जवाबदेही की डोर से बंधेंगे स्कूल, समग्र शिक्षा अभियान से जगी उम्मीद, अब हर बच्चे के सम्पूर्ण विकास पर होगा फोकस
जवाबदेही की डोर से बंधेंगे स्कूल, समग्र शिक्षा अभियान से जगी उम्मीद, अब हर बच्चे के सम्पूर्ण विकास पर होगा फोकस।
नई दिल्ली : पिछले कुछ सालों में स्कूली शिक्षा को लेकर हमारी जो नीति रही, उसके चलते ज्यादातर स्कूल मिड-डे मील सेंटर में तब्दील हो गए थे। जहां बच्चों के आने, खाने और जाने तक ही सारी गतिविधियां सीमित हो गई थीं। आठवीं तक बच्चों को फेल न करने की नीति से हालत और बिगड़ी। पढ़ाई छात्रों और शिक्षकों दोनों की ही प्राथमिकता से गायब हो गई। ज्यादातर स्कूलों में आठवीं के बच्चे तीसरी और दूसरी के गणित के सवाल नहीं हल कर पा रहे थे। इसी से आठवीं के बाद फेल होने की रफ्तार तेज हो गई।
सरकार ने छात्रों के पूर्ण विकास की एक योजना पर काम शुरू किया। हाल में समग्र शिक्षा अभियान लांच किया है। दावा है कि इससे स्कूलों की हालत सुधरेगी। जोर गुणवत्ता सुधारने पर है। छात्रों को कब-क्या आना चाहिए, इस पर पूरा जोर दिया गया है। लनिर्ंग आउटकम का मॉड्यूल विकसित किया गया है। इससे प्रत्येक छात्र और अध्यापक को जोड़ा जा रहा है। रटकर पास होने की प्रवृत्ति को खत्म करने की भी पहल की गई है। बच्चों में सोचने, समझने और कुछ नया करने की प्रवृत्ति को विकसित किया जा रहा है।
अटल टिंकरिंग लैब इसी से जुड़ी एक पहल है। ब्लैक बोर्ड को स्मार्ट बोर्ड से लैस करने और प्रत्येक स्कूल में पुस्तकालय और खेलने की सुविधाओं को जुटाने की पहल की गई है। यह पहल कारगर रही तो प्रत्येक छात्र के जीवन में कुछ बदलाव जरूर लगाएगी। सरकार ने 12 वीं के बाद पढ़ा रहे अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण देने की भी पहल की है। मार्च 2019 तक स्कूलों में पढ़ा रहे करीब 15 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित कर दिया जाएगा। अगर यह पूरा होता है तो सरकार स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए अपनी पीठ थपथपा पाएगी।
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