विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने एवं ड्रॉप आउट को कम करने के सम्बन्ध में

शिक्षकों और बच्चों को उलझाएगा 35 का अंक, बेसिक शिक्षा में बदले गए आउट ऑफ स्कूल के मानक, बढ़ी चिंता

35 फीसदी से कम अंक वाले बच्चों के लिए होंगे विशेष प्रयास, विशेष रणनीति बनी, शिक्षकों को इनपर देना होगा ज्यादा ध्यान

क्या है आउट ऑफ स्कूल❓

बेसिक स्कूलों में 'आउट ऑफ स्कूल' की संज्ञा उन बच्चों को दी जाती है, जो एडमिशन लेने के बाद किन्हीं कारणों से स्कूल छोड़ चुके हैं। शिक्षा से वंचित श्रेणी में रखकर इन बच्चों को स्कूल लौटाने के लिए समय-समय पर अभियान भी चलाए जाते हैं। स्कूल में ऐसे बच्चों के लिए रिफ्रेशर कोर्स आदि चलाए जाते हैं।


बेसिक स्कूलों के शिक्षकों के साथ बच्चों को भी अब 35 का आंकड़ा सताएगा। बेसिक शिक्षा महानिदेशक की तरफ से जारी आदेश में 'ऑउट ऑफ स्कूल' के मानक संशोधित किए गए हैं। अब वार्षिक या निपुण असेसमेंट टेस्ट में 35 फीसदी से कम अंक पाने वाले बच्चों को आउट ऑफ स्कूल माना जाएगा। एक सत्र में 30 दिन से ज्यादा अनुपस्थित रहने वाले भी इसी श्रेणी में रखे जाएंगे। ऐसे बच्चों को सिखाने के लिए विशेष कक्षाएं चलानी होंगी।

बेसिक स्कूलों में 'आउट ऑफ स्कूल' श्रेणी में अब तक उन बच्चों को रखा जाता था जो एक सत्र में 45 दिन से ज्यादा अनुपस्थित रहे हों। इस बार इसे बदलकर 30 दिन कर दिया गया है। इसके अलावा वार्षिक या निपुण असेसमेंट टेस्ट में 35 फीसदी से कम अंक लाने वाले बच्चों को भी आउट ऑफ स्कूल मानकर उनके लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। बच्चा यदि बिना सूचना एक साथ तीन दिन से ज्यादा अनुपस्थित रहता है या महीने में छह दिन से ज्यादा उसकी अनुपस्थिति है, तो शिक्षक उसके घर जाएंगे। जरूरत पड़ने पर उसके अभिभावकों की भी काउंसिलिंग की जाएगी।

आउट ऑफ स्कूल श्रेणी में आने के बाद बच्चे की शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए भी विशेष प्रयास किए जाएंगे। प्रधानाध्यापकों के साथ विषयों के शिक्षक भी बच्चों पर अलग से ध्यान देंगे और उनके कमजोर पहलुओं पर काम करेंगे। 




अब 35% से कम अंक पर भी आउट ऑफ स्कूल, वार्षिक परीक्षा और निपुण टेस्ट में 35% अंक पाना अनिवार्य

प्रयागराज । प्रदेश के 1.21 लाख परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में छह से 14 वर्ष आयु के छात्र या छात्रा को अब एक शैक्षिक सत्र में 30 संचयी दिनों से अधिक अनुपस्थित होने और वार्षिक परीक्षा या निपुण असेसमेंट टेस्ट (नैट) में 35 फीसदी से कम अंक लाने पर बिना विद्यालय का (आउट ऑफ स्कूल) माना जाएगा। प्रदेश सरकार ने आउट ऑफ स्कूल की परिभाषा में परिवर्तन कर दिया है।

परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने और ड्रॉप आउटको कम करने के उद्देश्य से अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार की ओर से 15 मई को जारी शासनादेश में यह अहम बदलाव किया गया है।

छह जुलाई 2024 को जारी शासनादेश में जो परिभाषा थी उसके अनुसार छह से 14 वर्ष के किसी बच्चे को आउट ऑफ स्कूल तब माना जाता था जब वह प्रारंभिक विद्यालय में कभी नामांकित न हो या नामांकन के बाद अनुपस्थिति के कारणों की पूर्व सूचना के बिना विद्यालय से निरंतर 45 दिन या उसे अधिक अवधि तक अनुपस्थित रहा हो।



तीन दिन अनुपस्थित रहा बच्चा तो घर जाएगी बुलावा टोली,  30 दिन से अधिक अनुपस्थित रहने पर छात्र माना जाएगा ड्रॉप आउट, संशोधित आदेश जारी

लखनऊ। प्रदेश में नए सत्र 2025-26 में परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ाने की चल रही कवायद के बीच शासन ने उपस्थिति बढ़ाने व ड्रॉप आउट कम करने के लिए पूर्व में जारी आदेश को संशोधित कर दिया है। इसके तहत अब बच्चा बिना कारण तीन दिन अनुपस्थित रहता है तो बुलावा टोली उसके घर जाकर संपर्क करेगी। परिषदीय विद्यालयों में उपस्थिति बढ़ाने व ड्रॉप आउट कम करने के साथ ही बच्चे के लिए उपचारात्मक कक्षाएं भी चलेंगी। 



शासन की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि कोई बच्चा छह या छह दिन से ज्यादा अनुपस्थित रहता है तो प्रधानाध्यापक उसके घर जाकर संपर्क करेंगे। बच्चे के स्कूल वापस आने तक लगातार फॉलोअप करेंगे। साथ ही बच्चे के अभिभावक की काउंसिलिंग भी की जाएगी। यदि बच्चा 10 दिन से अधिक अनुपस्थित रहता है तो शिक्षक-अभिभावक बैठक में माता-पिता की काउंसिलिंग कराई जाएगी। 

अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सभी डीएम को जारी आदेश में कहा है कि यदि बच्चा नौ महीने में 21 दिन से अधिक अनुपस्थित रहा है तो उसके कारणों का विश्लेषण कर उसे दूर करने का प्रयास किया जाए। यदि बच्चा 30 दिन से अधिक अनुपस्थित रहता है और नैट मूल्यांकन में 35 से कम अंक पाता है तो उसके अभिभावक की काउंसिलिंग की जाएगी। ऐसे बच्चे को ड्रॉप आउट मानते हुए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने शासन की ओर से जारी निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा है।




विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने एवं ड्रॉप आउट को कम करने के सम्बन्ध में









विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने एवं ड्रॉप आउट को कम करने के सम्बन्ध में Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 7:17 AM Rating: 5

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