उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाएगा नया प्रावधान, प्राइमरी व माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरी करने में मिलेगी मदद, अब पढ़ाई के साथ दूसरों को पढ़ाना भी होगा जरूरी

 प्राइमरी व माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरी करने में मिलेगी मदद

अब पढ़ाई करने के साथ दूसरों को पढ़ाना भी जरूरी होगा। तभी कोई छात्र स्नातक की डिग्री पाने का हकदार होगा। इस तरह के नायाब प्रावधानों के आगामी आम बजट में घोषित किए जाने की उम्मीद है। उच्च शिक्षा
पाठ्यक्रमों में इसे आवश्यक रूप से शामिल किया जा सकता है। सरकारी प्राइमरी स्कूलों के साथ-साथ माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी को पूरा करने में जहां इससे बड़ी मदद मिल सकती है, वहीं अध्यापन के क्षेत्र में करियर बनाने के प्रति छात्रों की रुचि भी बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों से आसपास के शिक्षण संस्थानों में सहूलियत के हिसाब से अपनी सेवाएं देने की अपील कर चुके हैं। इसके सकारात्मक नतीजों को देखते हुए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रलय ने इस दिशा में कारगर पहल का मसौदा तैयार किया है। इसके मुताबिक, स्नातक पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत छात्रों को हर हाल में प्रति सप्ताह तीन घंटे का शिक्षण (टीचिंग) अनिवार्य होगा।
यह कोर्स एक महीने से लेकर तीन महीने का हो सकता है। बीएड की पढ़ाई में तो यह कार्य नियमित रूप से करना ही पड़ता है। लेकिन अब यह प्रावधान संभवत: सभी तरह के स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए होगा।

सालाना 2.75 करोड़ छात्र स्नातक में लेते हैं प्रवेश
देश में सालाना 2.75 करोड़ से अधिक छात्र स्नातक कक्षाओं में प्रवेश लेते हैं। इनमें 3.5 लाख इंजीनियरिंग के छात्र होते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल देश में लगभग 800 विश्वविद्यालय और 94 केंद्रीय विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं। जबकि लगभग 4000 कॉलेजों में स्नातक तैयार हो रहे हैं। इसी तरह 76 कृषि विश्वविद्यालयों और 1000 कृषि कॉलेजों में स्नातक छात्र दाखिला प्राप्त करते हैं।

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