शिक्षा विभाग : कोई मालामाल तो कोई है कंगाल ; कई अफसरों के पास हैं एक से ज्यादा पद
लखनऊ।
राज्य सरकार पर हाईकोर्ट की टिप्पणी अनायास ही नहीं है। शिक्षा विभाग में
अफसरों की तैनाती पर नजर डालें तो यह टिप्पणी सही है। वासुदेव यादव
माध्यमिक के साथ बेसिक शिक्षा निदेशक, संजय सिन्हा सचिव बेसिक शिक्षा परिषद
के साथ अपर निदेशक बेसिक। डीबी शर्मा संयुक्त निदेशक वित्त व अपर शिक्षा
निदेशक माध्यमिक। शैल यादव सचिव संस्कृत शिक्षा के साथ अपर निदेशक
व्यावसायिक शिक्षा हैं। यह तो सिर्फ एक बानगी भर है। शिक्षा विभाग में कुछ
अधिकारी ऐसे हैं जिनके पास कई-कई पद हैं और कुछ ऐसे हैं जिनके पास काम ही
नहीं है या फिर वे खाली घूम रहे हैं। समाजवादी राज में शिक्षा अधिकारियों
के साथ क्या हो रहा है, वे खुद ही नहीं समझ पा रहे हैं।
उत्तर
प्रदेश में माध्यमिक और बेसिक शिक्षा अलग-अलग है। पर अधिकारियों की तैनाती
दोनों विभागों में की जाती है। शिक्षा विभाग में सबसे निचला पद बेसिक
शिक्षा अधिकारी फिर जिला विद्यालय निरीक्षक का है। इसके बाद सहायक शिक्षा
निदेशक, उप शिक्षा निदेशक, संयुक्त शिक्षा निदेशक, अपर शिक्षा निदेशक और
निदेशक का पद है। प्रदेश में निदेशक स्तर के पांच पद हैं। इसमें से चार
निदेशक स्तर का और एक शासन में विशेष सचिव का है। मौजूदा समय प्रदेश में
निदेशक स्तर के चार अधिकारी हैं। वासुदेव यादव, अमर नाथ वर्मा, सर्वेंद्र
विक्रम सिंह और अवध नरेश शर्मा।
प्रदेश में
सत्ता बदलने के साथ ही शिक्षा विभाग में अधिकारियों की तैनाती का खेल शुरू
हुआ। उस समय निदेशक स्तर के दो अधिकारियों में संजय मोहन टीईटी धांधली के
आरोप में जेल में थे और दिनेश चंद्र कनौजिया बेसिक के निदेशक थे। सत्ता
बदलते ही सबसे पहले दिनेश चंद्र कनौजिया को महत्वहीन पद साक्षरता में भेजा
गया। वासुदेव यादव को पहले माध्यमिक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया और बाद
में बेसिक का। शिक्षा विभाग के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि एक अधिकारी
को दो महत्वपूर्ण निदेशालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया हो।
प्रमोशन के लिए बदला मानक
चहेतों
को मनचाहे पदों पर तैनाती देने के लिए पदोन्नति के मानक बदल दिए गए। पहले
निदेशक, बाद में अपर निदेशक, संयुक्त निदेशक और उप निदेशक के पदों पर
पदोन्नतियां दी गईं। निदेशक पद पर पांच लोगों को पदोन्नति दी गई। महेंद्र
सिंह, वासुदेव यादव, अमर नाथ वर्मा, सर्वेंद्र विक्रम सिंह और अवध नरेश
शर्मा। इसमें से महेंद्र सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नियमत: पदोन्नति के
बाद चारों निदेशकों को चारों विभागों का निदेशक बनाया जाना चाहिए लेकिन
बासुदेव यादव के पास माध्यमिक और बेसिक शिक्षा बने रहने दिया गया। अवध नरेश
शर्मा को साक्षरता और सर्वेंद्र विक्रम सिंह को राज्य शैक्षिक अनुसंधान
प्रशिक्षण परिषद का निदेशक बनाया गया। अमरनाथ वर्मा को पोस्टिंग नहीं दी
गई। उन्हें विशेष सचिव बनाया जाना था लेकिन शासन में शिक्षा विभाग का एक ही
पद होने की वजह से पेंच फंस रहा था। वजह संयुक्त सचिव बेसिक के पद पर
शिक्षा विभाग की ममता श्रीवास्तव तैनात हैं। उधर, नियुक्ति विभाग से अनुमति
लेकर अमरनाथ वर्मा की तैनाती विशेष सचिव के पद पर कर दी गई लेकिन कमरा न
मिलने की वजह से वह घूम रहे हैं।
शिक्षा विभाग : कोई मालामाल तो कोई है कंगाल ; कई अफसरों के पास हैं एक से ज्यादा पद
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
5:15 AM
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