शिक्षा विभाग में कई अफसरों के दामन पर हैं गहरे दाग, यहां अधिकारी नहीं चाहते प्रमोशन, परीक्षा सेंटर, ट्रांसफर, पोस्टिंग व नियुक्ति बनी कमाई का सबसे बड़ा जरिया

लखनऊ :  माध्यमिक शिक्षा विभाग के पूर्व निदेशक संजय मोहन का नाम टीईटी घोटाले में सामने आया। वे जेल तक गए। पूर्व निदेशक वासुदेव यादव पर उनके मातहत ने ही आय से अधिक संपत्ति जैसे संगीन आरोप लगाए और अब मौजूदा निदेशक अमरनाथ वर्मा पर अंगुलियां उठी हैं। लेकिन, यह पहली बार नहीं है जब विभाग के अधिकारियों को कटघरे में लगाकर खड़ा किया गया हो। ‘हिन्दुस्तान’ की पड़ताल में सामने आया कि इस विभाग में जिले से लेकर शासन तक तैनात अधिकार कटघरे में हैं। कई ऐसे दागदार चेहरे इस विभाग में हैं जिन पर सालों से जांचें चल रही हैं।



जिला विद्यालय निरीक्षक इलाहाबाद के पद पर तैनात रहे राजकुमार पिछले दिनों काफी चर्चा में रहे। इनके कारनामों के कारण विभाग और शासन तक को कोर्ट से फटकार सुननी पड़ी। राजकुमार पर भ्रष्टाचार, महिला शिक्षकों को अपने आवास पर बुलाने, अवैध वसूली, मातहतों से र्दुव्‍यवहार, मांग पूरी न करने पर कार्रवाई, यौन उत्पीड़न व शोषण जैसे गंभीर आरोप लगे थे। सितम्बर में विजिलेंस टीम ने मथुरा के डीआईओएस कार्यालय में छापेमारी कर विभाग के बड़े बाबू को दस हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। बहराइच के डीआईओएस रवींद्र सिंह पर रेप कर वीडियो क्लिप बनाने का आरोप लगाया गया। डीआईओएस जेपी मिश्र की हरदोई में तैनाती के दौरान लोकायुक्त जांच शुरू हुई। इनपर परीक्षा केन्द्रों के निर्धारण में धांधली के आरोप लगे थे। गाजीपुर में डीआईओएस पद पर तैनात रहे हृदयराम आजाद पर परीक्षा केंद्र निर्धारण में गड़बड़ी की पुष्टि के बाद कार्रवाई तक की जा चुकी है। डीआईओएस लखनऊ उमेश त्रिपाठी पर भी कई जांचें चल रही हैं।


शिक्षा विभाग प्रदेश सरकार के उन चुनिंदा विभाग में से हैं जहां अधिकारी प्रमोशन नहीं चाहते। पिछले दिन उप शिक्षा निदेशक पद पर प्रमोशन के लिए नाम मांगे गए। शिक्षा निदेशालय से कई बार मांगने पर कई अफसरों ने कान्फीडेंशियल रिपोर्ट (सीआर) या गोपनीय आख्या में अपने खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि (एडवर्स इंट्री) करवा ली ताकि प्रमोशन के लिए उनके नाम पर विचार ही न हो।



जिला विद्यालय निरीक्षक और बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर बैठे अफसरों को ट्रांसफर, पो¨स्टग और नियुक्ति कमाई की जरिया है। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉ.आरपी मिश्र कहते हैं कि डीआईओएस हर साल यूपी बोर्ड की परीक्षा के लिए स्कूलों को सेंटर बनाते हैं। इसमें, करोड़ों रुपए की कमाई होती है। इसके अलावा अल्पसंख्यक विद्यालयों और संबद्ध प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक भर्ती में लाखों रुपए की वसूली होती है।


लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमर नाथ वर्मा पर आय से अधिक सम्पत्ति के आरोप लगे। उनके खिलाफ प्रमुख सचिव/सचिव माध्यमिक शिक्षा विभाग कार्यालय स्तर पर जांच शुरू हुई। लेकिन हैरानी की बात है कि शिकायत की जांच अब निदेशक की ही देखरेख में होगी। प्रमुख सचिव/सचिव माध्यमिक शिक्षा विभाग कार्यालय से 26 दिसम्बर को निदेशक माध्यमिक शिक्षा को पूरे प्रकरण में नियमानुसार कार्रवाई को कहा गया है। इसको लेकर शिकायतकर्ता ने आपत्ति जताई है।


शिकायतकर्ता युवा विकास पार्टी इलाहाबाद के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव कुमार ने सवाल खड़ा किया है कि निदेशक खुद के खिलाफ कैसे जांच कर सकते हैं? शिकायतकर्ता का आरोप है कि इलाहाबाद के पॉश इलाके जॉर्ज टाउन में निदेशक ने 408 वर्ग गज जमीन खरीदी जिसकी कीमत करीब 350 लाख रुपए है। संजीव कुमार ने बताया कि पिछले दिनों इलाहाबाद विकास प्राधिकरण ने एक विज्ञापन जारी किया था। जिसमें, निदेशक द्वारा जमीन खरीदे जाने की बात सामने आई है।

हालांकि, निदेशक अमर नाथ वर्मा ने आरोप पूरी तरह से निराधार बताया था। उनका दावा था कि वर्ष 2006 में 16 लाख रुपए में जमीन खरीदी। जिसके लिए बकायदा लोन लिया था। ये सब उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है।

शिक्षा विभाग में कई अफसरों के दामन पर हैं गहरे दाग, यहां अधिकारी नहीं चाहते प्रमोशन, परीक्षा सेंटर, ट्रांसफर, पोस्टिंग व नियुक्ति बनी कमाई का सबसे बड़ा जरिया Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 7:24 AM Rating: 5

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