दूध के बाद गुलाब जामुन गुरुजी के लिए बना सिरदर्द, फरमान ने बढ़ाई शिक्षकों की परेशानी
⚫ दूध-फल से अटे तब तो शिक्षक देंगे गुलाब जामुन
देवरिया: मध्याह्न भोजन योजना के तहत आठवीं तक के स्कूली बच्चों को अब माह में एक दिन भोजन के साथ गुलाब जामुन भी दिया जाएगा। अब तक छात्रों को भोजन के साथ दूध व फल मिलता आ रहा है। फल तो बाजार में मिल जाता है, लेकिन दूध तो बड़ी मशक्कत के बाद भी बच्चों को नसीब नहीं हो पाता है। अब माह में एक बार गुलाब जामुन के आदेश से शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है। उन्हें एक तरफ बजट की चिंता तो दूसरे तरफ गर्मी के दिन में खराब मिठाई के चलते बच्चों के बीमार होने का अभी से भय सताने लगा है।
मुख्यमंत्री के आदेश पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह कहते हैं कि जैसी सरकार की योजना होगी वैसे ही शिक्षक की कार्य योजना होगी। हम केवल आदेश का पालन करने के लिए बैठे हैं। शिक्षकों को केवल पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। हम सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन कराने में ही परेशान रहते हैं तो बच्चों को कितना पढाएंगे। इस पर भी सरकार को सोचना चाहिए। प्राथमिक विद्यालय बगही के प्रधानाध्यापक परमात्मा सिंह कहते हैं कि हम अच्छे कार्य के लिए भी बदनाम हो जाते हैं। ठंड में तो गुलाब जामुन बच्चों को खिला देंगे, लेकिन गर्मी के समय में बाजार से स्कूल लाने में ही मिठाई खराब हो जाएगी। इसके बाद इसका बच्चों पर जो असर पड़ेगा उसका खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ेगा। चिंता हमें बजट की कम बच्चों के स्वास्थ्य की ज्यादा है।
प्राथमिक विद्यालय सरौरा के प्रधानाध्यापक नरेंद्र मोहन सिंह कहते हैं एक बच्चे को मीनू के अनुसार यदि भोजन दिया जाय तो एक बच्चे पर कम से कम 20 रुपये खर्च होता है। ऐसे में यदि गुलाब जामुन के लिए अतिरिक्त बजट नहीं आया तो मुख्यमंत्री का यह फरमान शिक्षकों के लिए सिरदर्द बन जाएगा। भागलपुर शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष आनंद प्रकाश यादव ने कहा कि अब तक बच्चों को दूध की व्यवस्था करना ही हमारे लिए सिरदर्द था। अब गुलाब जामुन से और समस्या उत्पन्न होगी। एबीआरसी व्यास यादव ने कहा मिठाई तो बच्चों को दिया जा सकता है, लेकिन शुद्धता की गारंटी कौन लेगा। अंतत: इसका खामियाजा शिक्षकों को ही भुगतना पड़ेगा।
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