तीन दिन तक न शिक्षक चॉक उठायेंगे, न कर्मचारी कलम, पुरानी पेंशन के लिए 29 से 31 अगस्त तक कार्य बहिष्कार, जिलों से लेकर तहसीलों तक होगा प्रदर्शन, मुख्यमंत्री को भेजेंगे ज्ञापन
लखनऊ : अपने बुढ़ापे के सहारे यानी पेंशन की रकम बाजार के जोखिम के हवाले किए जाने से क्षुब्ध राज्य कर्मचारी और शिक्षक 29 से 31 तक कार्य बहिष्कार करके सरकार को अपनी ताकत दिखाएंगे। इन तीन दिनों में शिक्षकों ने चॉक और कर्मचारियों ने कलम न उठाकर विरोध दर्ज कराने की तैयारी की है। जिलों से लेकर तहसील स्तर तक इन तीन दिनों में होने वाले विरोध प्रदर्शनों में प्रदेश के करीब 12 लाख कर्मचारियों के साथ आठ लाख बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षकों के भी शामिल होने का दावा किया जा रहा है।
राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों ने नई पेंशन नीति पर असंतोष जताते हुए सरकार से न्यूनतम पेंशन गारंटी की मांग की है। केंद्रीय कर्मचारियों के साथ मिलकर प्रदेश के कर्मचारियों व शिक्षकों ने ‘कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच’ गठित करते हुए आंदोलन का चरणबद्ध कार्यक्रम भी तैयार कर लिया है। इसके तहत बीती नौ अगस्त को सभी जिलों में कर्मचारियों व शिक्षकों ने धरना देकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा था। इस ज्ञापन पर सुनवाई न होते देख मंच ने आंदोलन के अगले चरण की ओर कदम बढ़ा दिए हैं।
कर्मचारियों व शिक्षकों के मुताबिक तीन दिन तक सरकारी कामकाज व पढ़ाई रोककर सरकार से पेंशन की मांग पर ध्यान देने का आग्रह किया जाएगा। मंच के संयोजक हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि 29 से 31 अगस्त तक कर्मचारी और शिक्षक कार्यस्थलों पर तो जाएंगे पर काम नहीं करेंगे। तिवारी के मुताबिक वर्ष 2003 तक कर्मचारियों को उनके कुल वेतन का 90 फीसद हिस्सा हर महीने मिलता था, जबकि बाकी 10 फीसद की रकम पेंशन के लिए सरकार के पास जाती थी।
नई व्यवस्था में कर्मचारियों के 10 फीसद अंशदान के साथ अपने हिस्से से भी इतनी रकम मिलाकर इसे शेयर बाजार में लगा रही है। इससे कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन की रकम बाजार पर निर्भर हो गई है। मंच पदाधिकारियों ने बताया कि तीन दिन के कार्य बहिष्कार के बाद भी सुनवाई न होने पर आठ अक्टूबर को लखनऊ में प्रांतीय रैली और 25 से 27 अक्टूबर तक हड़ताल की जाएगी।
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