परिषद के प्रस्ताव के बिना ही कर दिया था समायोजन, सामान्य औपचारिकताओं तक को किया गया था दरकिनार

इलाहाबाद : शिक्षामित्रों के समायोजन में सपा सरकार ने सामान्य औपचारिकताओं तक की अनदेखी की है। सहायक अध्यापक पद पर समायोजन की सैद्धांतिक सहमति बनने के दो साल बाद प्रक्रिया शुरू हुई, फिर भी शासन ने बेसिक शिक्षा परिषद से इस संबंध में प्रस्ताव नहीं मांगा और एक के बाद एक निर्णय होते गए। हालांकि परिषद के अफसर हाईकोर्ट से लेकर शीर्ष कोर्ट तक में समायोजन के पक्ष में खड़े रहे लेकिन, सरकार ने प्रस्ताव न लेकर बड़ी चूक जरूर की है।




बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को राजकीय कर्मचारी का दर्जा हासिल नहीं है। भले ही इन शिक्षकों के संबंध में हर निर्णय पर अंतिम फैसला शासन लेता है, लेकिन इसकी शुरुआत बेसिक शिक्षा परिषद से होती आ रही है। वह चाहे शिक्षकों की नियुक्ति, तबादला या फिर कोई और निर्णय हो, उसका मार्गदर्शन परिषद से ही मांगा जाता है। यहां तक कि पिछले वर्षो में हुई नियुक्तियों के पहले हर भर्ती का प्रस्ताव परिषद से ही शासन को भेजा गया। और तो और विद्यालयों में प्रशिक्षु शिक्षकों को नियमित करने का आदेश भी परिषद के प्रस्ताव पर ही शासन करता आ रहा है। 




शिक्षामित्रों के मामले में शासन ने हड़बड़ी में परिषद को दरकिनार कर दिया। 11 जुलाई 2011 को तत्कालीन बसपा सरकार ने शिक्षामित्रों के दो वर्षीय प्रशिक्षण का फैसला लिया और समायोजन करने से पहले ही सरकार बदल गई। 2012 में सपा सरकार ने शिक्षामित्रों को समायोजित के लिए तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी, राज्यमंत्री योगेश प्रताप सिंह, मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा सचिव हीरालाल गुप्त व शिक्षा निदेशक बेसिक दिनेश बाबू शर्मा व परिषद सचिव संजय सिन्हा आदि कई बैठकों में शामिल जरूर हुए और उनमें तमाम निर्णय भी हुए, लेकिन शासन ने परिषद से प्रस्ताव नहीं मांगा। सपा सरकार ने 19 जून 2014 को पहले चरण व आठ अप्रैल 2015 को दूसरे चरण में एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर दिया। समायोजन पर सवाल उठे और प्रकरण हाईकोर्ट तक पहुंचा। लेकिन प्रस्ताव न होने पर चुप्पी साध ली गई। अब भी इस मामले में कोई अफसर बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन जिम्मेदार अफसर यह जरूर मानते हैं कि सरकार ने जल्दबाजी में चूक जरूर की है।


परिषद के प्रस्ताव के बिना ही कर दिया था समायोजन, सामान्य औपचारिकताओं तक को किया गया था दरकिनार Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 7:06 AM Rating: 5

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