सुधार की होड़ बढ़ी तो बदलने लगी स्कूलों की सूरत, राज्यों में सुधार की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी
UDISE+ रिपोर्ट : 21-22 के शैक्षणिक सत्र में 66 फीसदी स्कूलों के पास नहीं था इंटरनेट
शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में कोविड-19 महामारी को देखते हुए शिक्षा प्रणाली ने ऑनलाइन तरीके से काम किया.
भारत में स्कूली शिक्षा के लिए एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (यूडीआईएसई-प्लस) की 2021-22 की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 14,89,115 स्कूलों में से कम से कम 55.5 फीसदी में कंप्यूटर की सुविधा नहीं थी. 2021-22 के शैक्षणिक वर्ष में 66 फीसदी स्कूल इंटरनेट के बिना थे. उस दौरान कोविड-19 महामारी के कारण शिक्षा प्रणाली ऑनलाइन थी.
गुरूवार को जारी यूडीआईएसई-प्लस की रिपोर्ट सरकारी और निजी स्कूलों के स्वैच्छिक आंकड़ों पर आधारित है. रिपोर्ट में कहा गया है कि शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में केवल 6,82,566 स्कूलों में कंप्यूटर थे, जबकि उनमें से 5,04,989 में इंटरनेट की सुविधा थी.
रिपोर्ट ने स्कूलों के बीच डिजिटल दरार पर प्रकाश डाला है. रिपोर्ट के मुताबिक केवल 2.2 फीसदी स्कूलों में डिजिटल पुस्तकालय थे और उनमें से केवल 14.9 प्रतिशत के पास "स्मार्ट क्लासरूम" थे, जिनका इस्तेमाल डिजिटल बोर्ड, स्मार्ट बोर्ड और स्मार्ट टीवी के साथ पढ़ाने के लिए किया जाता है.
यही नहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि 10.6 फीसदी स्कूलों में बिजली नहीं थी और 23.04 फीसदी स्कूलों में खेल के मैदान नहीं थे. जबकि 12.7 प्रतिशत के पास पुस्तकालय और पढ़ने के कमरे नहीं थे.
कोरोना काल में 20 हजार से ज्यादा स्कूल बंद हुए, UDISE+ की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
शिक्षकों की संख्या में 1.95 फीसदी की गिरावट : शिक्षा मंत्रालय
प्राथमिक, उच्च माध्यमिक विद्यालयी शिक्षा स्तर पर दाखिलों में इजाफा : रिपोर्ट
नई दिल्ली : देश भर में 2020-21 (कोरोना काल) के दौरान 20,000 से अधिक स्कूल बंद हो गए, जबकि शिक्षकों की संख्या में भी पिछले वर्ष की तुलना में 1.95 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। शिक्षा मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
भारत में स्कूली शिक्षा के लिए एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (यूडीआईएसई-प्लस) की 2021-22 की रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया कि सिर्फ 44.85 प्रतिशत विद्यालयों में कंप्यूटर सुविधा है, जबकि करीब 34 प्रतिशत में इंटरनेट कनेक्शन है। गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया, 2021-22 में स्कूलों की कुल संख्या 14.89 लाख है, जबकि 2020-21 में इनकी संख्या 15.09 लाख थी।
स्कूलों की संख्या में गिरावट का कारण
स्कूलों की संख्या में गिरावट मुख्य रूप से निजी और अन्य प्रबंधन के तहत आने वाले विद्यालयों के बंद होने के कारण है। इसमें कहा गया कि सिर्फ 27 प्रतिशत विद्यालयों में ही विशेष जरूरत वाले बच्चों (सीएसडब्ल्यूएन) के लिए शौचालय है। उनमें से 49 प्रतिशत में रैंप और उस पर चढ़ने के लिए सहारा देने की सुविधा बनाई गई है। नामांकन पर कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव का विवरण देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड का प्रभाव हालांकि सभी पर पड़ा है। यह विशेष रूप से पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं जैसे छोटे और संवेदनशील बच्चों के नामांकन में देखा गया है। इस गिरावट की वजह कोविड-19 के कारण दाखिलों को स्थगित रखा जाना हो सकता है।
स्कूलों में कुल 25.57 करोड़ छात्रों का नामांकन
रिपर्ट में कहा गया कि 2021-22 में प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक तक स्कूलों में कुल 25.57 करोड़ छात्रों का नामांकन हुआ, जबकि वर्ष 2020-21 में 25.38 करोड़ छात्रों ने नामांकन कराया था। इसमें कहा गया कि इस तरह नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या में 19.36 लाख की बढ़ोतरी दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 की तुलना में 2021-22 में शिक्षकों की कुल संख्या में भी 1.95 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसमें कहा गया है कि 2021-22 में शिक्षकों की कुल संख्या 95.07 लाख थी, जो 2020-21 में 97.87 लाख थी।
---------------------------------------------------------------
प्राथमिक, उच्च माध्यमिक विद्यालयी शिक्षा स्तर पर दाखिलों में इजाफा : रिपोर्ट
कोविड-19 के कारण पूर्व-प्राथमिक वर्गों में दाखिलों में गिरावट के बावजूद, देश में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय शिक्षा स्तरों में सकल नामांकन अनुपात में 2020-21 की तुलना में 2021-22 में वृद्धि देखी गई। एक नई सरकारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। अनुपात शिक्षा के एक विशिष्ट स्तर पर नामांकन की तुलना उस आयु-समूह की जनसंख्या से करता है जो उस स्तर के लिए सबसे अनुकूल आयु है। भारत में 2021-22 के लिए स्कूली शिक्षा पर एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (यूडीआईएसई-प्लस) रिपोर्ट में कहा गया कि प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक तक स्कूलों में कुल 25.57 करोड़ छात्रों का नामांकन हुआ, जबकि वर्ष 2020-21 में 25.38 करोड़ छात्रों ने नामांकन कराया था। पूर्व-प्राथमिक से उच्च-माध्यमिक कक्षाओं में छात्रों के नामांकन में 2020-21 की तुलना में 2021-22 में 7.85 लाख की वृद्धि हुई है। हालांकि, स्कूलों में पूर्व-प्राथमिक वर्गों में दाखिले में 11.5 लाख की कमी आई है।
No comments:
Post a Comment