25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन किया था निरस्त, 10 हजार रुपये मानदेय पर पढ़ा रहे शिक्षामित्र हो चुके निराश, शिक्षामित्र चार साल से इस आस में कि कब सुनेगी सरकार?

25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन किया था निरस्त, 10 हजार रुपये मानदेय पर पढ़ा रहे शिक्षामित्र हो चुके निराश

शिक्षामित्र चार साल से इस आस में कि कब सुनेगी सरकार


शिक्षामित्रों के परिवार की दयनीय स्थिति के ये सिर्फ दो उदाहरण हैं। ऐसे न जाने कितने शिक्षामित्र चुनाव और कोरोना ड्यूटी के दौरान संक्रमण से चल बसे। उनके परिजन दो जून की रोटी के लिए मोहताज हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों के निधन पर उनके परिवार के एक सदस्य को शिक्षामित्र पद पर ही नियुक्ति देने का आश्वासन दिया था लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ।


तीन साल से हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार: 

शिक्षामित्रों को तीन साल से हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है। 25 जुलाई 2017 को 1.37 लाख शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त होने के बाद बड़ा आंदोलन हुआ था। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी गठित की थी ।

 शिक्षामित्रों की प्रमुख मांगों में 12 माह का मानदेय देते हुए सेवाकाल 62 वर्ष करने, मानदेय बढ़ाने, प्रतिवर्ष महंगाई के क्रम में मानदेय बढ़ाने, टीईटी पास सभी शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक का दर्जा देने, 14 सीएल व निःशुल्क चिकित्सा सहित तमाम लाभ देना शामिल था। इस कमेटी की बैठक 20 अगस्त 2018 को हुई थी। लेकिन तीन साल बीतने के बावजूद रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो सकी है।


दो चरणों में 1.37 लाख शिक्षामित्रों का हुआ था समायोजनः
 यूपी में 26 मई 1999 को शिक्षामित्र योजना लागू हुई। अक्तूबर 2005 में मानदेय 2250 से बढ़कर 2400) हुआ। 15 जून 2007 को मानदेय 2400 से 3000 हुआ। 11 जुलाई 2011 को दो वर्षीय प्रशिक्षण का आदेश हुआ। 23 जुलाई 2012 को कैबिनेट ने समायोजन का निर्णय लिया। 19 जून 2014 को 60442, 8 अप्रैल 2015 को 77075 का समायोजन हुआ। 6 जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई। 12 सितंबर 2015 को हाईकोर्ट ने समायोजन निरस्त किया। 7 दिसंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई और 25 जुलाई 2017 को समायोजन को गैरकानूनी ठहराया। अगस्त 2017 में मानदेय 10 हजार हुआ।


अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए सरकार अपने संकल्प पत्र में किए वादे के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में 1.55 लाख शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाएं। जुलाई 2017 में समायोजन निरस्त होने से अब तक हजारों शिक्षामित्रों की जान अवसाद के कारण चली गई। आज उनका परिवार जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहा है। - अनिल यादव, प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ


केस 1
प्राथमिक विद्यालय सिंघौरा की शिक्षामित्र नीतू सिंह का 13 मई को कोरोना से निधन हो गया था। 14 अप्रैल को चुनाव ड्यूटी करने के बाद से उनकी तबीयत खराब थी। फूलपुर के हसनपुर गांव की 2002 से शिक्षामित्र नीतू अपने पीछे बेरोजगार पति जैनेन्द्र सिंह और 11वीं में पढ़ने वाले बेटे को छोड़ गई हैं। लेकिन पंचायती राज विभाग से मिलने वाली 30 लाख की मदद उनके परिवार को नहीं मिली।


केस 2 
बीरकाजीपुर फूलपुर के ज्योति प्रकाश का निधन कोरोना से 15 अप्रैल को हो गया था। चुनाव ड्यूटी के दौरान निधन होने के बावजूद परिजनों को एक रुपये की भी सहायता राशि नहीं मिली पत्नी श्याम प्यारी, दो बेटे और एक बेटी का सहारा छिन गया। परिवार का खर्च श्याम प्यारी के परिजनों की मदद से चल रहा है।
25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन किया था निरस्त, 10 हजार रुपये मानदेय पर पढ़ा रहे शिक्षामित्र हो चुके निराश, शिक्षामित्र चार साल से इस आस में कि कब सुनेगी सरकार? Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 7:59 AM Rating: 5

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