तबादला करने वाले प्रावधान का मुख्यतः विरोध किया।
उनका कहना था इस नीति से जूनियर शिक्षकों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा और उनका स्थानांतरण होता रहेगा जबकि वरिष्ठ शिक्षकों के तबादले की संभावना कम ही रहेगी। इसके अलावा शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात के आधार पर शिक्षकों की तबादला नीति को चुनौती दी गई। उनके अधिवक्ताओं ने कहा कि यह नीति शिक्षा के अधिकार और शिक्षक सेवा नियमावली के अनुरूप नहीं है।
अदालत ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद 26 जून 2024 को जारी आदेश के तीन, सात, आठ और नवें बिंदु को निरस्त कर दिया। आदेश के तीसरे बिंदु में मानकों के अनुसार अधिक शिक्षकों की संख्या वाले विद्यालयों और शिक्षकों की आवश्यकता वाले विद्यालयों को चिह्नित करने, सातवें बिंदु में जूनियर शिक्षकों को अधिक मानते हुए उनके स्थानांतरण की सूची, आठवें बिंदु में छात्र-शिक्षकों के अनुपात के संबंध में और नवें बिंदु में एक ही विषय के दो अध्यापकों के कार्यरत होने पर जूनियर शिक्षकों को तबादला में प्राथमिकता के आधार पर करने के बारे में प्रावधान थे।
बेसिक शिक्षकों की 'लास्ट कम फर्स्ट आउट' की स्थानांतरण नीति रद, हाई कोर्ट ने समायोजन नीति को मनमाना करार दिया, कहा-यह भेदभावपूर्ण
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
on
7:16 AM
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