विभागीय कार्यवाही के खिलाफ लंबित अपील पर अंतर्जनपदीय आवेदन निरस्त करना गलत, हाइकोर्ट ने बीएसए को चार सप्ताह में निर्णय लेने का दिया आदेश
विभागीय कार्यवाही के खिलाफ लंबित अपील पर अंतर्जनपदीय आवेदन निरस्त करना गलत, हाइकोर्ट ने बीएसए को चार सप्ताह में निर्णय लेने का दिया आदेश
विभागीय अपील लंबित रहने के आधार पर नहीं रोक सकते स्थानांतरण
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी विभागीय कार्यवाही के विरुद्ध दाखिल विभागीय अपील के लंबित रहते यह कहा जा सकता है कि विभागीय कार्यवाही लंबित है। और इस आधार पर कर्मचारी का स्थानांतरण रोकना रोकना गलत है। कोर्ट ने परिषदीय प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त शिक्षिका का अंतरजनपदीय स्थानांतरण का आवेदन इस आधार पर रद्द करने का बीएसए प्रयागराज का आदेश खारिज कर दिया है। कोर्ट ने शिक्षिका के आवेदन को पुनर्स्थापित करते हुए बीएसए को चार सप्ताह में उस पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
शिक्षिका गौरी सिंह की याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने यह आदेश दिया। याची का पक्ष रख रहे अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि याची ने दो दिसंबर 2019 की स्थानांतरण नीति के तहत अंतरजनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था। याची का आवेदन बीएसए प्रयागराज ने यह करते हुए रद्द कर दिया कि याची के खिलाफ विभागीय कार्यवाही लंबित है।
अधिवक्ता का कहना था कि वास्तविकता यह है कि याची के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई थी जो 22 नवंबर 2018 को पूरी हो गई।
बीएसए ने उसका एक इंक्रीमेंट रोक दिया है। इस आदेश के खिलाफ याची ने विभागीय अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील दाखिल की है जो अभी लंबित है। अपील लंबित रहने को विभागीय कार्यवाही मानते हुए बीएसए ने आवेदन निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने इसे अनुचित मानते हुए कहा कि अपील को विभागीय कार्यवाही नहीं माना जा सकता है। और इस आधार पर स्थानांतरण का आवेदन निरस्त करना अनुचित है। कोर्ट ने बीएसए का आदेश रद्द करते हुए याची के स्थानांतरण पर निर्णय लेने का आदेश दिया है।
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि विभागीय कार्यवाही के विरुद्ध अपील के लंबित होने के आधार पर अंतर जिला स्थानांतरण रोकना गलत है। कोर्ट ने परिषदीय प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त शिक्षिका का अंतर जिला तबादला आवेदन इस आधार पर निरस्त करने के बीएसए प्रयागराज के आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने शिक्षिका के आवेदन को पुनस्र्थापित करते हुए बीएसए को चार सप्ताह में नए सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूíत जेजे मुनीर ने अध्यापिका गौरी सिंह की याचिका पर दिया है। याची ने दो दिसंबर, 2019 की नीति के तहत जिला स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था। याची का आवेदन बीएसए प्रयागराज ने यह करते हुए निरस्त कर दिया कि उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही लंबित है, जबकि वास्तविकता यह है कि याची के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई थी जो 22 नवंबर, 2018 को पूरी हो गई। बीएसए ने उसका एक इंक्रीमेंट भी रोक दिया है। इस आदेश के खिलाफ याची ने विभागीय अपील दाखिल की है, जो अभी लंबित है।
अपील लंबित रहने को विभागीय कार्यवाही मानते हुए बीएसए ने आवेदन निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने इसे अनुचित मानते हुए कहा कि अपील को विभागीय कार्यवाही नहीं माना जा सकता है और इस आधार पर स्थानांतरण का आवेदन निरस्त करना अनुचित है।
HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD
?Court No. - 66
Case :- WRIT - A No. - 8473 of 2020
Petitioner :- Gauri Singh
Respondent :- State Of U P And 3 Others
Counsel for Petitioner :- Navin Kumar Sharma
Counsel for Respondent :- C.S.C.,Arun Kumar
Hon'ble J.J. Munir,J.
It is argued by learned counsel for the petitioner that petitioner's application for an inter-district transfer under the Transfer Policy dated 02.12.2019 claimed in accordance with Rule (2)(d) of the U.P. Basic Education (Teachers) (Posting) Rules, 2008 as well as Rule 21 of the U.P. Basic Education (Teachers) Service Rules, 1981, has been rejected by the impugned order dated NIL, a copy of which is placed as Annexure-9 to the writ petition on ground that departmental proceedings are pending against her, whereas no such proceedings are pending. It is pointed out that departmental proceedings were initiated against the petitioner and have been concluded vide order dated 22.11.2018, passed by the District Basic Education Officer, whereby increment of the petitioner has been withheld.
It is submitted that she has appealed this order to the Departmental Appellate Authority but that does not mean that departmental proceedings are pending against her. It is submitted, therefore, that the impugned order, which refuses transfer on ground that departmental proceedings are pending, proceeds on patently fallacious ground.
Shri Arun Kumar, learned counsel appears on behalf of respondents 2 & 4, waives his right to file a counter affidavit.
It is true that the reason assigned to reject the petitioner's application is pendency of departmental proceedings. Shri Arun Kumar does not dispute the fact that apart from the proceedings that culminated in the order dated 22.11.2018, no other departmental proceedings are pending against the petitioner. He, however, submits that the fact that she has preferred an appeal to the Departmental Appellate Authority would lead to the conclusion that the departmental proceedings are pending against her on the basis of which the impugned order has been passed. This Court is of the view that the aforesaid submission is fallacious.
The specific reason assigned in the impugned order is pendency of the departmental proceedings. A perusal of the order dated 22.11.2018 indicates that the departmental proceedings have come to an end with an award of minor punishment in the form of withholding one increment. The fact that the employee has carried an appeal from the order of punishment does not at all mean that departmental proceedings are pending.
In this view of the matter, the impugned order dated NIL, passed by the Basic Education Officer, is apparently flawed and vitiated.
In the result, the writ petition is allowed.
The impugned order, a copy of which is annexed as Annexure-9, rejecting the petitioner's application for inter-district transfer, passed by the Basic Education Officer, Prayagraj is hereby quashed. The transfer application is restored to file of the Basic Education Officer, Prayagraj with a direction to consider the petitioner's application for inter-district transfer and pass appropriate orders, in accordance with law within four weeks of receipt of a copy of this order.
Let this order be communicated to the District Basic Education Officer, Prayagraj, by Monday next.
Order Date :- 18.11.2020
LN Tripathi
विभागीय कार्यवाही के खिलाफ लंबित अपील पर अंतर्जनपदीय आवेदन निरस्त करना गलत, हाइकोर्ट ने बीएसए को चार सप्ताह में निर्णय लेने का दिया आदेश
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
on
7:31 AM
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