प्राइमरी के शिक्षकों ने पढ़ा पढ़ाने का सलीका : इनसर्विस ट्रेनिंग में नया प्रयोग, सीधे स्कूलों में सिखाए गए पढ़ाने के तरीके
राज्य मुख्यालय। सरकारी प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक अब बंद
हॉल में नहीं बल्कि कक्षाओं में पढ़ाने का सलीका सीखेंगे। शिक्षकों की
इनसर्विस ट्रेनिंग में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद
(एससीईआरटी) एक नया प्रयोग किया है। एससीईआरटी ने शिक्षकों को सीधे स्कूलों
में ले जाकर बताया कि वे बच्चों को कैसे पढ़ाएं। शिक्षक प्रशिक्षण के नाम
पर राज्य में लम्बे समय से इनसर्विस ट्रेनिंग दी जा रही है लेकिन इनके
परिणाम बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। बंद कमरों में मास्टर ट्रेनरों को बता
दिया जाता था कि उन्हें क्या करना चाहिए और वे जाकर जिलों में शिक्षकों को
बता देते थे लेकिन करने के दौरान आने वाली दिक्कतों पर बात नहीं होती थी।
वजह यह थी कि इसमें उन्हें कुछ अनुभव नहीं होता था। इससे निपटने के लिए
स्कूलों में जाकर उन्हें प्रशिक्षित किया गया। संयुक्त निदेशक अजय कुमार
सिंह कहते हैं कि तीन दिनों में लगभग 50 शिक्षकों को स्कूलों में ले जाकर
बताया गया कि उन्हें कैसे पढ़ाना है। सभी शिक्षक कक्षा 3 से 8 तक किसी एक
विषय में पाठ योजना बनाकर लाए और एससीईआरटी के विशेषज्ञ स्कूलों में बच्चों
को वही पाठ पढ़ा कर बता रहे हैं कि कैसे अधिकतम बच्चों को वह पाठ समझ में
आए।
स्कूलों में आया काबिले गौर अंतर : पिछले साल एससीईआरटी ने पायलट आधार पर प्रदेश के 6 शिक्षकों को चुनकर कोचिंग दी थी। इन शिक्षकों ने अपने-अपने जिले में 4-5 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया। एससीईआरटी ने इन पर नजर रखी और पाया कि स्कूलों में काफी अंतर आया है। इस प्रशिक्षण में वही शिक्षक आए जो पिछले वर्ष प्रशिक्षित हो चुके हैं। इन्हें सिखाया गया कि कैसे वे अन्य शिक्षकों को कोचिंग दें। एससीईआरटी इस तरीके को अभी पायलट आधार पर मॉनिटर करेगा।
स्कूलों में आया काबिले गौर अंतर : पिछले साल एससीईआरटी ने पायलट आधार पर प्रदेश के 6 शिक्षकों को चुनकर कोचिंग दी थी। इन शिक्षकों ने अपने-अपने जिले में 4-5 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया। एससीईआरटी ने इन पर नजर रखी और पाया कि स्कूलों में काफी अंतर आया है। इस प्रशिक्षण में वही शिक्षक आए जो पिछले वर्ष प्रशिक्षित हो चुके हैं। इन्हें सिखाया गया कि कैसे वे अन्य शिक्षकों को कोचिंग दें। एससीईआरटी इस तरीके को अभी पायलट आधार पर मॉनिटर करेगा।
हम बच्चों को विज्ञान पढ़ाने के दौरान बार-बार कहते हैं कि करके देखो क्योंकि देखी गई चीज का असर ज्यादा होता है। यही मॉडल हम शिक्षकों पर आजमा रहे हैं।
-सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह, निदेशक, एससीईआरटी
प्राइमरी के शिक्षकों ने पढ़ा पढ़ाने का सलीका : इनसर्विस ट्रेनिंग में नया प्रयोग, सीधे स्कूलों में सिखाए गए पढ़ाने के तरीके
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
8:00 AM
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