बेसिक शिक्षा की गंभीर स्थिति पर हाईकोर्ट संजीदा : करोड़ों खर्च के बावजूद क्यों नहीं प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना चाहते, राज्य सरकार के जवाब को अस्पष्ट और असंतोषजनक बताया
लखनऊ : हाईकोर्ट ने प्रदेश मे बेसिक शिक्षा के स्तर पर गंभीर चिंता जतायी है। कोर्ट ने कहा कि हालत यह है कि कोई भी संपन्न व्यक्ति अपने बच्चों को प्राइमरी पाठशालाओं में नहीं पढ़ाना चाहता है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर ऐसा क्यों है, जबकि बेसिक शिक्षा पर करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया जा रहा है। कोर्ट ने शिक्षा का अधिकार कानून के अनुपालन के संबंध में राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी को पूरी तरह अस्पष्ट और असंतोषजनक बताया है। सरकार की ओर से दिये गए जवाब में शिक्षा के अधिकार कानून के अनुपालन के बारे में उठाये गए कदमों की जानकारी दी गई थी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) की खंडपीठ ने नूतन ठाकुर की जनहित याचिका पर दिया। याचिका पर जवाब देते हुए मुख्य सचिव राहुल भटनागर व अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राज प्रताप सिंह की ओर से जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया। न्यायालय ने हलफनामे में दी गई जानकारी को अस्पष्ट और असंतोषजनक करार दिया।
न्यायालय ने कहा कि इनमें उन विद्यालयों का विवरण नहीं है जहां कोई ऐसा सुधार हुआ हो कि निचले पायदान से आने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके जैसी अमीर व उच्च वर्ग के बच्चों को मिलती है। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 30 मई को तय करते हुए कहा कि हमें ऐसे स्कूलों व लाभार्थियों का विवरण जानने की आवश्यकता है जहां उक्त सुधार हुए हों।
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