शिक्षामित्रों से चंदा उगाही का खेल फिर शुरू, पुनर्विचार याचिका को लेकर हरीश साल्वे के नाम को लेकर वसूली के वीडियो के साथ खण्डन का वीडियो सोशल मीडिया में, शिक्षामित्रों में भ्रम बरकरार
■ हरीश साल्वे शिक्षामित्र संघ के नेताओं को मना कर चुके हैं। अमूमन वह पुनर्विचार याचिका का कोई केस नहीं लड़ते। (हरीश साल्वे के आफिस से मिली सूचना)
राज्य मुख्यालय : शिक्षामित्र नौकरी पक्की कराने के लिए चंदा दे या न दें, यह यक्ष प्रश्न उन्हें मथ रहा है। सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे शिक्षामित्रों की तरफ से पुनर्विचार याचिका में पैरवी करेंगे तो दूसरा वीडियो इसका खंडन कर रहा है। चंदा देने को लेकर शिक्षामित्रों में भ्रम बरकरार है।
25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द कर दिया है। लेकिन अब भी एक धड़े के नेता नौकरी पक्की कराने का भरोसा दे रहे हैं। उनका कहना है कि पुनर्विचार याचिका दायर की जा चुकी है। न्यायिक मदद के लिए पैसे की जरूरत है इसलिए जिलेवार चंदा इकट्ठा किया जाए। और तो और, अब कई नेता भ्रमण कर चंदा इकट्ठा करने निकल पड़े हैं। हालांकि पुनर्विचार याचिका जब तक मंजूर नहीं की जाती है तब तक वकील की जरूरत नहीं पड़ती। 90 फीसदी मामलों में याचिका रद्द कर दी जाती है। मंजूर होने के बाद वकील किया जाता है।
■ करोड़ों रुपये खर्च: शिक्षामित्रों के हाईकोर्ट से सुप्रीमकोर्ट तक के सफर में करोड़ों रुपये का खर्च हुआ। इस खर्च को चंदे से जुटाया गया। कई संघों ने याचिकाएं दायर की थीं। शिक्षा मित्रों ने अपने पक्ष में सलमान खुर्शीद, कपिल सिब्बल, हरीश साल्वे जैसे बड़े वकील खड़े किए। इस पूरे मामले में 2 से 3 करोड़ रुपये खर्च किए। चंदा उगाही दोगुने से भी कहीं ज्यादा हुई। उनके अपने ही गुट के लोग दबी जुबां से बताते हैं कि इस चंदे के खेल से ही एक नेता विधानसभा चुनाव लड़ने तक की तैयारी कर रहे हैं। वहीं कई छोटे नेता भी बड़ी-बड़ी गाड़ियों से घूमने लगे हैं। फिर ये खेल शुरू हो चुका है।
शिक्षा मित्र चंदा वसूलनों वालों से सावधान रहें और चंदा न दें। अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका रजिस्टर नहीं की है। -जितेन्द्र शाही, आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष
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