पुनर्मूल्यांकन से संदेह का कुहासा छंटने में संशय, पारदर्शिता के नाम पर सरकार की ओर से उठाया गया कदम अधूरा, नौकरी पा चुके अभ्यर्थी फेल होने का अंदेशे में क्यों कराएंगे पुनर्मूल्यांकन?
पुनर्मूल्यांकन से संदेह का कुहासा छंटने में संशय, पारदर्शिता के नाम पर सरकार की ओर से उठाया गया कदम अधूरा, नौकरी पा चुके अभ्यर्थी फेल होने का अंदेशे में क्यों कराएंगे पुनर्मूल्यांकन?
इलाहाबाद : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा परिणाम में गड़बड़ियां भले ही गिनती की हों लेकिन आरोप अनगिनत हैं। इसका पटाक्षेप करने के लिए शासन ने कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराने की पहल की है। पारदर्शिता के नाम पर सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम अधूरा है, क्योंकि भर्ती पर उठ रहे कई सवालों के जवाब इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद भी नहीं मिलेंगे।
शिक्षकों की भर्ती के लिए 27 मई को हुई लिखित परीक्षा में 107869 अभ्यर्थी बैठे थे। 13 अगस्त को जारी रिजल्ट में 41556 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए। भर्ती के शासनादेश में रिजल्ट के बाद कॉपी जांचने, स्क्रूटनी आदि का प्रावधान न होने पर भी शासन ने कॉपियों की स्क्रूटनी कराकर उच्च स्तरीय जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट की मानें तो पूर्व में उत्तीर्ण घोषित हुए 53 अभ्यर्थी स्क्रूटनी के आधार पर फेल हो रहे हैं। वहीं 51 अभ्यर्थी जो पहले फेल घोषित किये गए थे, अब उत्तीर्ण हो रहे हैं। फेल हो रहे अभ्यर्थियों की कॉपियों के साथ शासन उन अभ्यर्थियों को भी अपनी कॉपी का पुनमरूल्यांकन कराने का मौका दे रहा है जो रिजल्ट से सहमत नहीं है। इसका पांच अक्टूबर को नया शासनादेश जारी हुआ है।
शासन उन 53 अभ्यर्थियों की कॉपियों की जांच तो कराएगा जो स्क्रूटनी में फेल हो रहे हैं लेकिन ऐसे ही अन्य अभ्यर्थी अपनी कॉपी की जांच क्यों कराएंगे जो नौकरी पा चुके हैं लेकिन जिन्हें पुनर्मूल्यांकन में फेल होने का अंदेशा है।
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