पद कम और आवेदक ज्यादा तो कैसे मिले नौकरी, कोरोना काल में शिक्षक मृतक आश्रित परेशान

पद कम और आवेदक ज्यादा तो कैसे मिले नौकरी, कोरोना काल में शिक्षक मृतक आश्रित परेशान

शिक्षा विभाग में 500 से ज्यादा मृतक आश्रितों को है नौकरी की दरकार


कोरोना काल में दिवंगत शिक्षकों के आश्रितों को पद रिक्त नहीं होने के कारण नौकरी मिलने में दिक्कत आ रही है। दरअसल शिक्षकों के आश्रित शिक्षक पद के लिए अर्ह नहीं हैं। अधिकांश आश्रित लिपिक पद की योग्यता रखते हैं। पदों की कमी के कारण अब इन लोगों को चतुर्थ श्रेणी कर्मी के रूप में नौकरी करनी होगी। हालांकि ऑफर मिलने के बावजूद आश्रित इसे ठुकरा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 534 से ज्यादा पदों पर नियुक्ति की दरकार है। एक-दो जिलों को छोड़ कहीं भी लिपिक का पद है ही नहीं।


लिपिक का एक भी पद नहीं, चार आश्रितों ने मांगी नौकरी

प्रयागराज :  प्रयागराज में अप्रैल से अब तक बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत 43 शिक्षकों व कर्मचारियों का निधन हो चुका है। इनमें से 15 आश्रितों ने ही नौकरी के लिए आवेदन किया है। 11 ने परिचारक के पद पर नियुक्ति मांगी थी जिनमें से 10 को नौकरी दी जा चुकी है। चार ने लिपिक पद पर नियुक्त करने का अनुरोध किया था लेकिन जिले में लिपिक का एक भी पद खाली नहीं होने के कारण नियुक्ति पत्र निर्गत नहीं किया जा सका है। 


बीएसए संजय कुशवाहा का कहना है कि 32 मृतकों के आश्रितों को पारिवारिक पेंशन का लाभ देने के लिए फाइल पेंशन निदेशालय भेजी जा चुकी है। बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने मृतक आश्रितों की योग्यता के अनुसार शिक्षक, लिपिक या परिचारक के पद पर नियुक्ति की घोषणा की थी। उसी के आधार पर आश्रित लिपिक पद पर समायोजन की मांग कर रहे. है। लेकिन अब तक शासनादेश जारी न होने के कारण बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर असमंजस में हैं संविदा पर कार्यरत शिक्षामित्रों या अनुदेशकों के आश्रितों को नौकरी देने की कोई व्यवस्था नहीं है।


लिपिक के पद नहीं, अनुचर बनने को तैयार नहीं

प्रतापगढ़ : प्रतापगढ़ में 34 शिक्षकों और कर्मचारियों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है। इसमें से छह के परिजनों ने लिपिक पद के लिए आवेदन किया है। शिक्षक बनने के लिए मृतक आश्रित को स्नातक की डिग्री के साथ बीएड अथवा बीटीसी के साथ टाईटी पास होना जरूरी है। 

बीएसए प्रतापगढ़ अशोक कुमार सिंह का कहना है कि अब तक छह मृतकों के आश्रितों ने लिपिक पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया है। लिपिक पद पर ज्वाइन कराने की व्यवस्था नहीं है। इनमें से एक को अनुचर पद पर ज्वाइन करा दिया गया। है। बाकी के आवेदन शासन को भेज दिए गए हैं। वहीं दूसरी ओर लिपिक पद के लिए आवेदन करने वाले आश्रित अनुचर के रूप में तैनाती के लिए तैयार नहीं है।


पूर्वाचल गोरखपुर में 53 शिक्षक को कोरोना से मौत हुई है। लिपिक का कोई पद रिक्त नहीं है। 13 आश्रितों ने लिपिक पद के लिए आवेदन किया है। आजमगढ़ में 77. जौनपुर में 41 और बलिया में 25 शिक्षकों की मौत कोरोना काल में हुई है। इनके आश्रितों को नौकरी देने के लिए पद नहीं है।


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