प्रदेश में संचालित सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त एवं निजी (प्राइवेट) शैक्षिणक संस्थानों के सम्बन्ध में।
निजी स्कूलशिक्षकों की नियुक्ति और सेवा समाप्ति में नहीं चलेगी प्रबंध तंत्र की मनमानी, निदेशक के पत्र से स्थिति हुई साफ
बेसिक शिक्षा से मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति व सेवा समाप्ति में अब नहीं चल पाएगी प्रबंधतंत्र की मनमानी
प्रदेश में संचालित सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त एवं निजी (प्राइवेट) शैक्षिणक संस्थानों के सम्बन्ध में।
नियम विरुद्ध नियुक्ति या सेवा समाप्त करने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई, शिक्षकों की नियुक्ति में नहीं चलेगी प्रबंधन की मनमानी
शिक्षक संघ की शिकायत पर बेसिक शिक्षा निदेशक ने सभी बीएसए को जारी किए निर्देश
निजी स्कूलों की मनमानी होगी बंद, नियम विरुद्ध नियुक्ति या सेवा समाप्त करने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई के निर्देश
बेसिक शिक्षा के मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर कसेगी नकेल, नियमावली के तहत ही होगी शिक्षकों की चयन और हटाने की प्रक्रिया
प्राइवेट स्कूल अब अपने यहां शिक्षकों का उत्पीड़न नहीं कर सकेंगे। निजी स्कूलों में भी काबिल शिक्षकों को रखना होगा। ऐसा नहीं कि किसी को भी शिक्षक के तौर पर रख लिया और जब मन चाहा निकाल दिया। अगर मनमाने ढंग से नियम विरुद्ध शिक्षकों की नियुक्ति की या फिर उनकी सेवा समाप्त की तो विद्यालय प्रबंधतंत्र के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। निदेशक का पत्र आने के बाद मनमानी करने वाले प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कसने की तैयारी बेसिक शिक्षा विभाग कर रहा है।
शिक्षा निदेशक बेसिक ने बीएसए को भेजा पत्र : शिक्षा निदेशक बेसिक ने सभी बीएसए को पत्र जारी कर कहा है कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। उसमें कहा है कि प्रदेश में सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों के संचालन के लिए उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अधिनियम 1972 का पालन किया जाता है। उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल (अध्यापकों की भर्ती तथा सेवा की शर्तें) नियमावली 1975, उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल (जूनियर हाई स्कूल ) नियमावली 1978 के तहत शिक्षकों की अर्हताएं तय हैं। उसी के अनुरूप चयन प्रक्रिया व सेवा की शर्तों को लागू किया जाता है।
गली-मोहल्लों में खुले निजी स्कूलों में निर्धारित अर्हताधारी शिक्षक नहीं हैं। दूसरी तरफ वित्तविहीन मान्यता प्राप्त विद्यालयों में बिना किसी निर्धारित चयन प्रक्रिया के शिक्षकों को नियुक्त कर लिया जाता है। कई बार बिना किसी प्रक्रिया के उन्हें संस्थान से हटा भी दिया जाता है। तमाम गली-मोहल्लों में खुले निजी स्कूलों में निर्धारित अर्हताधारी शिक्षक नहीं हैं।
यह भी उल्लेख किया गया है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत परिषदीय विद्यालयों के अतिरिक्त निजी प्रबंधतंत्रों द्वारा मान्यता प्राप्त प्राथमिक एवं जूनियर हाई स्कूल भी संचालित होते हैं। इन विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्तियां उप्र मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल (अध्यापकों की भर्ती तथा सेवा की शर्तें) नियमावली 1975 एवं उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल (जूनियर हाई स्कूल ) नियमावली 1978 के प्रावधानों के तहत की जाती है।
सभी बीएसए को निर्देशित किया गया है : इसमें स्पष्ट रूप से व्यवस्था है कि इन विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति एवं सेवा के संबंध में कोई कार्रवाई जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के पूर्वानुमोदन के बिना नहीं की जा सकती। प्रबंध समिति द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव बिना जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के अनुमोदन के प्रभावी नहीं हो सकता। इसे देखते हुए सभी बीएसए को निर्देशित किया गया है कि अपने जनपद में यह सुनिश्चित करें कि निजी प्रबंधतंत्र द्वारा संचालित मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति एवं सेवा समाप्ति के संबंध में कोई कार्यवाही नियमावली 1975 एवं नियमावली 1978 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार ही की जाए।
लखनऊ। बेसिक शिक्षा से मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति व सेवा समाप्ति में अब प्रबंधतंत्र की मनमानी नहीं चलेगी। बेसिक शिक्षा निदेशक शुभा सिंह ने सभी बीएसए को इस संबंध में नियमावली के पालन के निर्देश दिए हैं। कहा गया है कि गड़बड़ी करने वाले प्रबंधतंत्र पर कड़ी कार्रवाई करें।
बेसिक शिक्षा निदेशक ने यह निर्देश शिक्षक संघ की आपत्ति के बाद जारी किए गए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि बीएसए जिले में यह सुनिश्चित करें कि निजी मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति व सेवा समाप्ति के संबंध में कोई भी कार्यवाही नियमावली- 1975 व नियमावली 1978 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार किया जाए। मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति व सेवा के संबंध में कोई भी कार्यवाही बीएसए के पूर्वानुमोदन के बिना नहीं की जा सकती।
शिक्षक संघ ने की थी शिकायत
उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी ने मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से शिकायत की थी कि मान्यता प्राप्त विद्यालयों में निर्धारित चयन प्रक्रिया अपनाए बिना शिक्षकों की नियुक्ति कर ली जाती है और बिना विहित प्रक्रिया अपनाए इन शिक्षकों को संस्था से बाहर भी कर दिया जाता है। गली-मोहल्लों में चल रहे ज्यादातर निजी स्कूलों में योग्य शिक्षक भी नहीं हैं। शिक्षकों का चयन भी बगैर किसी प्रक्रिया के किया जाता है।
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