शिक्षिकाओं के तबादले : आवेदन और तबादले की संख्या में बड़ा अंतर होने से कहीं हावी न हो जाए भ्रष्टाचार के अन्य तरीके : जागरण सम्पादकीय
शिक्षिकाओं के तबादले : आवेदन और तबादले की संख्या में बड़ा अंतर होने से कहीं हावी न हो जाए भ्रष्टाचार के अन्य तरीके : जागरण सम्पादकीय
उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षिकाओं के अंतर जिला तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन भरने शुरू हो गए हैं। अंतरजिला तबादलों के लिए आवेदन का यह दूसरा दौर चल रहा है। यह दौर हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुआ है। इसमें सिर्फ उन्हीं शिक्षिकाओं के ऑनलाइन आवेदन मान्य होंगे, जो पति के निवास स्थान अथवा ससुराल वाले जिले में तबादले के लिए आवेदन करेंगी।
ऑनलाइन आवेदन का पहला दौर 16 से 29 जनवरी तक चल चुका है। आवेदन 15 फरवरी तक भरे जाएंगे और उसके बाद काउंसिलिंग और प्रमाण पत्रों का सत्यापन का दौर चलेगा।
आवेदन में लगाए गए अभिलेखों के सत्यापन की प्रक्रिया लंबी खिंच सकती है। हर जिले में रिक्त स्थानों के एक चौथाई पद ही इन तबादलों से भरे जाएंगे। ऐसे में आवेदनों और तबादलों की संख्या में खासा अंतर रहेगा। इसलिए सोर्स-सिफारिशें चलना स्वाभाविक है। चिंता यह है कि लिस्ट में नाम चढ़वाने के लिए अन्य तरीके हावी न हो जाएं और सरकार और कोर्ट ने जिस मंशा से तबादलों की इजाजत दी, कहीं वह दोयम न हो जाए।
तबादला-प्रमोशन के मामले में शिक्षा विभाग की छवि पहले से ही सवालों के घेरे में रही है। ऐसे में हर कदम फूंक कर चलना होगा। गृह जिले में स्थानांतरित हो कर आना कई मामलों में लाभदायक होता है, लेकिन कभी नुकसान भी भुगतना पड़ता है। यह बच्चों के भविष्य को बनाने वाला विभाग है। इसमें कार्यरत लोगों की मन:स्थिति से बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का ग्राफ नीचे-ऊपर होता है। अपने गांव के करीब पहुंच कर पेंशन लेने की आदत से बच्चों का नुकसान होगा। देर से आना, शादी ब्याह तथा स्कूल के समय पर अन्य सामाजिक कार्यो में अधिक भागीदारी शिक्षण में व्यवधान पहुंचाती है। विभागीय अधिकारियों पर भी दबाव बनाने का प्रयास होता है।
ऐसे में अगर यह सरकार शिक्षकों को अपने गांव के करीब आने की सुविधा दे रही है तो उनका भी फर्ज बनता है कि शिक्षक धर्म का शत-प्रतिशत पालन करें और अपने क्षेत्र के भविष्य को सुधारने में योगदान करें।
No comments:
Post a Comment