हाईकोर्ट निर्णय : निजी स्कूलों को फीस प्रतिपूर्ति की प्रत्येक वर्ष समीक्षा की जाए

हाईकोर्ट निर्णय :  निजी स्कूलों को फीस प्रतिपूर्ति की प्रत्येक वर्ष समीक्षा की जाए

प्राइवेट स्कूलों को फीस प्रतिपूर्ति की समीक्षा हर साल करे सरकार

कोर्ट ने 2013 में तय प्रतिपूर्ति हर साल दिए जाने पर किया एतराज 

अभी प्रति छात्र 450 रुपये प्रति माह दिया जाता है विद्यालयों को


लखनऊ । हाईकोर्ट  की लखनऊ बेंच ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निःशुल्क शिक्षा देने वाले प्राइवेट स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति की हर साल समीक्षा करने का आदेश दिया है। सभी निजी स्कूलों को वर्ष 2013 में नियत साढ़े चार सौ रुपये प्रति छात्र के हिसाब से दिया जाता है।


 कोर्ट ने कहा कि हर कैलेंडर साल के 30 सितम्बर को सरकारी या स्थानीय निकायों द्वारा संचालित विद्यालयों के कुल छात्र अनुपात को उन पर प्रति वर्ष सरकारी खर्चे से विभाजित करके आने वाली राशि को ध्यान में रखकर प्रतिपूर्ति तय की जाए। यह आदेश दिया है कि ऐसे स्कूलों को प्रतिवर्ष नियत प्रतिपूर्ति नियमित रूप से प्रदान की जाए।


यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने लखनऊ एजुकेशन एंड एस्थेटिक डेवलपमेंट सोसायटी की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। याची की ओर से दलील दी गई कि सरकार ने आरटीई अधिनियम और इसके तहत 2011 में बने नियमों के तहत 20 जून 2013 को प्रतिपूर्ति नियत किया था, जिसके अनुसार आज भी भुगतान किया जा रहा है।



लखनऊ : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत मुफ्त शिक्षा देने वाले प्राइवेट स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति की प्रति वर्ष समीक्षा करने का आदेश दिया है। अभी ऐसे प्राइवेट स्कूलों को साल 2013 में नियत प्रति छात्र के हिसाब से 450 रुपये प्रति माह ही दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि हर कैलेंडर साल के 30 सितंबर को सरकारी व स्थानीय निकायों द्वारा संचालित विद्यालयों के कुल छात्र अनुपात को उन पर प्रति वर्ष किए जाने वाले सरकारी खर्चे से विभाजित करके आने वाली राशि को ध्यान में रखकर प्रतिपर्ति तय की जाए।


एसएल वैश्य का तर्क था कि सरकार ने अधिनियम व इसके तहत 2011 में बने नियमों के तहत 20 जून 2013 को प्रतिपूर्ति नियत की थी और अभी वही चली आ रही है जबकि यह किसी से छिपा नहीं है कि तब से हर चीज की कीमतें कितनी अधिक बढ़ गयी है। कहा गया कि 2013 में नियत 450 रुपये प्रति छात्र प्रतिपूर्ति उचित नहीं है। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को प्रति साल प्रतिपूर्ति की समीक्षा करनी चाहिए। 
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