शिक्षकों की नर्सरी में सूखा : डायट में आधे से ज्यादा पद खाली
बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित स्कूलों के लिए शिक्षकों की पौध तैयार करने वाले जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) खुद स्टाफ का अभाव ङोल रहे हैं। शिक्षक भर्ती की अनिवार्य योग्यता बीटीसी की ट्रेनिंग दिलाने वाले डायट में प्रशिक्षकों के 60 फीसद पद रिक्त हैं तो कुल पदों में से आधे से ज्यादा खाली हैं। ऐसे में परिषदीय स्कूलों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की नियुक्ति कर उन्हें डायट के माध्यम से छह महीने का विशेष प्रशिक्षण दिलाने की राह आसान नहीं होगी।
सरकार ने परिषदीय स्कूलों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस भर्ती प्रक्रिया में बीएड डिग्रीधारक अभ्यर्थियों को मौका दिया जा रहा है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने बीएड डिग्रीधारकों को प्राथमिक स्कूलों में बतौर शिक्षक भर्ती करने की अनुमति इस शर्त के साथ दी है कि पहले इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाएगी, फिर उन्हें एनसीटीई से मान्यताप्राप्त छह महीने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अनिवार्य बीटीसी प्रशिक्षण कोर्स को चलाने के लिए जिम्मेदार डायट के माध्यम से दिया जाना है।
यहीं असल दिक्कत शुरू होगी क्योंकि डायट खुद स्टाफ की कमी का जबर्दस्त संकट ङोल रहे हैं। शिक्षकों के प्रशिक्षण को मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने हर डायट में प्राचार्य व उप प्राचार्य के एक-एक, वरिष्ठ प्रवक्ता के छह, प्रवक्ता के 17 तथा कार्यानुभव शिक्षक, सांख्यिकीकार व तकनीकी सहायक के एक-एक पद स्वीकृत किये हैं। 70 डायट में सपोर्ट स्टाफ के कुल 1386 पद हैं। प्रदेश के 40 से ज्यादा डायट में नियमित तौर पर प्राचार्य तैनात नहीं हैं। इन पदों पर उप प्राचार्य, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी या वरिष्ठ प्रवक्ता को प्राचार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्थिति यह है कि डायट में प्राचार्य, उप प्राचार्य, वरिष्ठ प्रवक्ता और प्रवक्ता के कुल पदों में से लगभग 60 फीसदी पद रिक्त हैं। अन्य श्रेणियों में भी बड़ी संख्या में पद खाली हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने माना कि डायट में स्टाफ के 60 फीसद पद रिक्त हैं। प्रशिक्षकों की कमी के बावजूद बीटीसी कोर्स के दो बैच चलने की वजह से डायट पर क्षमता से अधिक बोझ है। ऐसे में डायट के जरिये प्रशिक्षु शिक्षकों की ट्रेनिंग बड़ी चुनौती होगी।
सरकार ने परिषदीय स्कूलों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस भर्ती प्रक्रिया में बीएड डिग्रीधारक अभ्यर्थियों को मौका दिया जा रहा है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने बीएड डिग्रीधारकों को प्राथमिक स्कूलों में बतौर शिक्षक भर्ती करने की अनुमति इस शर्त के साथ दी है कि पहले इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाएगी, फिर उन्हें एनसीटीई से मान्यताप्राप्त छह महीने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अनिवार्य बीटीसी प्रशिक्षण कोर्स को चलाने के लिए जिम्मेदार डायट के माध्यम से दिया जाना है।
यहीं असल दिक्कत शुरू होगी क्योंकि डायट खुद स्टाफ की कमी का जबर्दस्त संकट ङोल रहे हैं। शिक्षकों के प्रशिक्षण को मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने हर डायट में प्राचार्य व उप प्राचार्य के एक-एक, वरिष्ठ प्रवक्ता के छह, प्रवक्ता के 17 तथा कार्यानुभव शिक्षक, सांख्यिकीकार व तकनीकी सहायक के एक-एक पद स्वीकृत किये हैं। 70 डायट में सपोर्ट स्टाफ के कुल 1386 पद हैं। प्रदेश के 40 से ज्यादा डायट में नियमित तौर पर प्राचार्य तैनात नहीं हैं। इन पदों पर उप प्राचार्य, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी या वरिष्ठ प्रवक्ता को प्राचार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्थिति यह है कि डायट में प्राचार्य, उप प्राचार्य, वरिष्ठ प्रवक्ता और प्रवक्ता के कुल पदों में से लगभग 60 फीसदी पद रिक्त हैं। अन्य श्रेणियों में भी बड़ी संख्या में पद खाली हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने माना कि डायट में स्टाफ के 60 फीसद पद रिक्त हैं। प्रशिक्षकों की कमी के बावजूद बीटीसी कोर्स के दो बैच चलने की वजह से डायट पर क्षमता से अधिक बोझ है। ऐसे में डायट के जरिये प्रशिक्षु शिक्षकों की ट्रेनिंग बड़ी चुनौती होगी।
खबर साभार : दैनिक जागरण
शिक्षकों की नर्सरी में सूखा : डायट में आधे से ज्यादा पद खाली
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:23 AM
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