NCTE की अधिसूचना संख्या 366 की अवमानना का मामला : शिक्षकों के बिना टीईटी प्रमोशन पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय हुआ गंभीर, पदोन्नति में भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण होंने के मामले का संज्ञान लेने का निर्देश
नई भर्तियों में ही नहीं शिक्षकों की पदोन्नति में भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इसकी अनदेखी करके प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की उच्च प्राथमिक स्कूलों में पदोन्नति हो रही है। यह मामला मानव संसाधन विकास मंत्रलय तक पहुंच गया है और मंत्रलय के सचिव आलोक जवाहर ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राजप्रताप सिंह को इस मामले का संज्ञान लेने का निर्देश दिया है।
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालय की सीधी भर्तियों में टीईटी को अनिवार्य किया गया है। परिषद की ओर से उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान व गणित के 29334 शिक्षकों की नियुक्ति सीधी भर्ती से की गई थी। इसके बाद नियम बना है कि उच्च प्राथमिक स्कूलों में अब कोई सीधी भर्ती नहीं होगी, बल्कि शिक्षकों के रिक्त पद प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों की पदोन्नति से ही भरे जाएंगे। परिषद ने इधर स्कूलों में पदोन्नति करने के निर्देश हुए हैं, लेकिन इसमें एनसीटीई (राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद) के निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है।
असल में अधिसूचना संख्या 366 में कहा गया है कि शिक्षक की एक स्तर से अगले स्तर पर पदोन्नति की अनुसूची में 23 अगस्त 2010 के अनुसार निर्धारित न्यूनतम अर्हताएं लागू होंगी। इसमें शिक्षक को टीईटी उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया है, लेकिन अधिकांश पुराने शिक्षक यह परीक्षा उत्तीर्ण नहीं हैं, फिर भी उनकी पदोन्नति की जा रही है।
बीएड टीईटी उच्च प्राथमिक बेरोजगार संघ उप्र ने इसकी शिकायत मानव संसाधन विकास मंत्रलय से की है। उनका कहना है कि प्रदेश में बीएड व टीईटी उत्तीर्ण लाखों अभ्यर्थी मौजूद हैं, फिर भी बिना टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ दिया जा रहा है। इस शिकायत पर मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने प्रदेश के बेसिक शिक्षा महकमे को पत्र भेजकर प्रकरण का निस्तारण करने का निर्देश दिया है। बेरोजगार अभ्यर्थी इसे अपनी जीत मान रहे हैं और उम्मीद जता रहे हैं कि शासन इस संबंध में जल्द ही निर्देश जारी करेगा।
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