पब्लिक स्कूलों में गरीब बच्चों की पढ़ाई का मामला : हाईकोर्ट ने आदेश का पालन न होने पर अपने ही दफ्तर से मांगा जवाब
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सूबे के लाखों गरीब बच्चों की मुफ्त व
अनिवार्य शिक्षा पब्लिक स्कूलों में दिलाए जाने के मामले में अपने दफ्तर
से ही स्पष्टीकरण मांगा है। दरअसल कोर्ट ने यह आदेश इस अहम मामले में पहले
के आदेश का पालना न होने पर दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 14 मई को
होगी।
न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और
न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश मुफ्त व
अनिवार्य शिक्षा (आरटीई) अधिनियम 2009 के तहत प्रदेश के लाखों गरीब बच्चों
को प्राइमरी शिक्षा पब्लिक स्कूलों में दिलाए जाने के इंतजाम करने की
गुजारिश वाली जनहित याचिका पर दिया। याचिका में आरोप है कि कानूनी प्रावधान
के बावजूद राजधानी समेत सूबे के तमाम बड़े पब्लिक स्कूल 25 फीसदी सीटों पर
गरीब बच्चों को दाखिला देने से इन्कार कर रहे हैं। वहीं इसके खिलाफ कोई
कार्रवाई नहीं हो रही है, जो देश के कानून का उल्लंघन है। इससे पहले 23
अप्रैल को राज्य सरकार ने कहा था कि याची की एक अन्य लंबित याचिका में भी
यह मुद्दा उठाया गया है। इस पर कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को एक साथ संबद्ध
कर सुनवाई के लिए पेश किए जाने का आदेश दिया था। लेकिन 8 मई को सुनवाई के
दौरान अदालत को बताया गया कि मौजूदा पीआईएल के साथ पहले वाली लंबित याचिका
संबद्ध नहीं हो सकी है। इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर अपने दफ्तर
(रजिस्ट्री) से इसका कारण बताने को कहा है कि अदालत के पहले के आदेश के
पालन में शिथिलता क्यों बरती गई।
पब्लिक स्कूलों में गरीब बच्चों की पढ़ाई का मामला : हाईकोर्ट ने आदेश का पालन न होने पर अपने ही दफ्तर से मांगा जवाब
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
8:16 AM
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