60 वर्ष या मृत्यु दोनों दशा में शिक्षक ग्रेच्युटी का हकदार, हाईकोर्ट ने दिया बीएसए को आदेश
60 वर्ष या मृत्यु दोनों दशा में शिक्षक ग्रेच्युटी का हकदार, हाईकोर्ट ने दिया बीएसए को आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी कानपुर देहात को सेवा काल में दिवंगत हुए सहायक अध्यापक की ग्रेच्युटी का निर्धारण कर उनकी पत्नी को तीन माह में भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अर्जी देने की तिथि से भुगतान होने तक आठ फीसदी ब्याज भी दिया जाए। 60 वर्ष में सेवानिवृत्ति का विकल्प न देने के आधार पर ग्रेच्युटी का हकदार न मानते हुए भुगतान से इनकार कर दिया गया था। कोर्ट ने इस आदेश को 16 सितम्बर 2009 के शासनादेश व उषा देवी केस के फैसले के विपरीत करार देते हुए रद्द कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने कुंती देवी की याचिका पर अधिवक्ता अनुराग शुक्ल को सुनकर दिया है। अधिवक्ता अनुराग शुक्ल का कहना था कि याची के पति प्रदीप कुमार शुक्ल तीन अप्रैल 1987 में सहायक अध्यापक नियुक्त हुए। 60 साल में सेवानिवृत्ति का विकल्प भरने की अंतिम तिथि से पहले उनकी मृत्यु हो गई जबकि उन्हें एक मार्च 2019 को सेवानिवृत्त होना था। अधिवक्ता श्री शुक्ल का कहना था कि शासनादेश के अनुसार 60 साल या मृत्यु की दशा में अध्यापक ग्रेच्युटी पाने का हकदार होगा, जिसकी अनदेखी कर बीएसए ने ग्रेच्युटी देने से इनकार कर दिया है।
सेवाकाल में मृत्यु पर ग्रेच्युटी का भुगतान जरूरी - हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अध्यापक की सेवाकाल के दौरान हुई मृत्यु की स्थिति में उसकी ग्रेच्युटी का भुगतान किए जाने के एकलपीठ के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी है। एकलपीठ ने कहा था कि सेवा काल में मृत्यु होने पर यदि अध्यापक ने 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने का विकल्प नहीं भरा है तो उसे मिलने वाली ग्रेच्युटी का भुगतान उसके आश्रित को किया जाए।
राजकुमारी व अन्य तथा प्रेम कुमारी व अन्य के मामलों में एकलपीठ के इस निर्णय को सरकार ने विशेष अपील में चुनौती दी थी। अपीलों पर न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी व न्यायमूर्ति संजय कुमार पचौरी तथा न्यायमूर्ति एमएन भंडारी व रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठों ने अलग-अलग सुनवाई की ।
प्रदेश सरकार व बेसिक शिक्षा परिषद के वकीलों का कहना था कि नियमानुसार 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने वाले अध्यापक ग्रेच्युटी पाने के हकदार होते हैं। जो अध्यापक 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनते हैं उनको ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जाता है जिन अध्यापकों ने विकल्प नहीं चुना है उनके संबंध में माना जाएगा कि वह 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति चाहते हैं और सेवाकाल में मृत्यु होने पर उनकी ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं होगा।
60 वर्ष या मृत्यु दोनों दशा में शिक्षक ग्रेच्युटी का हकदार, हाईकोर्ट ने दिया बीएसए को आदेश
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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6:40 AM
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