चमकेंगी परिषदीय विद्यालयों की पुस्तकें : एक हो सकती है इतिहास व भूगोल की किताबें
लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी व जूनियर विद्यालयों में बच्चों को दी जाने वाली नि:शुल्क पुस्तकें अब और अधिक चमकती नजर आएंगी। किताबों की क्वालिटी दुरुस्त करने के लिए इसके पन्नों को और अधिक मोटा किया जाएगा, जिससे वे देखने में अच्छी लगें। इसके अतिरिक्त भूगोल व इतिहास की दो अलग-अलग पुस्तकों को भी एक किया जा सकता है।
इस संबंध में पाठय़ पुस्तक कार्यालय की ओर से एक प्रस्ताव शासन से अनुमति के लिए भेजा गया है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश के परिषदीय, राजकीय, सहायता प्राप्त माध्यमिक व बेसिक विद्यालयों सहित मदरसा व समाज कल्याण विभाग के कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में नि:शुल्क किताबें दिए जाने की व्यवस्था है। इसके तहत प्रति वर्ष लगभग दो करोड़ बच्चों को नि:शुल्क पुस्तकें उपलब्ध करायी जाती हैं। किताबों के पन्नों की मोटाई 60 जीएसएम व कवर पेज 175 जीएसएम होती है। अन्दर के पन्नों की मोटाई कम होने की वजह से वे अधिक सुन्दर नहीं दिखते हैं। साथ ही कोई भी चित्र आदि पन्नों की दूसरी ओर नजर आते हैं। इसे देखते हुए अब इन पुस्तकों की गुणवत्ता और सुधारने के लिए अन्दर के पेज की मोटाई 60 जीएसएम की जगह 70 जीएसएम करने की तैयारी है, जिसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
उधर कक्षा कक्षा छह से आठ तक में गणित की तीन किताबों को दो किए जाने के बाद अब इतिहास व भूगोल की किताब को भी एक किए जाने पर मंथन शुरू हो चुका है। जानकारी के मुताबिक कक्षा छह से आठ तक में पृथ्वी और हमारा जीवन तथा हमारा इतिहास व नागरिक जीवन जैसी किताबें संचालित हैं। अब इसे एक में मर्ज किए जाने की तैयारी है। इस मामले में जल्द ही बैठक का आयोजन किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
इस संबंध में पाठय़ पुस्तक कार्यालय की ओर से एक प्रस्ताव शासन से अनुमति के लिए भेजा गया है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश के परिषदीय, राजकीय, सहायता प्राप्त माध्यमिक व बेसिक विद्यालयों सहित मदरसा व समाज कल्याण विभाग के कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में नि:शुल्क किताबें दिए जाने की व्यवस्था है। इसके तहत प्रति वर्ष लगभग दो करोड़ बच्चों को नि:शुल्क पुस्तकें उपलब्ध करायी जाती हैं। किताबों के पन्नों की मोटाई 60 जीएसएम व कवर पेज 175 जीएसएम होती है। अन्दर के पन्नों की मोटाई कम होने की वजह से वे अधिक सुन्दर नहीं दिखते हैं। साथ ही कोई भी चित्र आदि पन्नों की दूसरी ओर नजर आते हैं। इसे देखते हुए अब इन पुस्तकों की गुणवत्ता और सुधारने के लिए अन्दर के पेज की मोटाई 60 जीएसएम की जगह 70 जीएसएम करने की तैयारी है, जिसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
उधर कक्षा कक्षा छह से आठ तक में गणित की तीन किताबों को दो किए जाने के बाद अब इतिहास व भूगोल की किताब को भी एक किए जाने पर मंथन शुरू हो चुका है। जानकारी के मुताबिक कक्षा छह से आठ तक में पृथ्वी और हमारा जीवन तथा हमारा इतिहास व नागरिक जीवन जैसी किताबें संचालित हैं। अब इसे एक में मर्ज किए जाने की तैयारी है। इस मामले में जल्द ही बैठक का आयोजन किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
खबर साभार : राष्ट्रीय सहारा
परिषदीय स्कूलों में बंटेंगी अच्छे कागज की किताबें
लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग की मंशा परवान चढ़ी तो अगले शैक्षिक सत्र से परिषदीय स्कूलों के बच्चों के हाथों में बेहतर गुणवत्ता की किताबें पहुंचेंगी। स्कूली बच्चों को यह किताबें सरकार की ओर से मुफ्त दी जाती हैं। इन किताबों के पन्नों की मोटाई अधिक होगी। पन्ने अधिक चमकीले होंगे। किताबों की छपाई में ऑफसेट की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। नए सत्र में बेहतर गुणवत्ता की पाठ्य पुस्तकें छपवाने के लिए बेसिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। किताबों की गुणवत्ता सुधारने पर 27 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा। इस अतिरिक्त खर्च में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 19 करोड़ रुपये व राज्य की आठ करोड़ रुपये होगी। इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
खबर साभार : दैनिक जागरण
चमकेंगी परिषदीय विद्यालयों की पुस्तकें : एक हो सकती है इतिहास व भूगोल की किताबें
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
6:30 AM
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