प्रतियोगी परीक्षाओं में लगातार गलत प्रश्न-उत्तरों की वजह से अटक रहीं भर्तियां, बेरोजगारों के लिए नासूर बन गए परीक्षाओं के गलत प्रश्न

प्रतियोगी परीक्षाओं में लगातार गलत प्रश्न-उत्तरों की वजह से अटक रहीं भर्तियां,  बेरोजगारों के लिए नासूर बन गए परीक्षाओं के गलत प्रश्न

सवाल करवा रहे बवाल, टीईटी से लेकर शिक्षक भर्ती तक हर परीक्षा में पूछे गए गलत या विवादित सवाल

परीक्षा कराने वाली संस्थाओं पर उठ रहे सवाल, गलत सवालों की वजह से लगे सवालिया निशान, कोर्ट की ओर से विवादित प्रश्नों की जांच के लिए कमेटी भी हुई गठित


लखनऊ : प्रदेश के बुधवार को 75 जिलों में शिक्षक बनने का सपना लिए करीब 68 हजार अभ्यर्थी काउंसलिंग के लिए पहुंचे। किसी ने मेरठ से महराजगंज का सफर तय किया था तो किसी ने गाजियाबाद से गोरखपुर का। कुछ इसलिए खुशी से फूले नहीं समा रहे थे कि उन्हें गृह जिले में ही नौकरी मिल जाएगी। कोरोना संकट काल में उपजी उम्मीद पर हाई कोर्ट से चला एक आदेश चस्पा हो गया। 


उन्हें मापूस चेहरा लेकर उलटे पांव घर लौटना पड़ा। इन अभ्यर्थियों का दोष इतना है कि उनके भविष्य के प्रति जवाबदेही उन भर्ती संस्थाओं की है, जिन्हें सवाल तक पूछना नहीं आता। हाई कोर्ट ने 69,000 शिक्षक भर्ती में पूछे गए 6 सवालों के जवाब संदी गा पाए जाने के बाद नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। लेकिन यह पहली भर्ती या प्रतियोगी परीक्षा नहीं है, जिसका भविष्य गलत सवालों के फंदों में घुटा हो। 2017 से लेकर 2019 तक हुई हर शिक्षक पात्रता परीक्षा या शिक्षक भर्ती में गलत या विवादित सवाल पूछे गए हैं। दो बार तो हाई कोर्ट के आदेश बाद टीईटी के संशोधित रिजल्ट जारी हुए, जिसमें कुल 23 हजार से अधिक अभ्यर्थी सफल घोषित हुए। 


यूपी लोक सेवा आयोग में 2016 से लेकर 2018 तक पीसीएस परीक्षाओं में गलत 68.500 शिक्षक भर्ती : 150 सवालों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। 68,500 शिक्षक भर्ती में 20% सवाल एक से सवालों में 33 सवाल ऐसे पूछे गए जिन अधिक जवाब बाले थे। मोटे मानदेय, जारी पर पत्तियों के बाद एक से अधिक भरकम डिग्रियों से लैस विशेषज्ञों की टीम में ढंग से सवाल पूछने तक की भी काबिलियत नहीं है। भर्ती व प्रतियोगी परीक्षाओं के आंकड़े तो यही कहते हैं। 


प्रयागराज | 04 Jun 2020
भर्ती परीक्षाओं में पूछे जाने वाले गलत प्रश्न बेरोजगारों के लिए नासूर बन गए हैं। पहले तो कोई भर्ती जल्दी शुरू नहीं होती और किसी तरह शुरू हो भी जाए तो उनमें पूछे जाने वाले गलत प्रश्न उसे जल्दी पूरा नहीं होने देते। बात चाहें प्राइमरी स्कूल में शिक्षक भर्ती की हो या फिर प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस, हर भर्ती में प्रश्नों का विवाद बना रहता है। सवाल है कि ये संस्थान विशेषज्ञ कहां से लाती है जो उस परीक्षा में पूछे जाने वाले 100-150 सवाल सही नहीं पूछ पाते। इन विवादों का सबसे अधिक नुकसान प्रतियोगी छात्रों को उठाना पड़ता है।



शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2017 और 2018 में विवादित प्रश्नों को लेकर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं की थी। सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रवक्ता और सहायक अध्यापक पद पर भर्ती करने वाले उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग की शायद ही कोई ऐसी भर्ती हो जिसमें प्रश्नों का विवाद न हुआ हो और बाद में परिणाम संशोधित न करना पड़ा हो। 


उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस प्री 2017 और पीसीएस प्री 2016 समेत सात भर्ती परीक्षाओं में इस प्रकार का विवाद सामने आ चुका है। पीसीएस जे प्री 2013 परीक्षा में 15 प्रश्नों को लेकर विवाद हुआ था। परीक्षार्थियों की अपील पर आयोग ने विशेषज्ञ समिति गठित कर परीक्षण करवाया था और परीक्षार्थियों की आपत्ति सही पाए जाने पर हाईकोर्टने परिणाम बदले जाने के आदेश दिए थे। 


आयोग ने 19 दिसंबर 2013 को संशोधित परिणाम जारी किया था। समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी भर्ती 2013 में गलत प्रश्नों को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने सितंबर 2014 में आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव को कोर्ट में तलब किया था।
प्रतियोगी परीक्षाओं में लगातार गलत प्रश्न-उत्तरों की वजह से अटक रहीं भर्तियां, बेरोजगारों के लिए नासूर बन गए परीक्षाओं के गलत प्रश्न Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 6:54 AM Rating: 5

No comments:

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.