15+ आयु वर्ग के निरक्षरों का चिह्नांकन कर कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करने हेतु "पढ़ना लिखना अभियान 2020" के सम्बन्ध में
15+ आयु वर्ग के निरक्षरों का चिह्नांकन कर कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करने हेतु "पढ़ना लिखना अभियान 2020" के सम्बन्ध में।
डीएलएड प्रशिक्षुओं के जरिए चलेगी मुहिम, एक प्रशिक्षु एक व्यक्ति को साक्षर बनाएगा
साक्षरता बढ़ाने के लिए अब पढ़ना-लिखना अभियान, नियमावली जारी और बजट भी मंजूर
■ प्रदेश में 4.82 करोड़ वयस्क निरक्षर
2011 की जनगणना के आधार पर यूपी में 4,82,72,087 वयस्क निरक्षर है। इसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। इस अभियान के तहत 4.20 लाख लोगों को साक्षर किया जाएगा। इसमें 105000 पुरुष और 315000 महिलाएं शामिल हैं। यह कार्यक्रम एक वर्ष तक चलना है। इसके लिए 15.30 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है
अब साक्षरता बढ़ाने के लिए पढ़ना लिखना अभियान शुरू होगा। इसे मुख्यतः डीएलएड प्रशिक्षुओं के माध्यम से चलाया जाएगा। प्रदेश के लिए 4.20 लाख लोगों को साक्षर करने का लक्ष्य रखा गया है। साक्षर भारत अभियान मार्च, 2018 में बंद हो चुका है।
इसके बाद से देश या प्रदेश में साक्षरता के लिए कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है। केन्द्र सरकार ने पढ़ना-लिखना अभियान चलाने के
लिए नियमावली जारी कर दी है। इसके लिए बजट भी मंजूर हो गया है। अब प्रदेश सरकार अपने दिशा निर्देश बना कर इसे जल्द लागू करने की तैयारी कर रही है।
इसे डायट प्राचार्य की देखरेख में चलाया जाएगा। वहीं साक्षर बनाने के लिए मुख्य तौर पर डीएलएड के विद्यार्थियों को जोड़ा जाएगा। प्रदेश में
डीएलएडी की 2 लाख से ज्यादा सीटें हैं। एक प्रशिक्षु को एक व्यक्ति को साक्षर बनाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसे किस तरह डीएलएड पाठ्यक्रम से जोड़ा जाए, इस पर विचार विमर्श चल रहा है यानी इसके लिए किस तरह का प्रोत्साहन प्रशिक्षु को दिया जाए, इस पर निर्णय होना है। वहीं स्काउट व गाइड, स्वयंसेवी संस्थाओं और रिटायर लोगों को भी इस अभियान से जोड़ने की तैयारी है।
साक्षर भारत अभियान में रखे गए थे प्रेरकः साक्षर भारत अभियान के तहत प्रेरक रखे गए थे। हर ग्राम पंचायत में दो प्रेरकों की तैनाती हुई थी और इन्हें 2 हजार रुपये मानदेय दिया जाता था। प्रदेश में 90 हजार से ऊपर प्रेरक रखे गए थे।
शहर और गांव के निरक्षर लोगों को साक्षर करने के लिए पढ़ना-लिखना अभियान शुरू किया जाएगा। अभियान के तहत गांव के महिलाओं, पुरुषों को जागरूक किया जाएगा। इससे वह अपनी पसंद के मुताबिक, रोजगार का चयन कर सकेंगे।
जिले के 15 वर्ष से अधिक आयु के निरक्षरों को बुनियादी शिक्षा दी जाएगी। निरक्षरों को डायट व निजी निजी डीएलएड प्रशिक्षणार्थी पढ़ाएंगे। साक्षर भारत मिशन के तर्ज पर यह अभियान शुरू होगा, जो शहर और गांव के निरक्षर लोगों की सूची तैयार करने के साथ ही उन्हें शिक्षित करने का प्रयास किया जाएगा। प्रदेश में इसके लिए जिलेवार लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
अभियान के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य को नोडल अधिकारी बनाया गया है। चिन्हित अशिक्षित लोगों को कार्यात्मक साक्षरता प्रदान की जाएगी। योजना के जरिए सरकार 2030 तक संपूर्ण साक्षरता हासिल करने का टारगेट है।
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Reviewed by sankalp gupta
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