बीएड 2005 फ़र्ज़ी डिग्री मामले में स्पेशल अपील हुई निस्तारित, 3635 अभ्यर्थियों की बीएड मार्कशीट फ़र्ज़ी साबित, आदेश देखें




🛑 बीएड 2005 फ़र्ज़ी डिग्री मामले में स्पेशल अपील का आर्डर हुआ जारी।
🛑 पूर्व चिह्नित 2823 एवं 812 अन्य अभ्यर्थियों की बीएड मार्कशीट फ़र्ज़ी(FAKE) साबित।
🛑 फ़र्ज़ी साबित होने के बाद भी रिकवरी पर रोक लगाकर कोर्ट ने दी बड़ी राहत।
🛑 टेम्पर्ड डिग्री धारियों पर 4 महीने में यूनिवर्सिटी को लेना होगा निर्णय।
🛑 टेम्पर्ड डिग्री पर निर्णय होने तक निर्धारित पद/वेतन पर कार्य करते रहने का आदेश।


आंबेडकर विवि की फर्जी बीएड डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की बर्खास्तगी पर मुहर

फर्जी बीएड प्रकरण : गई नौकरी, पर वेतन की वसूली के आदेश को कोर्ट ने किया रद्द

812 फ़र्ज़ी मार्कशीट वाले सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्त करने के सरकार के निर्णय को हाईकोर्ट ने सही करार दिया है , जबकि ऐसे अभ्यर्थी जिन की मार्कशीट में छेड़छाड़ किए जाने की शिकायत थी उनके संबंध में निर्णय लेने का विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है । कोर्ट ने सहायक शिक्षकों की विशेष अपील खारिज कर दी गई है। प्रदेश सरकार ने बीएड डिग्री को फर्जी करार देते हुए लगभग 812 शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी थी और भुगतान किए गए वेतन की वसूली शुरू हुई थी। इसके खिलाफ शिक्षक कोर्ट पहुंच गए थे। एकल पीठ ने सरकार के निर्णय को सही करार दिया। इसे विशेष अपील में चुनौती दी गई। न्यायमूर्ति एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति एस.एस. शमशेरी की पीठ ने विशेष अपील पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया।

सहायक अध्यापकों से भुगतान किए गए वेतन की वसूली के आदेश को खण्डपीठ ने रद्द कर दिया है। एकल न्यायपीठ ने इस निर्णय को सही करार दिया है।

आपको बता दें कि एकल जज ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर इन शिक्षकों की बीएसए द्वारा की गई बर्खास्तगी को मंजूरी दे दी थी। एकल जज के इस आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि बीएसए का बर्खास्तगी आदेश एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर पारित किया गया है, जो गलत है। यह भी दलील दी गई कि पुलिस रिपोर्ट को शिक्षकों की बर्खास्तगी का आधार नहीं बनाया जा सकता है। कहा गया था कि बीएसए ने बर्खास्तगी से पूर्व सेवा नियमावली के कानून का पालन नहीं किया। 

जबकि सरकार की तरफ से बहस की गई कि इन शिक्षकों की बर्खास्तगी एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच कर रही एसआईटी को रिपोर्ट देने को कहा था। बहस यह भी की गई थी कि फर्जी डिग्री या मार्कशीट के आधार पर सेवा में आने वाले की बर्खास्तगी के लिए सेवा नियमों का पालन करना जरूरी नहीं है। 


आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की वर्ष 2005 की बीएड डिग्री पर प्राथमिक विद्यालयों में नौकरी कर रहे करीब चार हजार सहायक अध्यापकों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इन सहायक अध्यापकों की बर्खास्तगी के निर्णय को सही करार देते हुए विशेष अपीलें खारिज कर दी हैं। विशेष अपील में एकल न्यायपीठ के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें प्रदेश सरकार के बर्खास्तगी के निर्णय को सही करार दिया गया है। खंडपीठ ने एकलपीठ के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। हालांकि सहायक अध्यापकों को भुगतान किए जा चुके वेतन की वसूली पर रोक लगा दी है। 

खंडपीठ ने फर्जी मार्कशीट वाले अभ्यर्थियों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया, मगर जिनकी मार्कशीट में छेड़छाड़ की शिकायत है, उनकी जांच चार माह में कुलपति की निगरानी में करने का निर्देश दिया है। जांच पूरी होने तक यह अध्यापक काम करते रहेंगे और उनको वेतन भी मिलेगा। इनकी बर्खास्तगी का आदेश जांच के परिणाम पर निर्भर करेगा। कोर्ट ने कहा है कि जांच में देरी हुई तो संबंधित अध्यापक को वेतन पाने का हक नहीं होगा। जांच की अवधि भी नहीं बढे़गी। कोर्ट ने कहा है कि जांच के बाद यदि डिग्री सही पाई जाती है तो बर्खास्तगी वापस ली जाए। 

यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने किरण लता सिंह सहित हजारों सहायक अध्यापकों की विशेष अपील को निस्तारित करते हुए दिया है। अपील पर अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय व स्थायी अधिवक्ता राजीव सिंह ने प्रदेश सरकार की तरफ से प्रतिवाद किया। अशोक खरे, आर के ओझा व एचएन सिंह ने अपीलार्थियों का पक्ष रखा, जबकि विश्वविद्यालय की तरफ से अशोक मेहता व बोर्ड की तरफ से जेएन मौर्य ने बहस की ।

न्यायमूर्ति शमशेरी ने हिंदी में लिखा फैसला
न्यायमूर्ति शमशेरी ने वरिष्ठ न्यायमूर्ति भंडारी के फैसले से सहमति जताते हुए अलग से हिंदी में फैसला  दिया,  जिसमें उन्होंने गुरु के महत्व को बताते हुए कहा कि शिक्षा एक पवित्र व्यवसाय है। यह जीविका का साधन मात्र नहीं है। राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कोई छल से शिक्षक बनता है तो ऐसी नियुक्ति शुरू से ही शून्य होगी। कोर्ट ने कहा कि छल कपट से शिक्षक बन इन्होंने न केवल छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया है, अपितु शिक्षक के सम्मान को ठेस पहुंचाई है।


यह था मामला
आगरा विश्वविद्यालय की 2005 की बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर हजारों लोगों ने सहायक अध्यापक की नियुक्ति प्राप्त कर ली। इन डिग्रियों की जांच कराने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई। हाईकोर्ट ने जांच का आदेश देते हुए एसआईटी गठित की, जिसने अपनी रिपोर्ट में व्यापक धांधली का खुलासा किया। सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। 1814 लोगों ने जवाब दिया। शेष ने नोटिस का जवाब नहीं दिया। बीएसए ने फर्जी अंक पत्र व अंक पत्र से छेड़छाड़ की दो श्रेणियों वालों को बर्खास्त कर दिया। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अंक पत्र में  छेड़छाड़ करने के आरोपियों की विश्वविद्यालय को जांच करने का निर्देश दिया था और कहा था कि बर्खास्त अध्यापकों से अंतरिम आदेश से लिए गए वेतन की बीएसए वसूली कर सकता है। खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश के इस अंश को रद्द कर दिया है।

एसआईटी जांच के आधार पर बर्खास्तगी को दी चुनौती
टीचरों की इस विशेष अपील पर हफ्तों बहस के बाद कोर्ट ने फैसला 29 जनवरी को सुरक्षित किया था। एसआईटी की जांच रिपोर्ट से पता चला कि डिग्रियां और मार्कशीट फर्जी हैं। इन टीचरों को एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर बीएसए ने सेवा से बर्खास्त कर दिया था। एकल जज ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर इन टीचरों की बीएसए द्वारा की गई बर्खास्तगी को सही ठहराया था। एकल जज के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील में कहा गया कि बीएसए का बर्खास्तगी आदेश एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर पारित किया गया है, जो गलत है।

कहा गया था कि पुलिस रिपोर्ट को टीचरों की बर्खास्तगी का आधार नहीं बनाया जा सकता है। बीएसए ने बर्खास्तगी से पूर्व सेवा नियमावली के कानून का पालन नहीं किया, जबकि सरकार की तरफ से बहस की गई कि इन टीचरों की बर्खास्तगी एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई है। परंतु एसआईटी की रिपोर्ट हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में आई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच कर एसआईटी को रिपोर्ट देने को कहा था। बहस यह भी की गई थी कि फर्जी डिग्री या मार्कशीट के आधार पर सेवा में आने वालों की बर्खास्तगी के लिए सेवा नियमों का पालन करना जरूरी नहीं है।






■ रिट कोर्ट का कार्यवाही सम्बन्धी आदेश दिनाँक 29/04/2020 देखने हेतु यहां क्लिक करें।













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बीएड 2005 फ़र्ज़ी डिग्री मामले में स्पेशल अपील हुई निस्तारित, 3635 अभ्यर्थियों की बीएड मार्कशीट फ़र्ज़ी साबित, आदेश देखें Reviewed by sankalp gupta on 8:47 PM Rating: 5

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