69000 शिक्षक भर्ती में हुई आरक्षण की अनदेखी

69000 शिक्षक भर्ती में हुई आरक्षण की अनदेखी



राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की अनदेखी मानी है। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. लोकेश कुमार प्रजापति की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत जिलावार सूची का उद्धरण यह दर्शाता है कि अनारक्षित उम्मीदवारों को आरक्षित उम्मीदवारों के बजाय नियुक्तियां दी गई हैं। चयन प्रक्रिया में आरक्षण नीति का घोर उल्लंघन हुआ है। 


आयोग के समक्ष राज्य का उत्तर विरेधाभासों से भरा हे और यह संदेश व अनुमानों पर आधारित है। वर्तमान चयन प्रक्रिया में आरक्षण नियमों को कैसे और किस तरह से लागू किया गया है, यह दिखाने में राज्य विफल रहा है। अंतिम सूची में चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी का उल्लेख नहीं किया गया। हालांकि जब सूचियों को जिलेवार प्रकाशित किया गया था, तब चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी का उल्लेख किया गया था।



राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की अनदेखी मानी है। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. लोकेश कुमार प्रजापति की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत जिलावार सूची का उद्धरण यह दर्शाता है कि अनारक्षित उम्मीदवारों को आरक्षित उम्मीदवारों के बजाय नियुक्तियां दी गई हैं। चयन प्रक्रिया में आरक्षण नीति का घोर उल्लंघन हुआ है।

आयोग के समक्ष राज्य का उत्तर विरोधाभासों से भरा है और यह संदेश व अनुमानों पर आधारित है। वर्तमान चयन प्रक्रिया में आरक्षण नियमों को कैसे और किस तरह से लागू किया गया है, यह दिखाने में राज्य विफल रहा है। अंतिम चयन सूची में चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी का उल्लेख नहीं किया गया। हालांकि जब सूचियों को जिलेवार प्रकाशित किया गया था तब चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी का उल्लेख किया गया था।


सभी जिलों में प्रकाशित सूचियों के आधार पर और उम्मीदवार की श्रेणी के आधार पर चयन प्रक्रिया में व्यापक अनियमितता दिखती है। ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित 18598 सीटों में से 5844 सीटें ऐसी हैं जो ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों की बजाय अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को दी गई और इस प्रकार ओबीसी उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।

हालांकि आयोग ने स्पष्ट किया है कि उपरोक्त तथ्यों के संबंध में कोई पक्ष इस अंतरिम रिपोर्ट पर संशोधन चाहता है तो उन्हें 15 दिन का अवसर दिया जाता है। उसके बाद रिपोर्ट को अंतिम समझा जाएगा। आयोग में इस प्रकरण की पैरवी करने वाले अमरेन्द्र सिंह का कहना है कि रिपोर्ट को कोर्ट में चल रहे वाद में प्रस्तुत किया जाएगा।
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