इंटरमीडिएट पास मदरसा शिक्षक : छह साल का मौका पाकर भी नहीं हुए स्नातक, नौकरी गंवाई
लखनऊ : छह साल का मौका
मिलने पर भी स्नातक डिग्री लेने से गुरेज करने का खमियाजा 1100 मदरसा
शिक्षकों को भुगतना पड़ेगा। केंद्र सरकार ने इंटरमीडिएट पास मदरसा शिक्षकों
का मानदेय बंद कर दिया है। छह साल पहले केंद्र सरकार अनुदानित मदरसा
शिक्षकों की न्यूनतम अर्हता स्नातक निर्धारित की थी। राज्यों के अल्पसंख्यक
विभाग को इसका पालन कराने की हिदायत दी गयी थी, तब अल्पसंख्यक कल्याण
विभाग ने अनुदानित मदरसा प्रबंधकों को इंटरमीडिएट पास शिक्षकों को स्नातक
कराने का निर्देश दिया था। इस तकरीबन 1000 मदरसा शिक्षकों ने स्नातक डिग्री
हासिल कर ली मगर 1100 शिक्षकों ने डिग्री नहीं ली। अब उनकी छुट्टी हो गयी
है। अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ के निदेशक फैजुर्रहमान ने बताया कि
अनुदानित मदरसा संचालकों को ग्रेजुएट डिग्री दिलाने का निर्देश दिया था।
दूसरी ओर मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत अनुदान देती है। जिसके तहत
शिक्षकों की परास्नातक शिक्षक (12,000 रुपये), स्नातक शिक्षक (6,000 रुपये)
शिक्षक की दो श्रेणी बनायी गयी है।
खबर साभार : दैनिक जागरण
मदरसों से इंटर पास शिक्षकों की छुट्टी : केंद्र सरकार ने मानदेय किया पूरी तरह बंद, सरकार ने भी हाथ खड़े किए हाथ
यूपी में मदरसों की संख्या
- हाईस्कूल व उससे ऊपर- 2,026
- प्राइमरी व जूनियर- 6,500
- सरकारी अनुदान प्राप्त- 459
लखनऊ।
सूबे के मदरसों में पढ़ाने वाले इंटरमीडिएट शिक्षकों की छुट्टी हो गई है।
केंद्र सरकार ने इनका मानदेय पूरी तरह बंद कर दिया है। वहीं, प्रदेश सरकार
ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। राज्य सरकार ने सभी मदरसा शिक्षकों का मानदेय
बढ़ाया लेकिन इनके लिए शर्त लगा दी। कहा, अगर केंद्र मानदेय देगी तो प्रदेश
सरकार भी अपना अंश जोड़कर इन्हें बढ़ा हुआ मानदेय प्रदान कर देगी।
केंद्र
सरकार मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत प्रदेश के कई मदरसों को अनुदान देती
है। इसके तहत शिक्षकों को तीन तरह की श्रेणियों में बांटा गया था। इनमें
पहली श्रेणी पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक (12,000 रुपये), दूसरी श्रेणी ग्रेजुएट
शिक्षक (6,000 रुपये) व तीसरी श्रेणी इंटरमीडिएट शिक्षक (3,000 रुपये) की
थी। केंद्र सरकार ने इंटरमीडिएट शिक्षकों को अपनी अर्हता बढ़ाने के लिए चार
साल का समय भी दिया। इस दौरान कई शिक्षकों ने अपनी शैक्षिक अर्हता बढ़ाकर
स्नातक कर ली, लेकिन जो शैक्षिक अर्हता नहीं बढ़ा पाए उनके लिए संकट खड़ा
हो गया है।
मदरसों में आधुनिक विषय पढ़ाने
के लिए केंद्र सरकार की ओर से इन शिक्षकों को मानदेय दिया जाता है। लेकिन
केंद्र सरकार ने इंटरमीडिएट के शिक्षकों को मानदेय देना पूरी तरह बंद कर
दिया है। उनका मानना है कि जब स्नातक व परास्नातक के युवा मौजूद हैं तो
इंटरमीडिएट पास शिक्षकों से क्यों पढ़वाया जाए। वहीं,
प्रदेश
सरकार ने छह जनवरी को मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत पढ़ाने वाले शिक्षकों
के मानदेय बढ़ाने का जो शासनादेश जारी किया है उसमें भी परास्नातक व
स्नातक शिक्षकों का मानदेय क्रमश: 3000 व 2000 रुपये बढ़ाया है। वहीं,
इंटरमीडिएट शिक्षकों का मानदेय 1000 रुपये बढ़ाने की बात तो कही है लेकिन
यह शर्त भी लगा दी है कि जब केंद्र सरकार से इनका अनुदान आएगा, तभी प्रदेश
सरकार भी इन्हें 1000 रुपये बढ़ाकर मानदेय देगी।
केंद्र सरकार ने इंटरमीडिएट शिक्षकों का मानदेय देना बंद कर दिया है। इसलिए राज्य सरकार भी इन्हें मानदेय नहीं देगी। जिन शिक्षकों ने अपनी शैक्षिक योग्यता बढ़ा ली, उन्हें राहत मिल गई है लेकिन जो रह गए उन्हें अब मानदेय नहीं मिल सकेगा।-फैजुर्रहमान,
निदेशक
अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ
इंटरमीडिएट पास मदरसा शिक्षक : छह साल का मौका पाकर भी नहीं हुए स्नातक, नौकरी गंवाई
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:29 AM
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