प्रदेश भर में 666 अशासकीय प्राथमिक एवं जूनियर विद्यालयों के मान्यता प्रकरण बिना किसी कार्यवाही के निरस्त हो जाने पर 72 जनपदों के बीएसए से स्पष्टीकरण तलब
प्रदेश भर में 666 अशासकीय प्राथमिक एवं जूनियर विद्यालयों के मान्यता प्रकरण बिना किसी कार्यवाही के निरस्त हो जाने पर 72 जनपदों के बीएसए से स्पष्टीकरण तलब।
मान्यता प्रकरणों पर केवल 3 जिलों की सक्रियता, फिसड्डी 72 जिलों के बीएसए से जवाब तलब
लापरवाही : मान्यता के 666 प्रकरणों को बिना किसी कारण से निरस्त करने पर 72 जिलों के बीएसए से मांगा जवाब
लखनऊ,। अब बेसिक शिक्षा अधिकारी बताएंगे कि उन्होंने 666 स्कूलों को मान्यता किस कारण से नहीं दी। 31 मार्च तक बेसिक शिक्षा परिषद से मान्यता के लिए कक्षा एक से आठ तक के लिए प्रस्ताव मांगे गए थे लेकिन इनमें से 666 प्रकरणों को बिना किसी कारण से निरस्त कर दिया गया। अब बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने सभी बीएसए से स्पष्टीकरण तलब किया है।
केवल खीरी, झांसी व हमीरपुर ऐसे जिले हैं, जहां ऐसा कोई प्रकरण नहीं है। इन 666 में 320 प्रकरण प्राइमरी स्कूलों के और 346 प्रकरण जूनियर हाईस्कूलों के हैं। 26 जिले ऐसे हैं, जहां 10 से ज्यादा ऐसे प्रस्ताव निरस्त हुए हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले प्रयागराज के हैं। यहां 17 प्राइमरी व 24 जूनियर स्कूलों के प्रकरण निरस्त किए गए हैं। वहीं देवरिया में 39 और वाराणसी में 31 प्रस्ताव बिना कार्रवाई के निरस्त किए गए हैं। इसके अलावा मुरादाबाद में 28, संभल में 27 और आगरा में 22 प्रकरण ऐसे हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
मान्यता के प्रस्ताव बिना कारण बताए ही निरस्त कर दिए गए हैं तो कई प्रस्ताव समयसीमा गुजर जाने पर स्वत: निरस्त हो गए हैं। शिक्षा निदेशक ने कहा है कि यह सरकारी कामों के प्रति उदासीनता का द्योतक है।
मान्यता पोर्टल पर बीती 31 मार्च तक मान्यता सम्बन्धी आनलाइन प्रकरणों का निस्तारण न किए जाने पर बेसिक शिक्षा निदेशक ने बीएसए से स्पष्टीकरण तलब किया है। अशासकीय प्राथमिक एवं जूनियर हाईस्कूल विद्यालयों की नवीन मान्यता के सम्बन्ध में मान्यता पोर्टल के जरिए आवेदनों का निस्तारण निर्धारित अवधि के भीतर किया जाना था। शिक्षा निदेशलय इस मामले में खासा गंभीर है।
बेसिक शिक्षा निदेशक ने मान्यता पोर्टल पर 31 मार्च की अवधि के आधार पर समीक्षा की तो पाया कि अधिकांश जनपदों द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर मान्यता प्रकरणों का निस्तारण नहीं किया गया है। दरअल विडंबना यह भी रही कि कुछ जिलों द्वारा अंतिम तिथि को मान्यता सम्बन्धी प्रकरण बिना कोई कारण बताए निरस्त कर दिया गया। जबकि अनेक अवधि बीतने के बाद स्वत: निरस्त हो गए। ऐसे हालात में अब शिक्षा निदेशक ने उन जिलों के बीएसए से स्पष्टीकरण मांगा है जहां निर्धारित समय सीमा के बाद मान्यता प्रकरणों को निरस्त किया गया है।
निरस्तीकरण का कारण भी नहीं बताया
मजे की बात यह है कि कई जिलों में मान्यता प्रकरणों को बिना कारण बताए ही निरस्त कर दिया गया। यह बात बेसिक शिक्षा निदेशक को नागवार गुजरी है। उन्होंने इसे शासकीय कार्यों के प्रति उदासीनता परिलक्षित होना व खेदजनक माना है।
जनहित गारंटी अधिनियम में शामिल हैं प्रकरण
मान्यता सम्बन्धी प्रकरणों को जनहित गारंटी अधिनियम 2011 के अन्तर्गत सम्मिलित करते हुए आनलाइन पोर्टल के माध्यम से निर्धारित एक माह की समय सीमा में निस्तारित किए जाने का प्रावधान है। यह पोर्टल मुख्यमंत्री कार्यालय के पोर्टल दर्पण से भी लिंक है। जिसकी प्रत्येक माह समीक्षा की जाती है।
प्रदेश भर में 666 अशासकीय प्राथमिक एवं जूनियर विद्यालयों के मान्यता प्रकरण बिना किसी कार्यवाही के निरस्त हो जाने पर 72 जनपदों के बीएसए से स्पष्टीकरण तलब
Reviewed by sankalp gupta
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8:38 AM
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