सरकारी स्कूलों में चार साल में घटे 7 लाख छात्र, विधानसभा में पेश नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से खुलासा
लखनऊ : प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा में सुधार संबंधी उत्तर प्रदेश सरकार के तमाम दावों के परे सरकारी विद्यालयों में पिछले चार सालों में छात्रों की संख्या में करीब सात लाख की कमी दर्ज की गई है। यह खुलासा गुरुवार को देश के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की विधानसभा में पेश रिपोर्ट से हुआ।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012-13 में इन विद्यालयों में छात्रों की संख्या तीन करोड़ 71 लाख थी जो 2015-16 में घटकर 3.64 करोड़ रह गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2012 से 2016 तक करीब छह लाख 22 हजार बच्चों को पुस्तकें ही उपलब्ध नहीं कराई गईं। 32.21 प्रतिशत बच्चों को स्कूल खुलने के पांच महीने बाद पुस्तकें उपलब्ध कराई गईं। रिपोर्ट के अनुसार 2010 से 2016 की अवधि में 18.35 करोड़ पुस्तकों के सापेक्ष 5.91 करोड़ पुस्तकें अगस्त या उसके बाद वितरित की गईं।2011-12 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्वीकृत दो यूनीफार्म के सापेक्ष छात्रों को एक ही यूनीफार्म दी गई, जबकि 2011 से 2016 तक 10 लाख छह हजार बच्चों को 20 से 230 दिनों तक की देरी से यूनीफार्म उपलब्ध कराई गई।
रिपोर्ट के अनुसार 2010 से 2016 की अवधि में 18.35 करोड़ पुस्तकों के सापेक्ष 5.91 करोड़ पुस्तकें अगस्त या उसके बाद वितरित की गईं४ 97 हजार बच्चों को तो यूनीफार्म मिली ही नहीं जबकि पैसे की कमी नहीं थी४ 2978 विद्यालयों में पेयजल की सुविधा नहीं पाई गई और 1734 ऐसे विद्यालय पाए गए, जिनमें बालक और बालिकाओं के लिए एक ही शौचालय था।
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