सूबे में 5वीं के 56% बच्चे हिंदी तक नहीं पढ़ पाते : संस्था असर ने 69 जिलों के सर्वे के बाद जारी की रिपोर्ट
- सूबे में 5वीं के 56% बच्चे हिंदी तक नहीं पढ़ पाते
- रिपोर्ट में सामने आई पढ़ाई की हकीकत
- संस्था असर ने 69 जिलों के सर्वे के बाद जारी की रिपोर्ट
- गणित, हिंदी और अंग्रेजी में गिर रहा पढ़ाई का स्तर
‘रामपुर में एक मैदान था। वहां कुछ नहीं उगता था। यहां कोई खेलने नहीं
जाता था। एक दिन कुछ लोग आए। उन्हाेंने गांव के लोगों को बुलाया। सबने
मिलकर तय किया कि यहां बगीचा बनाया जाए। खाद मंगाकर हर तरह के पौधे लगाए
गए। सही समय पर पानी दिया गया। आज यहां एक सुंदर बगीचा है। इसलिए यहां सभी
खेलने जाते हैं’।
यह एक छोटा सा पैराग्राफ
है जिसे उत्तर प्रदेश के ग्रामीण सरकारी स्कूल की कक्षा 5 में पढ़ रहे 55.9
प्रतिशत बच्चे नहीं पढ़ पाते। दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में 4.1 प्रतिशत
बच्चे आज भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 2.9
प्रतिशत है। वहीं कक्षा 5 में पढ़ रहे 8.2 प्रतिशत बच्चे अक्षर भी पढ़ना
नहीं जानते। वहीं, देश में इसी कक्षा के 5.7 प्रतिशत बच्चे अक्षर नहीं पढ़
पाते।
असर संस्था की ओर से वर्ष 2014 के
लिए मंगलवार को जारी वार्षिक स्टेटस एजूकेशन सैंपल सर्वे रिपोर्ट में यह
हकीकत सामने आई। इसमें ग्रामीण भारत में स्कूली शिक्षा और बुनियादी शिक्षण
को लेकर अध्ययन किया गया है। नई दिल्ली में जारी संस्था की इस दसवीं
रिपोर्ट में देश के 585 जिले शामिल किए गए थे, जिनमें 69 जिले यूपी के थे।
वहीं देश के 5.7 लाख बच्चों पर यह सैंपल सर्वे किया गया। इनमें उत्तर
प्रदेश के 92 हजार बच्चे थे। इस दौरान बच्चों के स्कूल जाने, सरल पाठ पढ़
सकने, बुनियादी गणित को जानने जैसी बातों के बारे में जानकारी जुटाई गई।
खबर साभार : अमर उजाला
सूबे में 5वीं के 56% बच्चे हिंदी तक नहीं पढ़ पाते : संस्था असर ने 69 जिलों के सर्वे के बाद जारी की रिपोर्ट
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
9:30 AM
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