मुख्य सचिव बताएं - शिक्षा विभाग के इतने मुकदमे क्यों लंबित हैं? न्यायालय एवं आदेशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है : हाईकोर्ट

मुख्य सचिव बताएं - शिक्षा विभाग के इतने मुकदमे क्यों लंबित हैं? न्यायालय एवं आदेशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है : हाईकोर्ट


हाईकोर्ट ने कहा - तेजी से निर्णय लेने वाले कुशल और सक्षम अधिकारियों को ही किया जाए तैनात


प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा संपादित किए जाने वाले कार्यों पर नाराजगी जताते हुए सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि शिक्षा विभाग में इतनी बड़ी संख्या में मुकदमे क्यों लंबित हैं? मातहतों द्वारा न्यायालय एवं आदेशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है? 


अधिकतर मामले में पाया जाता है कि ये अधिकारी अक्षम हैं, उन्हें कम से कम काम के साथ डेस्क पर रखा जाना चाहिए। कुशल और सक्षम अधिकारियों को काम की जगह तैनात किया जाना चाहिए, जो निर्णय तेजी से ले सकें। कोर्ट ने रजिस्ट्रार को 72 घंटे में मुख्य सचिव को आदेश से अवगत कराने को कहा निर्देश दिया है कि मुख्य सचिव अपनी रिपोर्ट रजिस्ट्रार के माध्यम से कोर्ट केसमक्ष प्रस्तुत करेंगे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 24 जुलाई की तिथि निर्धारित की है। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने राकेश देवी उर्फ राकेश कुमारी की ओर से दाखिल  अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।


अफसरों की अक्षमता से बढ़ रहीं अवमानना याचिकाएं: 

कोर्ट ने कहा कि हाल के दिनों में शिक्षा विभाग की ओर से अवमानना याचिकाओं की संख्या बढ़ी है। कोर्ट  ने कहा कि आदेशों का पालन न होने के कारण राज्य सरकार के 20-25 अधिकारी न्यायालय के समक्ष पेश हो रहे हैं। ऐसा राज्य सरकार के अधिकारियों की अक्षमता और निर्णय न ले पाने में सक्षम न होने की वजह से हो रहा है। 


कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को अपने सार्वजनिक कर्तव्य निभाने की आवश्यकता है और दुर्लभ मामलों में अदालत में उनकी उपस्थिति आवश्यक होती है, लेकिन आदेशों का पालन नहीं होने के कारण न्यायालय के पास उन्हें बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के कार्यान्वयन के संबंध में व्यापक योजना तैयार करने के लिए और एक तंत्र विकसित करें, ताकि किसी विशेष मामले में दिए गए निर्णय के बारे में जानकारी प्राप्त होने पर त्वरित निर्णय लिया जा सके।


ईमेल से भी भेजी जाएं सूचनाएं
कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट में पदस्थापित विधि विभाग के अधिकारियों द्वारा कानूनी सलाहकार के कार्यालय के साथ-साथ संबंधित विभाग को निर्णय के 24 घंटे के भीतर ई-मेल के माध्यम से सूचना भेजने के लिए एक तंत्र विकसित किया जाए।



यह है मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 जुलाई 2021 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निष्पादित किए गए वाद ऊषा रानी बनाम यूपी राज्य के आधार पर आगरा निवासी याची राकेश देवी उर्फ राकेश कुमारी द्वारा दाखिल याचिका का निस्तारण कर ग्रेच्युटी भुगतान का निर्देश दिया था कई अन्य याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने यही आदेश पारित किया है। मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दाखिल की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।


 याची ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन न होने पर अवमानना याचिका दाखिल की। कोर्ट ने ब्याज केसाथ ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश दिया, लेकिन उसका अनुपालन नहीं हुआ याची की ओर से अवमानना याचिका दाखिल की गई। अवमानना में आगरा के खंड शिक्षाधिकारी को तलब किया था। सुनवाई के दौरान वह कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने बताया कि याची की ग्रेच्युटी दिए जाने के मामले में उनकी ओर से बेसिक शिक्षाधिकारी को समक्ष भेज दिया गया है।


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