लेखा शाखा अधिनियम : 13. सामूहिक बीमा योजना
सामूहिक बीमा योजना
(2) 1 जुलाई 1993 से अधिकारियों तथा कर्मचारियों के वेतनमान
के अधिकतम के अनुसार दरों एवं बीमा आच्छादन के प्राविधान :-
शासनादेश संख्या बीमा-959/दस-93-189(ए)/89 दिनांक 25 जून 1993 द्वारा निर्धारित एवं दिनांक 1-7-93 से प्रभावी
वेतनमानों के अनुसार उक्तवत वर्गीकरण में 1.1.1996 से पुनरीक्षित वेतनमानों के
दृष्टिगत 1 सितम्बर 2003 से परिवर्तन किया गया जिसका विवरण पूर्व में दिया जा चुका
है।
4. नामांकन :-
शासनादेश संख्या : बीमा-56 /दस-86-36/1981, दिनांक 10 जनवरी 1986 के अनुसार सेवा में आते ही नामांकन पत्र भरना अनिवार्य है। इसे प्रथम वेतन देने से पूर्व अवश्य भरवा लेना चाहिये। नामांकन की तिथि को परिवार होने की दशा में केवल परिवार के सदस्यों के पक्ष में ही नामांकन करना होगा। संदर्भित परिवार में निम्नलिखित सदस्य आते हैं-
(ख) 1-3-90 से ब्याज की समान रूप से प्रभावी दरें
1. योजना की भूमिका, स्वरूप, प्रारम्भ एवं
उद्देश्य :-
इसका पूरा नाम उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी सामूहिक बीमा एवं बचत योजना है। यह
उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए संचालित एक कल्याणकारी योजना
है। यह मूलत: एक रिस्क कवरिंग स्कीम है जिसका मूल उद्देश्य सेवारत मृत सरकारी
सेवक के परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। उत्तर प्रदेश राज्य में
सर्वप्रथम 01 मार्च, 1974 में पुलिस विभाग के अराजपत्रित कर्मचारियों पर लागू
की गयी। एक मार्च, 1976 से यह योजना राज्य के समस्त सरकारी सेवकों पर भारतीय जीवन
बीमा निगम (एल0आई0सी0), कानपुर के सौजन्य से लागू हुई। उस समय सभी वर्गों के सरकारी
सेवकों से मासिक अभिदान (प्रीमियम) दस रूपया निश्चित किया गया। 01 मार्च, 1980 से
इस योजना का संचालन
उ0प्र0 सरकार के वित्त विभाग के राज्य कर्मचारी सामूहिक बीमा निदेशालय, विकासदीप भवन,
लखनऊ द्वारा किया जाने लगा। सामूहिक बीमा निधि की स्थापना लोक लेखे के अंतर्गत की
गयी है। संबद्ध मुख्य लेखा शीर्षक 8011-बीमा तथा पेंशन निधियाँ। सामूहिक बीमा
निधि दो भागों - बचत निधि व बीमा निधि (रिस्क कवरिंग) में
विभक्त है। बचत निधि पर त्रैमासिक चक्रवृद्धि ब्याज देय है। सेवारत
मृत्यु की दशा में परिवार/आश्रितों को बीमा आच्छादन की निर्धारित राशि एवं बचत निधि
का ब्याज सहित भुगतान तथा सेवानिवृत्ति/सेवा से अन्यथा पृथक होने पर केवल बचत निधि
का ब्याज सहित भुगतान किया जाता है। बीमा तथा बचत योजना के अन्तर्गत देय धनराशि से
शासकीय बकायों की वसूली नहीं की जा सकती (शासनादेश संख्या बीमा-20/दस-93-67(बी)/92
दिनांक 27-2-93)।
2. अभिदाता/पात्र :-
1- अनिवार्य
1- उ0प्र0 सरकार में
नियमित अधिष्ठान में स्थाई अथवा रूप से पूर्णकालिक सेवा में नियुक्त समस्त
अधिकारी/कर्मचारी।
2-
नियुक्ति के समय 50 वर्ष से कम आयु के राज्य कर्मी जो भूतपूर्व सैनिक रहे हों।
2- ऐच्छिक :-
1-
उ0प्र0 कैडर के अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी जो केन्द्रीय समूह बीमा योजना के लिये
अपना विकल्प नहीं देते।
2-
माननीय उच्च न्यायालय, के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीश तथा लोक सेवा आयोग के
अध्यक्ष व सदस्य यदि उन्होंने इस योजना का लाभ लेने के उद्देश्य से सेवा में
नियुक्ति के समय विकल्प चुना हो।
अल्पकालिक सेवा में सीजनल कार्य के लिये अथवा संविदा के आधार पर
नियुक्त कार्मिक पात्र नहीं है। अधिवर्षता के उपरान्त, पुनर्नियुक्ति या सेवा विस्तार
में भी यह योजना लागू नहीं है।
3. कटौती के नियम एवं लेखा
प्रणाली :-
अभिदान की कटौती में किसी को कोई छूट नहीं है। अवकाश अवधि एवं निलम्बन काल का भी
अभिदान करना होता है। प्रत्येक दशा में पूरे माह की कटौती की जाती है। वेतन बिल के
साथ अभिदान की कटौती सुनिश्चित की जानी चाहिए। प्रतिनियुक्ति पर भी अभिदानों की
कटौती वाह्य सेवायोजक द्वारा करके चालान के द्वारा जमा की जाती है। अभिदान दो भागों
- बचत निधि व बीमा निधि में प्रदर्शित किया
जाता है। वेतन बिल कोषागार में प्रस्तुत होने पर कोषाधिकारी का
उत्तरदायित्व निर्धारित किया गया है कि वे देख
लें प्रत्येक पात्र कर्मचारी के अभिदान की कटौती हो गई या नहीं तभी वेतन बिल
पास करें। इस योजना के अंतर्गत की गई कटौतियों के विवरण हेतु शासनादेश संख्या
2545/दस-54-1981 दिनांक 14 मार्च, 1993 द्वारा निर्धारित प्रपत्र में सेवा
पुस्तिका में चस्पा करना अनिवार्य है, जिसमें एक वर्ष के अभिदान एक पंक्ति में दर्ज
किये जायें तथा उन्हें प्रमाणित भी किया जाय। इस प्रकार पूरे सेवा काल के अभिदान एक
स्थान पर उपलब्ध होंगे।
-
यदि कोई कर्मचारी किसी समूह से अर्थात् "ग" से "ख" में वर्ष के बीच किसी माह में प्रोन्नत होता है अथवा "क", "ख" या किसी समूह से निम्न समूह में पदावनत होता है, तो मासिक अभिदान की कटौती की दरें तथा बीमा आच्छादन अगली 1 मार्च से ही प्रभावी होगी। (शासनादेश संख्या बीमा-2602/दस-87-87/1983, दिनांक 15-10-1989)।
-
अभिदान कम/अधिक हो जाने पर उसका भुगतान/वापसी के लिए :-
योजना
में त्रुटिपूर्ण कटौतियों के संबंध में विवरण प्रपत्र-24 पर तैयार कराकर
कार्यालयाध्यक्ष/आहरण एवं वितरण अधिकारी द्वारा, विभागाध्यक्ष के माध्यम से,
सामूहिक बीमा निदेशालय को प्रेषित करना चाहिए।
-
यदि किसी सरकारी सेवक के वेतन से किन्हीं कारणों से कटौती नहीं हो पाती है और उसकी सेवारत अवस्था में मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में उस अवधि का अभिदान भी सरकारी सेवक के लाभार्थी से जमा कराये जाने की व्यवस्था है।
-
संबंधित लेखाशीर्षक -
पुलिस विभाग के
कर्मचारियों को छोड़कर शेष कर्मचारियों के लिये
बीमा निधि
8011 - बीमा तथा
पेंशन निधि
107 - राज्य सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना
01 - उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना - बीमा निधि
0101 - पुलिस विभाग के कर्मचारियों को छोड़कर शेष कर्मचारियों से प्राप्त धनराशि
107 - राज्य सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना
01 - उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना - बीमा निधि
0101 - पुलिस विभाग के कर्मचारियों को छोड़कर शेष कर्मचारियों से प्राप्त धनराशि
बचत निधि
8011 - बीमा तथा पेंशन निधि
107 - राज्य सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना।
02 - उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना - बचत निधि
0102 - पुलिस विभाग के कर्मचारियों को छोड़कर शेष कर्मचारियों से प्राप्त धनराशि
107 - राज्य सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना।
02 - उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना - बचत निधि
0102 - पुलिस विभाग के कर्मचारियों को छोड़कर शेष कर्मचारियों से प्राप्त धनराशि
पुलिस विभाग के कर्मचारियों के लिये
बीमा निधि
8011 - बीमा तथा पेंशन निधि
107 - राज्य सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना
01 - उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना - बीमा निधि
0102 - पुलिस विभाग के कर्मचारियों से प्राप्त धनराशि
107 - राज्य सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना
01 - उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना - बीमा निधि
0102 - पुलिस विभाग के कर्मचारियों से प्राप्त धनराशि
बचत निधि
8011 - बीमा तथा पेंशन निधि
107 - राज्य सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना
02 - उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना - बचत निधि
0202 - पुलिस विभाग के कर्मचारियों से प्राप्त धनराशि
107 - राज्य सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना
02 - उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना - बचत निधि
0202 - पुलिस विभाग के कर्मचारियों से प्राप्त धनराशि
-
अभिदान की दरें व बीमा आच्छादन राशि :-
वर्तमान दरें व बीमा आच्छादन राशि
मासिक अभिदान की वर्तमान दरों एवं बीमा आच्छादन के निमित्त वेतनमानों के अनुसार
वर्गीकरण शासनादेश संख्या: एस0ई0- 2474/दस-2003-बीमा-19/2002 दिनांक 31 जुलाई
2003 के अनुसार निर्धारित किया गया जो निम्नवत् है और दिनांक 1 सितम्बर 2003 से
प्रभावी माना गया -
क्रमांक | वेतनमान का अधिकतम | मासिक अभिदान की दर | बचत निधि | बीमा निधि | बीमा आच्छादन की राशि |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 |
1. | रू0 13501 या इससे अधिक | रू0 120 | रू0 84 | रू0 36 | रू0 1,20,000 |
2. | रू0 7000 से 13500 तक | रू0 60 | रू0 42 | रू0 18 | रू0 60,000 |
3. | रू0 6999 तक | रू0 30 | रू0 21 | रू0 9 | रू0 30,000 |
यह भी व्यवस्था की गई थी कि जिन कर्मचारियों के पद का वेतनमान दिनांक 1-1-1996 के
पूर्व रू0 1350-30-1440-40-1800-द0रो0-50-2200 था तथा दिनांक 1-1-1996 से
पुनरीक्षित वेतनमान रू0 4500-125-7000 हो गया, के वेतन से दिनांक 31 अगस्त 2003 तक
मासिक अभिदान रू0 30 की दर से लिया जायेगा तथा बीमा आच्छादन की धनराशि रू0 30000
होगी किन्तु उस तिथि के पश्चात अर्थात् दिनांक 1 सितम्बर 2003 से उक्त वेतनमान हेतु
मासिक अभिदान की दर रू0 60 तथा बीमा आच्छादन की धनराशि रू0 60000 होगी।
मासिक अभिदान की पूर्व दरें व आच्छादन राशि
1-9-2003 के पूर्व प्रचलित मासिक अभिदान की दरें व बीमा
आच्छादन की राशियां समय-समय
पर परिवर्तित होती रहीं जिनका विवरण निम्नवत् है-
(1) 30 जून 1993 तक अधिकारियों तथा कर्मचारियों
के समूह तथा विभागों (पुलिस विभाग एवं अन्य विभाग) के अनुसार दरों एवं बीमा आच्छादन
के प्राविधान : -
अवधि | अभिदान की मासिक दर (रू0) | बीमा आच्छादन की धनराशि (रू0) | |||
से | तक | कुल अभिदान | बचत निधि | बीमा निधि | |
(क) पुलिस विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों
के लिये पुलिस विभाग के अराजपत्रित कर्मचारियों के लिये |
|||||
1-3-1974 | 28-2-1977 | 5 | 3.33 | 1.67 | 5000 |
1-3-1977 | 29-2-1980 | 10 | 7.13 | 2.87 | 12000 |
1-3-1980 | 28-2-1990 | 15 | 10.33 | 4.67 | 25000 |
1-3-1990 | 30-6-1993 | 30 | 21 | 9 | 30000 |
पुलिस विभाग के सभी अधिकारियों के लिये समान दरें 28-2-1985 तक | |||||
1-3-1976 | 29-2-1980 | 10 | 7.13 | 2.87 | 12000 |
1-3-1980 | 28-2-1985 | 40 | 27.50 | 12.50 | 50000 |
पुलिस विभाग के समूह 'क' के अधिकारियों के लिये दरें 1-3-1985 से | |||||
1-3-1985 | 28-2-1990 | 80 | 55 | 25 | 80000 |
1-3-1990 | 30-6-1993 | 120 | 84 | 36 | 120000 |
पुलिस विभाग के समूह 'ख' के अधिकारियों के लिये दरें 1-3-1985 से | |||||
1-3-1985 | 28-2-1990 | 40 | 27.50 | 12.50 | 40000 |
1-3-1990 | 30-6-1993 | 60 | 42 | 18 | 60000 |
(ख) पुलिस विभाग के अतिरिक्त अन्य विभागों के
अधिकारियों तथा कर्मचारियों के लिये
पुलिस विभाग के अतिरिक्त अन्य सभी अधिकारियों के लिये समान दरें 28-2-1985 तक |
|||||
1-3-1976 | 29-2-1980 | 10 | 7.13 | 2.87 | 12000 |
1-3-1980 | 28-2-1985 | 20 | 13.95 | 6.05 | 25000 |
पुलिस विभाग के अतिरिक्त समूह 'क' के अधिकारियों के लिये दरें 1-3-1985 से | |||||
1-3-1985 | 29-2-1990 | 80 | 55 | 25 | 80000 |
1-3-1990 | 30-6-1993 | 120 | 84 | 36 | 120000 |
पुलिस विभाग के अतिरिक्त समूह 'ख' के अधिकारियों के लिये दरें 1-3-1985 से | |||||
1-3-1985 | 28-2-1990 | 40 | 27.25 | 12.50 | 40000 |
1-3-1990 | 30-6-1993 | 60 | 42 | 18 | 60000 |
पुलिस विभाग के अतिरिक्त अन्य कर्मचारियों के लिये दरें - समूह 'ग' हेतु | |||||
1-3-1976 | 29-2-1980 | 10 | 7.13 | 2.87 | 12000 |
1-3-1980 | 28-2-1990 | 20 | 13.95 | 6.05 | 25000 |
1-3-1990 | 30-6-1993 | 30 | 21 | 9 | 30000 |
पुलिस विभाग के अतिरिक्त के अन्य कर्मचारियों के लिए दरें - समूह 'घ' हेतु | |||||
1-3-1976 | 30-9-1981 | 10 | 7.13 | 2.87 | 12000 |
1-10-1981 | 28-2-1990 | 20 | 13.95 | 6.05 | 25000 |
1-3-1990 | 30-6-1993 | 30 | 21 | 9 | 30000 |
शासनादेश संख्या बीमा-959/दस-93-189(ए)/89 दिनांक 25 जून 1993 द्वारा निर्धारित एवं दिनांक 1-7-93 से प्रभावी
सरकारी सेवक के वेतनमान का अधिकतम | मासिक अभिदान की दर | बचत निधि | बीमा निधि | समूह बीमा आच्छादन की राशि | बचत निधि पर देय ब्याज की दर |
(1) रू0 4001 या इससे अधिक | रू0 120 | रू0 84 | रू0 36 | रू0 120000 | 12प्रतिशत त्रैमासिक चक्रवृद्धि |
(2) रू0 2300 से रू0 4000 तक | रू0 60 | रू0 42 | रू0 18 | रू0 60000 | तदैव |
(3) रू0 2299 तक | रू0 30 | रू0 9 | रू0 21 | रू0 30000 | तदैव |
4. नामांकन :-
शासनादेश संख्या : बीमा-56 /दस-86-36/1981, दिनांक 10 जनवरी 1986 के अनुसार सेवा में आते ही नामांकन पत्र भरना अनिवार्य है। इसे प्रथम वेतन देने से पूर्व अवश्य भरवा लेना चाहिये। नामांकन की तिथि को परिवार होने की दशा में केवल परिवार के सदस्यों के पक्ष में ही नामांकन करना होगा। संदर्भित परिवार में निम्नलिखित सदस्य आते हैं-
-
पत्नी/पति (जैसी स्थिति हो)
-
पुत्रगण
-
अविवाहित तथा पुत्रियाँ (सौतेले तथा दत्तक पुत्र /पुत्रियों सहित)
-
भाई (आयु 18 वर्ष से कम) तथा अविवाहित/विधवा बहिनें (सौतेले भाई/बहिनों सहित)
-
माता व पिता
-
विवाहित पुत्रियाँ (सौतेली पुत्रियों सहित)
-
मृत पुत्र/पुत्रों के पुत्र व अविवाहित पुत्रियाँ।5. भुगतान की धनराशि एवं प्राप्तकर्ता
एक से अधिक को नामांकन हो तो प्रत्येक को देय अंश का उल्लेख आवश्यक है। अवयस्क के पक्ष में किये गये नामांकन में संरक्षक नियुक्त करने की व्यवस्था है। कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष द्वारा यह सुनिश्चित करने के बाद नामांकन को प्रतिहस्ताक्षरित किया जायेगा कि नामांकन पत्र शासन द्वारा निर्धारित व्यवस्थाओं के अनुसार पूर्ण है,तथा उसमे कोई कमी नहीं है। तदुपरान्त नामांकन की एक प्रति वैयक्तिक पत्रावली में तथा दूसरी प्रति सेवा पुस्तिका /सेवा अभिलेख में रखी जायेगी।
केवल
बचत निधि का ब्याज सहित भुगतान किया जाता है। बचत निधि पर ब्याज देय है।
ब्याज दर सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाती है (विवरण संलग्नक-1
में दृष्टव्य ।)
वर्तमान ब्याज दर 8 प्रतिशत त्रैमासिक चक्रवृद्धि (दिनांक 01
जनवरी, 2004 से लागू) है। बचत निधि की भुगतान योग्य धनराशि उस धनराशि से कम नहीं
होनी चाहिए जो सरकारी सेवक के वेतन से कुल मिलाकर काटी गई हो। त्यागपत्र की स्थिति
में व राजपत्रित अधिकारियों के लिए यह शर्त लागू नहीं हैं।
सेवारत मृत्यु की दशा में :-
सेवारत मृत्यु की दशा में बीमा आच्छादन की निर्धारित उपादान राशि तथा मृत्यु
के दिनांक तक जमा बचत निधि की धनराशि का उक्त प्रस्तर के उल्लेख अनुसार ब्याज सहित
भुगतान किया जाता है।
यदि नामांकन उपलब्ध है तो तदनुसार व्यक्ति(यों) को भुगतान किया जाएगा। यदि
अवयस्क हेतु किये गये नामांकन में संरक्षक नहीं नियुक्त किया गया है तो प्राकृतिक
संरक्षक के अभाव में 'गार्जियन एण्ड वार्डस ऐक्ट' के अंतर्गत सक्षम न्यायालय से
नियुक्त संरक्षक को भुगतान किया जाएगा। अपवाद स्वरूप यदि किसी सरकारी सेवक की मृत्यु
के समय किन्हीं विशेष परिस्थितियों में दो पत्नियां हैं तो नामांकित विधवा के साथ
नामांकित न की गई विधवा के अवयस्क बच्चों को भी भुगतान किया जाएगा। ऐसी स्थिति में
देय धनराशि का 50 प्रतिशत अंश नामांकित की गई विधवा को तथा शेष 50 प्रतिशत अंश
नामांकित न की गई विधवा के अवयस्क बच्चों को देय होता है।
यदि नामांकन नहीं भरा गया या अवैध पाया गया तो लाभार्थी/लाभार्थियों को बीमा राशि
का भुगतान निम्न क्रम से किया जायेगा-
-
अधिकारी/कर्मचारी की पत्नी/पति (जैसी स्थिति हो)
-
अवयस्क पुत्र तथा अविवाहित पुत्रियां
-
वयस्क पुत्र
-
माता व पिता
-
अवयस्क भाई व अविवाहित बहनें
-
विवाहित पुत्रियाँ
-
मृत पुत्र/पुत्रों के पुत्र व अविवाहित पुत्रियाँ।
यदि उपर्युक्त में से कोई नहीं है और नामांकन पत्र भी नहीं उपलब्ध है तो बाहर के
लाभार्थी को सक्षम न्यायालय से उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र लाना होगा। यदि किसी अवयस्क
को नामित किया गया हो तो अवयस्क को होने वाले बीमा/उपादान राशि का
भुगतान उसके प्राकृतिक/विधिक अभिभावक (संरक्षक) को ही किया जायेगा।
न्यायालय के आदेशों को छोड़कर उपरोक्त बताये गये प्राविधानों के विपरीत कोई दावा
अनुमन्य नहीं होता है।
सरकारी सेवक की मृत्यु की तिथि को दावा उत्पन्न होने की तिथि माना जाता है और इस
तिथि को लाभार्थी का निर्धारण किया जाता है और इसी तिथि को यह निर्धारित किया जाता
है कि भुगतान प्राप्त करने वाला व्यक्ति नियमों के अनुसार भुगतान प्राप्त करने का
अधिकारी है या नहीं।
लापता सरकारी सेवक के दावों का निस्तारण शासनादेश संख्या
408/दस-97-105(ए)/91 टी.सी. दिनांक 17 अक्टूबर 1997 के अनुसार किये जाने की व्यवस्था
है। लापता सरकारी सेवकों के मामलों में मासिक अभिदान की कटौती उसके लापता होने के
माह तक की ही जाती है तथा तदनुसार ही उस माह में प्रभावी दरों पर योजना के अंतर्गत
देयों की गणना की जाती है। संबंधित सरकारी सेवक के लापता होने के माह के पश्चात एक
वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर बचत निधि में जमा धनराशि तथा उस पर लापता होने के माह
की अंतिम तिथि तक के ब्याज का भुगतान किया जाता है। बीमा आच्छादन की धनराशि का
भुगतान सरकारी सेवक के लापता होने के पश्चशत सात वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर मृत
माने जाने की दशा में देय होता है।
सरकारी सेवक की हत्या के अभियुक्त संबंधी प्रक्रिया - शासनादेश संख्या
बीमा-1209/दस-84-94(ए)/92 दिनांक 28-12-1994 के अनुसार ऐसा कोई भी व्यक्ति जो किसी
सरकारी सेवक की सेवाकाल में हत्या करने, हत्या के लिये दुष्प्रेरित करने अथवा हत्या
के षड्यन्त्र में शामिल होने के लिये आरोपित हो और इस संबंध में उसके विरूद्ध कोई
प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई हो अथवा न्यायालय में आरोप-पत्र दाखिल कर दिया गया हो
तो उस स्थिति में सामूहिक बीमा योजना के अंतर्गत देय धनराशि का भुगतान निर्णय होने
तक स्थगित रखा जायेगा। यदि उसके विरूद्ध लगाये गये आरोप सिद्ध हो जाते हैं तथा
न्यायालय द्वारा उसे दण्डित किया जाता है तो वह उक्त धनराशि का भुगतान प्राप्त करने
से वंचित हो जायेगा तथा इस धनराशि का भुगतान योजना संबंधी शासनादेशों की व्यवस्थाओं
के अनुसार निर्धारित मृतक के अगले लाभार्थी को कर दिया जायेगा। इसके विपरीत यदि
आरोप सिद्ध नहीं होते हैं और न्यायालय द्वारा उसे ससम्मान दोषमुक्त कर दिया जाता है
तो देय धनराशि का भुगतान उसे बिना किसी ब्याज के किया जायेगा।
6. सामूहिक बीमा योजना से
संबंधित विभिन्न प्रपत्र :-
प्रपत्र | विवरण | किसके द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा | किसके द्वारा प्रोसेस किया जाएगा |
प्रपत्र-24 | अभिदान कम/अधिक हो जाने पर उसका भुगतान/वापसी | कार्यालयाध्यक्ष/आहरण वितरण अधिकारी | निदेशक, सामूहिक बीमा, उ0प्र0 |
प्रपत्र-26 | सेवानिवृत्ति/त्यागपत्र/सेवाच्युति (टर्मिनेशन) के भुगतान का दावा | तदैव | कोषागार/पी0ए0ओ0/इरला चेक का अधिकारी |
प्रपत्र-27 | सेवाकाल में मृत्यु/गुमशुदा हो जाने की दशा में बीमा निधि की उपादान राशि तथा मृत्यु/ गुमशुदा हो जाने की तिथि तक बचत निधि की परिपक्व धनराशि के भुगतान का दावा | तदैव |
तदैव
|
प्रपत्र-28 | कोषागार स्तर पर, दावे के परीक्षण के पूर्व प्रकरण की प्रविष्टि करने हेतु आहरण वितरण अधिकारीवार बनाए जाने वाले लेजर का प्रारूप | प्राप्त प्रकरणों की प्रविष्टि कोषागार द्वारा यह जांचने के उपरान्त की जायेगी कि प्रकरण का निस्तारण एक बार ही हो रहा है। | |
प्रपत्र-29 | देय धनराशि की आगणन-शीट का प्रारूप | कोषाधिकारी | आहरण वितरण अधिकारी |
प्रपत्र-30 | दावे को अग्रसारित करने तथा उनसे संबंधित प्राप्त चेकों के विवरण एवं उनके लाभग्रही को प्राप्त कराने के विवरण की पंजिका | कार्यालयाध्यक्ष/आहरण वितरण अधिकारी के स्तर पर बनाया जाएगा तथा निदेशक सामूहिक बीमा योजना के निरीक्षण दल को भी उपलब्ध कराया जाएगा। |
7. दावा प्रेषण तथा भुगतान
प्रक्रिया के क्रमिक चरण :-
दावा प्रेषण
वित्त (बीमा) अनुभाग - 1 के शासनादेश संख्या बीमा 768/दस-99/61/ए-99 दिनांक 16-7-99
के प्रस्तर 9 के अनुपालन में समस्त आहरण एवं वितरण अधिकारी/कार्यालयाध्यक्ष को
चाहिये कि प्रत्येक 15 जनवरी तक अगले दो कैलेण्डर वर्ष में सेवा निवृत्त होने वाले
कर्मचारियों का वर्गवार विवरण संबंधित कोषागार/पे एण्ड एकाउन्ट्स आफिस/इरला चेक को
अनिवार्य रूप से उपलब्ध करा दें।
दावा प्रेषण के लिए शासनादेश संख्या : बीमा-2084/दस-87-10/1987 दिनांक
31.7.1987 द्वारा निम्नलिखित दो प्रकार के प्रपत्र निर्धारित किए गए है -
-
जी0आई0एस0 प्रपत्र-26 : सेवानिवृत्त/सेवा से अन्यथा पृथक कर्मचारियों के लिए
-
जी0आई0एस0 प्रपत्र-27 : सेवारत मृत कर्मचारियों के लिए
सेवारत मृत कर्मचारियों के दावा प्रपत्र-27 के साथ निम्नलिखित अभिलेख संलग्न होने
चाहिए -
-
सक्षम अधिकारी द्वारा प्रदत्त मृत्यु प्रमाण पत्र।
-
नामांकन पत्र की प्रमाणित प्रति।
-
यथावश्यकता अन्य प्रपत्र जैसे सक्षम न्यायालय का उत्तराधिकार प्रमाण पत्र नामित या प्राकृतिक संरक्षक के अभाव में संरक्षक की नियुक्ति संबंधी सक्षम न्यायालय का आदेश, लापता सरकारी सेवक के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट एवं न्यायालय द्वारा मृत घोषित करने के आदेश आदि।
शासनादेश संख्या : बीमा-768/दस-99/61/ए/-99, दिनांक 16 अक्टूबर, 1999 द्वारा सामूहिक बीमा के भुगतान की प्रक्रिया का दिनांक 1-10-1999 से विकेन्द्रीकरण
कर दिया गया है। अब सामूहिक बीमा का दावा बीमा निदेशालय के स्थान पर संबंधित
कोषागार/पे एण्ड एकाउण्ट्स आफिस/इरला चेक भेजे जाने की व्यवस्था निर्धारित की गई।
किन्तु 30 सितम्बर 1999 तक के दावे सामूहिक बीमा निदेशालय द्वारा पूर्व प्रक्रिया
की भांति निस्तारित किये जाने की व्यवस्था दी गई।
सामूहिक बीमा एवं बचत योजना के अंतर्गत दोहरे भुगतानों के नियंत्रण हेतु
वित्त (सेवायें) अनुभाग - 1 के शासनादेश संख्या एस0ई0-1586/दस-07-बीमा-22/04
टी0सी0-1 दिनांक 6 सितम्बर 2007 के द्वारा व्यवस्था निर्धारित की गई है।
सर्वप्रथम आहरण एवं वितरण अधिकारी/कार्यालयाध्यक्ष को निर्देशित किया गया है
कि वे प्रपत्र संख्या - 30 के प्रारूप पर एक वर्षवार पंजिका बनाकर उसमें तत्काल
प्रभाव से सभी सामूहिक बीमा योजना संबंधी दावों का विवरण इस पंजिका में अंकित करके
ही निस्तारण की कार्यवाही सुनिश्चित करें। कोषागार से चेक प्राप्त होने तथा
लाभग्राही को चेक प्राप्त कराने संबंधी विवरण भी इस प्रपत्र के स्तम्भ 11, 12 एवं
13 में अंकित करने हैं। यह भी व्यवस्था दी गई है कि दिनांक 1-4-2008 से उत्पन्न होने
वाले सामूहिक बीमा योजना संबंधी दावों के निस्तारण हेतु समूह 'क', 'ख' एवं 'ग' वर्ग
के अधिकारियों/कर्मचारियों के दावा यथास्थिति प्रपत्र -26 या प्रपत्र-27 पर उनका
सामान्य भविष्य निर्वाह निधि संख्या आई0डी0 के रूप में उपयोग में लाया जायेगा। समूह
'घ' के कर्मचारियों के मामलों में विभाग का कोड तथा कर्मचारी का क्रमांक उसके
आई0डी0 नम्बर के रूप में उपयोग में लाया जायेगा। सामान्य भविष्य निर्वाह निधि की
संख्या तथा संबंधित विवरण उसके कार्यालयाध्यक्षों/आहरण एवं वितरण अधिकारी द्वारा
सत्यापित करके अग्रसारित किये जायेंगे।
स्वयं आहरण वितरण अधिकारी अथवा प्रतिनियुक्ति पद से सेवानिवृत्त अथवा अन्यथा सेवा
से पृथक होने वाले सरकारी सेवकों के दावों का निस्तारण सामूहिक बीमा निदेशालय द्वारा
किया जाता है। स्वयं आहरण वितरण अधिकारियों में वित्त एवं लेखा सेवा तथा न्यायिक
सेवा के अधिकारियों के दावे निदेशक कोषागार (शिविर कार्यालय) इलाहाबाद के माध्यम से
बीमा निदेशालय को भेजे जाते हैं। अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के वे अधिकारी जो
उ0प्र0 सरकार की सेवा में है तथा उ0प्र0 राज्य कर्मचारी सामूहिक बीमा योजना के
सदस्य हैं तथा प्रदेश प्रशासनिक सेवा के स्वयं आहरण वितरण अधिकारियों के दावे शासन
के इरला चेक (वेतन पर्ची प्रकोष्ठ) द्वारा बीमा निदेशालय को प्रेषित किये जाते हैं।
अखिल भारतीय पुलिस सेवा के ऐसे अधिकारी जो इस योजना से आच्छादित हैं, के दावे उत्तर
प्रदेश पुलिस मुख्यालय के वित्त नियंत्रक द्वारा बीमा निदेशालय को निस्तारण हेतु
प्रेषित किये जाते हैं। अखिल भारतीय बन सेवा के अधिकारी जो इस योजना से आच्छादित
है, के दावे प्रमुख
वन संरक्षक कार्यालय के वित्त नियंत्रक द्वारा बीमा निदेशालय को
प्रेषित किये जाते हैं।
उपरोक्त उल्लिखित संवर्गों के ऐसे अधिकारी जो वाह्य सेवा में प्रतिनियुक्ति पर रहते
हुए सेवानिवृत्त अथवा सेवा से अन्यथा पृथक हो जाते हैं, किन्तु उपरोक्त
वर्णित प्रक्रिया के अनुसार ही भेजे जाने की व्यवस्था है, किन्तु उपरोक्त संवर्गों से
भिन्न अधिकारियों कर्मचारियों के दावे वाह्य सेवा में रहते हए उत्पन्न होने की
स्थिति में उनके पैतृक विभागाध्यक्षों के द्वारा बीमा निदेशालय को प्रेषित किये जाने
का प्राविधान है।
राज्य सिविल सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रोन्नत होने वाले अधिकारियों के
दावों के संबंध में प्रक्रिया वित्त (सेवायें) अनुभाग - 1 के शासनादेश संख्या एस.ई.
- 488/दस-2003-61(ए)/99 दिनांक 25.3.2004 के द्वारा निर्धारित की गई जो इस प्रकार
है -
(1) दिनांक 1-10-1999 के पूर्व पी.सी.एस. संवर्ग के जो अधिकारी आई.ए.एस.
संवर्ग में पदोन्नत हुये हैं तथा जिन्होंने केन्द्रीय समूह बीमा योजना की सदस्यता
ग्रहण कर ली हैं, उनके पी.सी.एस. सेवाकाल से सम्बन्धित राज्य सामूहिक बीमा योजना के
दावों का प्रेषण शासन के नियुक्ति विभाग द्वारा सामूहिक बीमा निदेशालय को किया
जायेगा।
(2) पी.सी.एस. संवर्ग के ऐसे अधिकारी जो आई.ए.एस. संवर्ग में
दिनांक 1-10-1999 अथवा उसके बाद पदोन्नत हुये हैं और केन्द्रीय समूह बीमा योजना की
सदस्यता ग्रहण कर ली है, उनके पी.सी.एस. सेवाकाल
के बीमा योजना से संबंधित दावों का
प्रेषण शासन के इरला चेक (वेतन पर्ची प्रकोष्ठ) द्वारा सामूहिक बीमा निदेशालय को
किया जायेगा।
(3) पी.सी.एस. संवर्ग के ऐसे अधिकारी जो आई.ए.एस. संवर्ग
में पदोन्नत हो गये हैं, परन्तु जिन्होंने केन्द्रीय समूह बीमा योजना के सदस्यता
ग्रहण नहीं की है बल्कि राज्य कर्मचारी सामूहिक बीमा योजना के सदस्य बने हुये हैं,
उनके पी.सी.एस. तथा आई.ए.एस. सेवाकाल के दावे एक साथ उनके सेवानिवृत्ति के उपरान्त
यदि सेवानिवृत्ति की तिथि 1-10-1999 अथवा उसके बाद की है तो शासन के इरला चेक (वेतन
पर्ची प्रकोष्ठ) द्वारा सामूहिक बीमा निदेशालय को भेजे जायेंगे। यदि सेवानिवृत्ति
की तिथि 1-10-1999 के पूर्व की है, तो उक्त दावे नियुक्ति विभाग द्वारा सामूहिक बीमा
निदेशालय को भेजे जायेंगे।
क्रमिक चरण :-
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30 सितम्बर 1999 के बाद के दावे उक्त प्रक्रिया के अनुसार आहरण-वितरण अधिकारी द्वारा प्रपत्र 26/27 (यथास्थिति) पर कोषागार/पे एण्ड एकाउण्ट्स आफिस/इरला चेक में प्रस्तुत किये जायेंगे।
-
प्रपत्र 26/27 (यथास्थिति) प्रस्तुत होने के बाद दावे का परीक्षण, कोषागार/पे एण्ड एकाउण्ट्स ऑफिस/ इरला चेक द्वारा आहरण-वितरण अधिकारी वार बनाये गये लेजर (प्रपत्र-28) में यह जांच कर प्रविष्टि करने के उपरान्त किया जायेगा कि प्रकरण का निस्तारण एक बार ही हो रहा है।
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दावा सही पाये जाने की दशा में सामूहिक बीमा योजना हेतु लागू सॉफ्टवेयर (जिम्सनिक) की सहायता से प्रपत्र-29 पर देय धनराशि एवं ब्याज की तीन प्रतियों में आगणन-शीट कोषागार द्वारा तैयार की जाएगी तथा तदनुसार दावा प्राप्ति के तीन कार्य दिवसों के अंदर दो प्रतियां संबंधित आहरण-वितरण अधिकारी को प्रेषित की जाएगी तथा आगणन शीट की एक प्रति कोषागार/पे एण्ड एकाउण्ट्स ऑफिस/ इरला चेक की दावा पत्रावली में रखी जाएगी।
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आगणन-शीट की प्राप्ति के दो कार्य दिवसों के अंदर आहरण-वितरण अधिकारी द्वारा कोषागार सामान्य देयक प्रपत्र पर विधिवत् बिल बनाकर उसमें सुसंगत पंद्रह अंकीय लेखा कोड दावाकर्ता का बैंक संबंधी विवरण एवं 'चेक अमुक के नाम निर्गत किया जाय' अंकित कर कोषागार/पे एण्ड एकाउण्ट्स ऑफिस/इरला चेक को प्रेषित करेंगे।
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देयक (बिल) की प्राप्ति के दो कार्य दिवसों के अंदर कोषागार/पे एण्ड एकाउण्ट्स आफिस/इरला चेक द्वारा एकाउण्ट पेयी चेक निर्गत कर आहरण-वितरण अधिकारी को उपलब्ध कराया जाएगा।
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सामूहिक बीमा दावा पंजी (प्रपत्र-28) के सभी स्तम्भों को सही ढंग से भरना चाहिए तथा चेक हस्तान्तरण के साथ-2 कोषागार/पे एण्ड एकाउण्ट्स ऑफिस/इरला चेक के अधिकारी द्वारा आवश्यक अभ्युक्ति के साथ हस्ताक्षर किया जाना चाहिए।
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आहरण-वितरण अधिकारी निजी दायित्व के रूप में कोषागार से चेक-प्राप्ति के तीन कार्य दिवसों के अंदर उक्त चेक लाभार्थी/दावाकर्ता को निर्धारित प्राप्ति-रसीद लेकर उपलब्ध कराएंगे।
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चेक एवं इसके लाभार्थी को प्राप्त कराए जाने के विवरण की प्रविष्टि प्रपत्र - 30 पर बनाई गई पंजिका में कार्यालयाध्यक्ष/आहरण वितरण अधिकारी द्वारा की जाएगी।
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यदि किसी प्रकरण में, दी गयी समय सारिणी में विलंब हो तब प्रतिदिन के विलंब का कारण अभिलेखों में दर्शाया जायेगा कि विलंब के लिए कौन उत्तरदायी है ?
8. उ0प्र0 इम्प्लाईज
बेनीवोलेन्ट फण्ड :-
शासनादेश संख्या : बीमा-3291/दस-56/1984, दिनांक 29 नवम्बर, 1984 के द्वारा
यह फण्ड स्थापित किया गया है। बीमा के निवेश से प्राप्त लाभ की 90 प्रतिशत धनराशि
से यह फण्ड गठित किया गया है। फण्ड के अध्यक्ष- मुख्य सचिव होते हैं तथा
सदस्य-वित्त सचिव कार्मिक सचिव एवं कर्मचारी सेवा संघों के दो नामित व्यक्ति
होते हैं। इसके द्वारा सेवाकाल में बीमारी, दुर्घटना, शारीरिक/मानसिक रोग के कारण
अशक्त/अक्षम हुए कार्मिक, जो सेवानिवृत्त कर दिये जाते हैं उनकों/उनके परिवार को
आर्थिक सहायता दी जाती है। सामान्यत: सहायता राशि उपर्युक्त बीमा राशि की आधी,
किन्तु विशेष परिस्थितियों में उसके बराबर भी दी जाती है। इसके अतिरिक्त रू0 2000
कृत्रिम अंग लगाने के लिए दिए जा सकते हैं। हृदय रोग, कैंसर आदि गम्भीर बीमारियों
से पीड़ित कर्मचारी जो प्रदेश के बाहर इलाज कराने जाएंगे उनकों वहां रहने की अवधि
के लिए रू0 100 प्रतिदिन की दर से सहायता प्रदान की जा सकती है। अन्य अनेक
परिस्थितियों में भी उक्त समिति सहायता राशि दिये जाने का निर्णय कर सकती है।
उ0प्र0 इम्प्लाईज बेनीवोलेन्ट फण्ड से सहायता के लिए आवेदन पत्र अपने विभागाध्यक्ष/प्रशासनिक
विभाग को प्रस्तुत किया जाता है।
"उ0प्र0 इम्प्लाईज बेनीवोलेन्ट फण्ड" का गठन तथा उससे बीमारी एवं दुर्घटना के कारण
स्थायी रूप से मानसिक तथा शारीरिक रूप से अपंग सरकारी सेवकों को सहायता विषयक
शासनादेश संख्या : बीमा-1365/दस-92/157/89, दिनांक 11 अगस्त,
1992 के द्वारा यह
व्यवस्था दी गई कि बेनीवोलेन्ट फण्ड से आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु ऐसे सरकारी
सेवक भी अर्ह होंगे, जिन्होंने अपने जीवनकाल में इस निमित्त आवेदन-पत्र अग्रसारण
हेतु अपने कार्यालय में यथाविधि प्रस्तुत कर दिया हो, परन्तु प्रार्थना-पत्र पर
निर्णय होने के पूर्व ही वे दिवंगत हो गये हों। ऐसे प्रार्थना-पत्रों पर भी
नियमानुसार विचार किया जायेगा यदि फण्ड की प्रबंध समिति उसे अर्ह पाती है तथा
आर्थिक सहायता प्रदान करने की संस्तुति करती है तो देय धनराशि का भुगतान उन
व्यक्ति/व्यक्तियों को किया जायेगा जिन्हें ''उ0प्र0 राज्य कर्मचारी सामूहिक बीमा
एवं बचत योजना'' के सुसंगत
प्राविधानों के अंतर्गत कर्मचारी की सेवाकाल में मृत्यु हो जाने की दशा में बीमा
धनराशि का भुगतान अनुमन्य होता, परन्तु यदि भुगतान करने के
पूर्व सम्बन्धित सरकारी सेवक की विधवा दूसरा विवाह कर लेती है तो भुगतान के समय वह
सरकारी सेवक की विधवा नहीं रहेगी और भुगतान पाने की अधिकारी नहीं होगी।
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संलग्नक - 1
सामूहिक बीमा योजना के अंतर्गत 'बचत निधि' पर समय-समय पर
घोषित/लागू ब्याज दरें
(क) 1-3-90 के पूर्व तक हेतु पृथक-पृथक ब्याज की दरें
क्रम संख्या | अवधि | संगत ब्याज दर | |
कब से | कब तक | ||
राजपत्रित अधिकारियों के मामले में | |||
माह फरवरी 1985 तक जमा धनराशियों पर - | |||
01-03-1976 | 28-02-1987 | 6% वार्षिक चक्रवृद्धि | |
01-03-1987 | 28-02-1990 | 9% त्रैमासिक चक्रवृद्धि | |
माह मार्च 1985 से जमा होने वाली धनराशियों पर - | |||
01-03-1985 | 28-02-1987 | 11% त्रैमासिक चक्रवृद्धि | |
01-03-1987 | 28-02-1990 | 12% त्रैमासिक चक्रवृद्धि | |
अराजपत्रित कर्मचारियों/अधिकारियों के मामले में | |||
01-03-1976 | 28-02-1987 | 6% वार्षिक चक्रवृद्धि | |
01-03-1987 | 28-02-1990 | 9% त्रैमासिक चक्रवृद्धि |
क्रम सं0 | अवधि | संगत ब्याज दर | |
कब से | कब तक | ||
1 | 01-03-1990 | 28-02-2002 | 12% त्रैमासिक चक्रवृद्धि |
2 | 01-03-2002 | 31-12-2002 | 9.5% त्रैमासिक चक्रवृद्धि |
3 | 01-01-2003 | 31-12-2003 | 9% त्रैमासिक चक्रवृद्धि |
4 | 01-01-2004 | जारी | 8% त्रैमासिक चक्रवृद्धि |
लेखा शाखा अधिनियम : 13. सामूहिक बीमा योजना
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
3:23 PM
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