किताबों में बंद होगा वाटरमार्क पेपर का इस्तेमाल, ..अगले सत्र में समय से बच्चों को किताबें मिलने की उम्मीद जगी
किताबों में बंद होगा वाटरमार्क पेपर का इस्तेमाल, ..अगले सत्र में समय से बच्चों को किताबें मिलने की उम्मीद जगी
ताकि अगले सत्र में समय से मिल सकें बच्चों को किताबें
बच्चों को बांटी जाने वाली किताबों में बंद होगा वाटरमार्क पेपर का इस्तेमाल
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को अगले शैक्षिक सत्र की शुरुआत में ही किताबें मिल जाएं, बेसिक शिक्षा विभाग इसकी कवायद में जुट गया है। इसके लिए अगले सत्र से पाठ्यपुस्तकों की छपाई में वाटरमार्क कागज का इस्तेमाल बंद करने का इरादा है। इससे किताबों की छपाई के लिए कागज हासिल करने के ज्यादा विकल्प उपलब्ध होंगे। प्रतिस्पर्धा बढ़ने से कम रेट पर किताबों की छपाई भी हो सकेगी। बेसिक शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव पर मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में मुहर लग सकती है।
सरकारी और सहायताप्राप्त स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को सरकार मुफ्त में किताबें देती है। इन किताबों में वाटरमार्क कागज का इस्तेमाल होता है। वाटरमार्क कागज बनाने वाली चुनिंदा कंपनियां हैं। पहले सरकार ही किताबों की छपाई के लिए प्रकाशकों को रियायती दर पर वाटरमार्क कागज मुहैया कराती थी। उस कागज पर वाटरमार्क इसलिए होता था ताकि प्रकाशकों द्वारा उसे बाजार में बेचा न जा सके। बाद में यह व्यवस्था बंद हो गई और जिन प्रकाशकों को किताबों की छपाई के लिए ठेके दिये जाने लगे, वे सीधे उत्पादक कंपनियों से कागज खरीदने लगे। वाटरमार्क कागज कुछ चुनिंदा कंपनियां बनाती थीं, इसलिए उनकी उपलब्धता के स्नोत कम हैं। इससे उत्पादक कंपनियों में बाजार पर एकाधिकार की प्रवृत्ति भी पैदा हो गई। साथ ही, वाटरमार्क कागज की आपूर्ति में बिचौलिए हावी हो गए। इससे कई ऐसे प्रकाशक जिन्हें किताबों की छपाई का ठेका मिलता था, उन्हें वाटरमार्क कागज नहीं उपलब्ध हो पाता है। किताबों की छपाई में शामिल प्रकाशकों की संख्या में कमी आयी है। कुछ साल पहले जहां किताबों की छपाई के लिए 35-40 प्रकाशक आगे आते थे, वहीं अब उनकी संख्या घटकर दहाई अंक के नीचे आ गई है। प्रकाशकों की संख्या घटने से किताबों की छपाई में भी समय ज्यादा लगता है। वाटरमार्क की बंदिश खत्म करने से किताबों के कागज की गुणवत्ता नहीं प्रभावित होगी क्योंकि मानक वही रहेंगे जो अब हैं। सिर्फ वाटरमार्क, जो दरअसल कंपनी का लोगो होता है, वह नहीं रहेगा। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बच्चों को बांटी जाने किताबों में वाटरमार्क का इस्तेमाल नहीं होता है। लिहाजा बेसिक शिक्षा विभाग अब इसकी तैयारी कर रहा है ताकि अमले साल नया सत्र शुरू होते ही बच्चों के हाथों में किताबें पहुंच जाएं।’ कागज की आपूर्ति के ज्यादा विकल्प मिलेंगे, बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा1
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