नए डीएलएड कॉलेज खोलने पर लगेगी रोक, प्रदेश में 2558 निजी कॉलेज संचालित, हर साल दो लाख से अधिक प्रशिक्षु निकलेंगे जबकि जरूरत 10 से 15 हजार की
इलाहाबाद : प्रदेश में निजी डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन यानी डीएलएड (पूर्व बीटीसी) कालेजों की बाढ़ आ गई है। इस समय करीब ढाई हजार से अधिक निजी कालेज संचालित होने जा रहे हैं और कई कालेज मान्यता व संबद्धता पाने की दौड़ में शामिल हैं। सूबे में अब हर साल दो लाख से अधिक प्रशिक्षु तैयार होंगे, जबकि जरूरत 10 से 15 हजार की ही है। सरकार नए निजी कालेजों पर अंकुश लगाने पर मंथन कर रही है।
प्रदेश के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान यानी डायट, निजी डीएलएड और अल्पसंख्यक कालेजों से बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों के लिए शिक्षक तैयार होते हैं। बीटीसी सत्र 2012-13 तक सिर्फ डायट ही प्रशिक्षु शिक्षकों की पौधशाला रहे हैं, लेकिन 2013-14 सत्र से निजी कालेजों को संबद्धता देने का सिलसिला शुरू हुआ। 1पहले साल महज 698 निजी कालेजों को परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव के यहां से संबद्धता मिली थी, जो सत्र 2017-18 तक आते-आते बढ़कर 2558 हो गई है। तमाम कालेज तय समय में आवेदन नहीं कर सके इसलिए उन्हें इस साल संबद्धता नहीं मिल सकी। ऐसे में कालेज संचालकों ने कोर्ट में याचिका दायर की है, वहीं तमाम ऐसे भी कालेज भी हैं जो मान्यता लेकर आगे के सत्रों में संबद्धता की लाइन में लगे हैं।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के अनुसार इस साल ही दो लाख 11 हजार 600 सीटों पर अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जाना है। यह संख्या का आने वाले वर्षो में और बढ़ना तय है। ऐसे में प्रदेश सरकार निजी कालेजों की बाढ़ से परेशान हो उठी है और उस पर प्रभावी अंकुश लगाने की तैयारी है। 1इसकी वजह यह है कि परिषदीय कालेजों के लिए हर साल करीब 10 से 15 हजार शिक्षक सेवानिवृत्त होते हैं, उन्हीं पदों को इन प्रशिक्षुओं से भरा जाना है, तब बाकी प्रशिक्षुओं की भीड़ का क्या होगा? असल में निजी कालेजों को मान्यता राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई प्रदान करता है और फिर वह परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय इलाहाबाद से संबद्धता पाने की जी-तोड़ कोशिश करते हैं। सरकार इसके लिए जल्द ही एनसीटीई को अनुरोध पत्र भेजने की तैयारी में है कि यूपी में निजी कालेजों को मान्यता न दी जाए।
शासन ने हाल में ही परिषद मुख्यालय से शिक्षकों का पूरा ब्योरा तलब किया है साथ ही परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से भी संबंधित आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। प्रांतीय शिक्षक नेता डा. शैलेश पांडेय का कहना है कि निजी कालेजों पर प्रभावी अंकुश लगना चाहिए, क्योंकि हर साल तैयार होने वाले लाखों प्रशिक्षु आखिर कहां जाएंगे। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव डा. सुत्ता सिंह का कहना है कि नये निजी कालेजों को संबद्धता देने पर कोई रोक नहीं है, वैसे भी मान्यता एनसीटीई से मिलती है।
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