शिक्षकों की भर्ती को लेकर सरकार की नहीं सुन रहे राज्य, देश भर में शिक्षकों के 9 लाख से ज्यादा पद खाली
नई दिल्ली : देश में शिक्षा का बुरा हाल है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। इसका खुलासा मानव संसाधन मंत्रलय की उस से होता है, जिसमें बताया गया है कि देश में मौजूदा समय में नौ लाख से ज्यादा शिक्षकों की कमी है। गोवा, उड़ीसा और सिक्किम को छोड़कर देश का कोई भी राज्य ऐसा नहीं है जहां पर्याप्त संख्या में शिक्षक मौजूद हों। यह हालात तब हैं जब केंद्र बार-बार उन्हें आगाह कर रहा है।
⚫ देशभर में शिक्षकों के नौ लाख से ज्यादा पद खाली
⚫ अकेले उत्तर प्रदेश में लगभग सवा दो लाख पद रिक्त
चौंकाने वाली बात यह है कि मानव संसाधन मंत्रलय इसे लेकर राज्यों को कई बार एडवाइजरी भी जारी कर चुका है। बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है। लोकसभा में पेश में मानव संसाधन मंत्रलय ने कहा है कि शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए राज्यों के साथ लगातार विचार-विमर्श की प्रक्रिया चल रही है। मंत्रलय ने बताया कि आरटीई अधिनियम के तहत स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात बनाए रखने के लिए केंद्र अपनी ओर से राज्यों को वित्तीय सहायता भी देता है, लेकिन शिक्षकों की यह कमी बनी हुई है।
मंत्रलय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो इसकी मुख्य वजह राज्यों की अरुचि है, लेकिन इसका असर पूरी शिक्षा व्यवस्था को बिगाड़ रहा है।1इन राज्यों में है भारी कमी : मंत्रलय की के मुताबिक, 31 मार्च 2017 तक देश में शिक्षकों के कुल मिलाकर 9 लाख 316 पद खाली हैं। इनमें उत्तर प्रदेश पहले नंबर है, जहां शिक्षकों के 2.24 लाख पद खाली हैं। दूसरे नंबर पर बिहार है, जहां 2.03 लाख पद खाली हैं। पश्चिम बंगाल में करीब 87 हजार, झारखंड में 78 हजार, मध्य प्रदेश में 66 हजार, छत्तीसगढ़ में 48 हजार, राजस्थान में 36 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं।
स्कूलों में शिक्षकों की कमी के लिए राज्य जिम्मेदार : मानव संसाधन मंत्रलय ने यह भी साफ किया है कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार हैं। मंत्रलय ने इस दौरान नियमों का भी हवाला दिया। जिसमें यह साफ कहा गया है कि अध्यापकों की भर्ती और सेवा शर्ते राज्य सरकारों के कार्य क्षेत्र में आती हैं। ऐसे में इन पदों को भरने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है।
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