प्राथमिक स्कूलों में सुविधाएं बढ़ीं, कम हो गए बच्चे, पंजीकरण में 21.64 फीसदी की कमी, निजी स्कूलों में 61.79 की वृद्धि, रिपोर्ट में शिक्षकों की कमी को गिरावट का आधार माना गया
इलाहाबाद। सरकार की ओर से प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लगातार प्रयास के बाद भी बच्चों के पंजीकरण में तेजी से गिरावट आई है। गिरावट के साथ ड्राप आउट (बीच में ही स्कूल छोड़ने वाले) बच्चों की संख्या में तेजी से कमी आई है। 2010-15 की अवधि में 2.75 लाख से लेकर 8.50 लाख तक बच्चों ने पढ़ाई के दौरान ही विद्यालय छोड़ दिया।
उत्तर प्रदेश के प्रधान महालेखाकार की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मिड-डे मील प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार 2009-10 की तुलना में 2014-15 में प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के नामांकन में 21.64 फीसदी की कमी आई जबकि निजी स्कूलों में 61.79 फीसदी की वृद्धि हुई। पंजीकरण के लिहाज से देखा जाए तो यह संख्या 17 लाख कम हो गई। इस अवधि में बच्चों की संख्या एक करोड़ पचास लाख से कम होकर एक करोड़ 33 लाख हो गई। लगभग यही हालत उच्च प्राथमिक विद्यालयों की है।
आडिट रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि 2009-10 में प्रदेश में विद्यालयों की संख्या 1.08 लाख थी, इसमें 1.70 करोड़ बच्चे पंजीकृत थे जबकि निजी स्कूलों में 1.16 करोड़ बच्चों का पंजीकरण था। 2010-11 में प्राथमिक विद्यालयों में पंजीकरण में 7.03 फीसदी की कमी आई जबकि निजी स्कूलों में 5.09 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2011-12 में विद्यालयों की संख्या में बढ़ोतरी के बाद भी पंजीकरण में 4.38 फीसदी कमी आई जबकि निजी स्कूलों में 26.99 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। 2012-13 में पंजीकरण में 5.62 फीसदी की कमी आई जबकि निजी स्कूलों पंजीकरण में 14.55 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। 2013-14 में मात्र 1.55 फीसदी की कमी तथा निजी में 1.45 फीसदी की मामूली वृद्धि दर्ज की गई। 2014-15 में सरकारी स्कूलों में पंजीकरण में 5.14 फीसदी की कमी तथा निजी में 4.72 फीसदी की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मिड-डे मील प्राधिकरण ने तथ्यों को स्वीकार करने के साथ यह बताया कि शासकीय, शासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों की कमी ने शिक्षा की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव डाला और बच्चे निजी विद्यालयों की ओर आकर्षित हुए। जबकि इस अवधि में सरकार ने बच्चों को आकर्षित करने के लिए रैली निकालने और ड्रेस, कॉपी-किताब का वितरण किया।
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