कहानी सुनकर बच्चे नैतिक मूल्य सीखेंगे, प्राइमरी कक्षाओं का हिस्सा बनेगी कहानियाँ
दो चरणों में कहानी वाचन की प्रतियोगिता आयोजित की जा रही, प्राइमरी कक्षाओं का हिस्सा बनेंगी कहानियां
कहानी सुनकर अब बच्चे नैतिक मूल्य सीखेंगे
डायट प्राचार्यो को कहानी सुनाने के फायदे गिनाए
लखनऊ। एक राजा बहुत दयालू था और उसके राज्य में प्रजा खूब खुश थी। लेकिन एक दिन उसके राज्य में दानव आ गया और फिर..। कुछ ऐसी ही कहानियां अब सरकारी प्राइमरी स्कूल की कक्षाओं का हिस्सा बनेंगी। मंशा सिर्फ इतनी कि इससे बच्चों की कल्पनाशीलता बढ़े, उन्हें नैतिक और मानवीय मूल्यों का पता चल सके। इसे बढ़ावा देने के लिए हर मंडल में बढ़िया कहानी सुनाने वाले दो-दो शिक्षकों को पुरस्कृत किया जाएगा। सरकारी प्राइमरी स्कूलों में अभी तक पढ़ाई के अलावा अन्य क्रियाकलापों पर जोर नहीं था। लेकिन अब खेल के अलावा इस तरह की गतिविधियों पर जोर दिया जा रहा है। इसे बढ़ावा देने के लिए दो चरणों में कहानी वाचन की प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। पहले चरण में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद में आयोजन किया जाएगा। शिक्षक 30 अक्टूबर तक यहां आवेदन कर सकते हैं। उनके कहानी सुनाने के तरीके, विषयवस्तु और भाषा के आधार पर आकलन किया जाएगा। यहां 10 शिक्षकों का चयन होगा और इन शिक्षकों को स्कूल में कहानी सुनाने भेजेगा। कहानी 3-5 मिनट की होनी चाहिए और स्थानीय भाषा का इस्तेमाल ज्यादा होना चाहिए।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने सभी डायट प्राचार्यों व बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिख कर शिक्षकों को कहानी सुनाने के फायदे गिनाए हैं। उन्होंने कहा है कि छोटे बच्चों को हमेशा से ही कहानी सुनना अच्छा लगता है। कहानियों से बच्चों में समझ, एकाग्रता के साथ नैतिक मूल्यों का विकास भी होता है। हम कहानियों के माध्यम से बच्चों में सही व गलत की समझ भी पैदा कर सकते हैं।
No comments:
Post a Comment