मीडिया की नजर से दिल्ली रैली और संसद का घेराव
∎ शिक्षा के निजीकरण, बाजारीकरण व
शिक्षकों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ गत 4 अप्रैल को अखिल भारतीय शिक्षक
संघ के बैनर तले देश भर से आये लाखों प्राथमिक शिक्षकों का अपनी मांगों को
लेकर रामलीला मैदान से जंतर मंतर तक मार्च व संसद का घेराव।
- शिक्षा के निजीकरण, बाजारीकरण व शिक्षकों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ गत गुरुवार 4 अप्रैल को देशभर के शिक्षक हजारों की संख्या में रामलीला मैदान में एकत्रित हुए। अखिल भारतीय शिक्षक संघ के बैनर तले हजारों शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर रामलीला मैदान से जंतर मंतर तक मार्च किया। साथ ही शिक्षकों ने संसद भवन का घेराव कर धरना दिया। इस दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस बेरिकेड गिराकर आगे निकल गए। इस दौरान इनकी पुलिस से झड़प भी हुई। धरने के बाद प्रधानमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री के नाम से एक ज्ञापन सौंपा गया। धरने में उत्तरप्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ , उत्तराखण्ड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ, बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ और गुजरात शिक्षक संघ समेत देशभर के विभिन्न 25 राज्यों से आये प्राथमिक शिक्षकों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
- महासचिव एस० ईश्वरन न कहा कि सरकारों को जगाने के लिए अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा राज्यों में जनजागरण अभियान तथा जंतर-मंतर में उक्त मांगों को लेकर धरने का आयोजन किया जा चुका है परन्तु सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। फलस्वरूप शिक्षकों की सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होना पड़ा जिसके लिए राज्य सरकारें और केंद्र सरकार जवाबदेह हैं।
- वेतन आयोग और निजीकरण के विरोध के अलावा शिक्षकों का कहना है कि अध्यापकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों जैसे कि चुनाव ड्यूटी, जनगणना, मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड आदि संबंधी कार्यों से मुक्त रखा जाना चाहिए। सरकार से शिक्षकों की मांग है कि जिस तरह से सरकार स्कूलों में ठेकेदारी (PPP) के तहत शिक्षकों को रख रही है, उसे बंद किया जाए। सभी राज्यों में छठे वेतन आयोग के मुताबिक शिक्षकों को वेतनमान दिया जाए, आठ साल बाद वेतन आयोग का लाभ मिले, शिक्षकों को सेंट्रल हेल्थ जनरल सर्विस (सीजीएचएस) के तहत चिकित्सा सुविधा मिले और शिक्षकों से साल भर कराए जाने वाले नॉन-टीचिंग कार्य से मुक्ति दी जाए। शिक्षकों का कहना था कि यदि शिक्षकों को शिक्षा के अलावा अन्य कार्यो में लगाये जाने से शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है।
- शिक्षकों ने पीपीपी स्कीम बंद करने के साथ ही पैरा शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान कर उनको नियमित करने की मांग की। आरोप लगाया कि आज देश भर में दस लाख शिक्षकों की कमी है। प्रत्येक विद्यालयों में हेडमास्टर नहीं है और बच्चों को बैठने के लिए शिक्षण कक्ष भी नहीं है। धरने का नेतृत्व करते हुए अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामपाल सिंह ने कहा कि शिक्षा अधिकार कानून को लागू करने में केंद्र और राज्य सरकार गंभीर नहीं है। तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी इस कानून में प्रावधानित शिक्षक-छात्र अनुपात भी पूरा नहीं किया गया है। धरने को संबोधित करते हुए सांसद जगदीश डाकोर ने शिक्षकों की मांगों का समर्थन किया। साथ ही संसद में इसे उठाने का पूर्ण भरोसा दिया। धरने में विधायक तेज नारायण सिंह, देवेंद्र सिंह, अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष रामचंद्र डबास, महासचिव एस० ईश्वरन, राष्ट्रीय सचिव दीपक गोस्वामी सहित उत्तरप्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष श्री Lallan Mishra, महामंत्री श्री जबर सिंह यादव और कोषाध्यक्ष Sanjay Singh अनेकों जिलो के संघीय पदाधिकारियों समेत मौजूद रहे।
- शिक्षक नेताओं ने कहा कि सरकार की नई पेंशन स्कीम के अनुसार कर्मचारियों का पैसा बाजार में लगेगा और मुनाफाखोरों को फायदा होगा। देश का प्राथमिक शिक्षक इस नयी पेंशन स्कीम का कड़ा विरोध करेगा। शिक्षकों ने कहा कि बजट में प्राथमिक शिक्षकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। जीडीपी ग्रोथ का टोटल 6 फीसदी हिस्सा एजुकेशन पर खर्च करना चाहिए।
- सभा को संबोधित करते हुए संगठन के पदाधिकारियों ने सरकार की शिक्षा एवं शिक्षक विरोधी नीति की घोर निन्दा की। वक्ताओं ने शिक्षा को निजी हाथों में सौंपने के प्रयास तथा स्कूली शिक्षा में पीपीपी स्कीम का घोर विरोध किया। वक्ताओं ने कहा कि अगर शिक्षा कारपोरेट जगत के हाथों में जाएगी जो गरीबों की शिक्षा कैसे होगी? सरकार अपने वादे के मुताबिक शिक्षा के कानूनी अधिकार को समय सीमा के अन्दर लागू करने के अपने लक्ष्य को पूरा करने में असफल हुई है। वक्ताओं ने यह भी कहा कि नई पेंशन योजना का भविष्य आधार में है। 2004 के बाद से आज तक इसे उत्तर प्रदेश राज्य में लागू नहीं किया सका है। सांसदों, विधायकों को पेंशन का आजीवन प्रावधान है फिर कर्मचारियों की पेंशन क्यों समाप्त की गई? वक्ताओं ने नई पेंशन योजना 2004 तत्काल समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की। आज भी देश में लगभग 10 लाख शिक्षकों की कमी है। इसके बाद भी शिक्षक पात्रता परीक्षा जैसे प्रावधान को लागू करना न तो शिक्षा के हित में है न ही देश हित में अत इस प्रावधान को तुरन्त समाप्त किया जाए।
प्राइमरी का मास्टर द्वारा जैसा सुना और समझा गया के आधार पर प्रस्तुत रिपोर्ट !
मीडिया की नजर से दिल्ली रैली और संसद का घेराव
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
5:51 AM
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