बस्ते का बोझ हुआ कम, कक्षा 1 व 2 के बच्चों को होमवर्क से मिली मुक्ति, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सर्कुलर जारी कर लगाई मनमानी पर लगाम
बस्ते का बोझ हुआ कम, कक्षा 1 व 2 के बच्चों को होमवर्क से मिली मुक्ति, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सर्कुलर जारी कर लगाई मनमानी पर लगाम।
नई दिल्ली : बच्चों के स्कूल बैग के बढ़ते वजन पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने गंभीरता दिखाई है। मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र भेजकर स्कूल बैग का वजन तय करने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के हिसाब से स्कूल बैग का वजन तय करने और छोटी क्लास में क्या पढ़ाया जाना है, इसके लिए गाइडलाइंस बनाई जाएं।
मंत्रालय ने मत्र में कहा है कि छोटे बच्चों के बैग का वजन डेढ़ किलो और दसवीं के बच्चों के बैग का वजन पांच किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसके अलावा पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों को केवल गणित और भाषा पढ़ाने को कहा है, जबकि तीसरी से पांचवीं कक्षा के छात्रों को गणित, भाषा और सामान्य विज्ञान ही पढ़ाने का निर्देश दिया गया है। इसे राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से मान्यता मिली है। इसके अलावा मंत्रालय ने पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों का होमवर्क खत्म करने को भी कहा है।
स्कूली बैग के बढ़ते बोझ का मामला सबसे पहले 1993 में यशपाल कमिटी ने उठाया था। कमिटी ने प्रस्ताव रखा था कि पाठ्यपुस्तकों को स्कूल की संपत्ति समझा जाए और बच्चों को स्कूल में ही किताब रखने के लिए लॉकर्स अलॉट किए जाएं। कमिटी ने छात्रों के होमवर्क और क्लासवर्क के लिए भी अलग टाइम-टेबल बनाने की मांग रखी थी, ताकि बच्चों को रोजाना किताबें घर न ले जानी पड़ें। इसके बाद नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) ने 2005 में एक सर्कुलर जारी कर कई सुझाव दिए थे। एनसीएफ-2005 के आधार पर एनसीईआरटी ने नए सिलेबस और किताबें तैयार कीं, जिसे सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों ने अपनाया। कई राज्यों ने एनसीएफ-2005 के आधार पर अपने सिलेबस और किताबों में बदलाव किया। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय नियम के मुताबिक, बच्चों के कंधों पर उनके कुल वजन से 10% ज्यादा वजन नहीं होना चाहिए।
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