प्रमाण पत्र बांटने के केंद्र बने डीएलएड कालेज, प्रवक्ताओं की नियुक्ति में पारदर्शिता और ग्रेडिंग करने में कर रहे आनाकानी, आधार से पोल खुलने का है डर
इलाहाबाद : प्रदेश सरकार नए निजी डीएलएड (पूर्व बीटीसी) कालेज खुलने पर रोक लगाने की तैयारी में है। बड़ी वजह है कि जो कालेज पहले से संचालित हैं, वहां का पठन-पाठन स्तर लगातार गिर रहा है। हर साल बड़ी संख्या अभ्यर्थी कालेजों में प्रवेश जरूर ले रहे हैं लेकिन, पढ़ाई के बजाए उनका पूरा ध्यान जैसे-तैसे प्रमाणपत्र हासिल करने तक सीमित है। कालेजों में मानक के अनुरूप प्रवक्ता न होने से संचालकों को अभ्यर्थियों का पढ़ाई से मोहभंग होना रास आ रहा है।
प्रदेश में प्रशिक्षु शिक्षक तैयार करने के लिए पहले जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान यानी डायट रहे हैं। चार साल पहले निजी कालेजों को भी यह प्रशिक्षण दिलाने के लिए संबद्धता दी गई। इसके बाद से हर साल बड़ी संख्या में निजी कालेज राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई से मान्यता लेकर सूबे में संबद्धता पाने का हर जतन कर रहे हैं। इन कालेजों में बेहतर पढ़ाई हो और वहां से अच्छे शिक्षक निकले इसलिए एससीईआरटी के हस्तक्षेप पर बीटीसी का पाठ्यक्रम तक बदला गया। नए पाठ्यक्रम को इस तरह से तैयार किया गया, ताकि स्कूलों में अभ्यर्थियों की उपस्थिति बढ़े और बिना पढ़ाई किए वह प्रशिक्षण उत्तीर्ण न कर सकें। इससे निजी कालेजों में पढ़ाई तो बेहतर नहीं हो सकी, उल्टे अभ्यर्थियों का सेमेस्टर परीक्षा उत्तीर्ण करना कठिन जरूर हो गया है। कुछ दिन पहले आए 2012 व 2014 की सेमेस्टर परीक्षा परिणाम में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी फेल हुए हैं। 1निजी कालेजों में ठीक से पढ़ाई न हो पाने के कारण ही टीईटी का रिजल्ट लगातार गिरता जा रहा है। पिछले साल मात्र 11 फीसद अभ्यर्थी उत्तीर्ण हो सके थे। एससीईआरटी के निर्देश पर निजी कालेजों की ग्रेडिंग कराने का निर्देश हुआ इसका आधार टीईटी की परीक्षा का परिणाम बनाया गया लेकिन, इसका अनुपालन अब तक नहीं हो सका है। निजी कालेजों के प्रवक्ताओं को आधार से जोड़े जाने का निर्देश हुआ। इसमें पुराने निजी कालेजों के सभी शिक्षक वेबसाइट पर आधार से नहीं जुड़ सके हैं।
कारण है कि एक ही प्रवक्ता कई-कई कालेजों में शिक्षक के रूप में दर्ज है। आधार से लिंक होने पर यह पोल खुल जाएगी। ऐसे में परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने नए कालेजों को संबद्धता देने में शिक्षकों के आधार को अनिवार्य किया है। इसमें जरूर सफलता मिली है। वजह है कि पश्चिम व पूरब के कुछ निजी कालेजों ने परीक्षा नियामक सचिव के फर्जी हस्ताक्षर व पत्र से मान्यता पाने की जुगत की लेकिन, एनसीटीई की सक्रियता से यह प्रकरण खुल गया। शासन पहले से संचालित निजी कालेजों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है।
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