बिना टीईटी शिक्षकों की नियुक्ति करने के मामले में बहराइच और प्रतापगढ़ के पूर्व बीएसए फंसते नजर आ रहे, प्रकरणों की फाइल जा रही खंगाली
इलाहाबाद : बिना टीईटी शिक्षकों की नियुक्ति करने के मामले में बहराइच और प्रतापगढ़ के पूर्व बेसिक शिक्षाधिकारी फंसते नजर आ रहे हैं। यूपी में 27 जुलाई 2011 को नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई)-09 लागू होने के बाद बिना टीईटी नियुक्ति के प्रकरण को लेकर शासन गंभीर है।राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए टीईटी को अनिवार्य कर दिया था। जबकि बहराइच में बिना टीईटी 43 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति 29 अगस्त 2011 को हुई। उस समय धर्मेन्द्र कुमार सक्सेना बहराइच के बीएसए थे।
धर्मेन्द्र कुमार सक्सेना जब आगरा के बीएसए थे तो उच्च प्राथमिक स्कूलों की शिक्षक भर्ती में मनमानी पर उन्हें सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा ने नोटिस दी थी। धर्मेन्द्र सक्सेना वर्तमान में बाध्य प्रतीक्षारत हैं। प्रतापगढ़ में भी 27 जुलाई 2011 के बाद चार शिक्षकों को नियुक्त किया गया। तब अशोकनाथ तिवारी प्रतापगढ़ के बीएसए थे। खास बात यह कि आरटीई लागू होने के बाद बिना टीईर्टी शिक्षकों की नियुक्ति करने से पहले इन अधिकारियों ने न तो प्रदेश सरकार से अनुमति ली और न ही विधिक राय ली। सूत्रों के अनुसार लखनऊ में इन प्रकरणों की फाइल खंगाली जा रही है। दोषी पाये जाने पर कार्रवाई होगी।
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