ट्रैफिक पर भारी पड़ा शिक्षामित्रों का प्रदर्शन, अभी प्रदर्शन दो दिन और चलेगा, अगले दो दिनों में ताकत दिखाने के लिए और भीड़ जुटाने की कोशिश
लखनऊ : पुलिस-प्रशासन की ढिलाई और बदइंतजामी के कारण सोमवार को शिक्षामित्रों के प्रदर्शन के बीच आधे शहर को फिर जाम से जूझना पड़ा। प्रदर्शनकारियों की संख्या इतनी थी कि सैकड़ों शिक्षामित्र गाड़ियों के साथ सड़क किनारे खड़े थे। इन हालात में भी ट्रैफिक पुिलस ने कोई डायवर्जन नहीं किया। इस कारण अशोक मार्ग, निशातगंज, यूनिवर्सिटी रोड, हजरतगंज, डालीबाग, डालीगंज सहित कई इलाकों में सुबह से जाम लगा रहा।
जानकीपुरम निवासी प्रियेश राय रोज की तरह सुबह नौ बजे घर से हजरतगंज स्थित दफ्तर के लिए निकले। दफ्तर सुबह 9:30 बजे शुरू होता है। रोज वह 30 मिनट में घर पहुंच जाते हैं, लेकिन सोमवार को महानगर चौराहे के बाद उनकी बाइक की रफ्तार थम सी गई। स्थिति यह रही कि महानगर से निशातगंज फ्लाईओवर पार करने में ही दस बज गए। सड़क तो दूर गलियों में भी जाम था।
प्रियेश ने मौके की नजाकत को देखते हुए पेपर मिल कॉलोनी होते हुए समता मूलक चौराहे की ओर जाने की कोशिश की, लेकिन यहां भी ट्रैफिक जाम था। यहां करीब एक किलोमीटर दूरी तक सड़क के दोनों किनारों पर बसें खड़ी थी। इससे रास्ता आधा हो गया था। प्रियेश जैसे-तैसे सुबह 11 बजे दफ्तर पहुंच सके। उनकी तरह निशातगंज पुल से हजरतगंज और चारबाग की ओर आने-जाने वाले करीब पांच लाख से अधिक लोगों को जाम का सामना करना पड़ा।
■ सड़क नहीं गलियां भी जाम
सड़क पर जाम देखकर कई बाइक सवार गलियों में घुस गए, लेकिन वहां भी गाड़ियां ठस थीं। आलम यह था कि निशातगंज की गली नंबर एक से छह तक सुबह सुबह दस से शाम चार बजे तक जाम लगा रहा। इसके अलावा पेपर मिल कॉलोनी, वाल्मीकि पार्क, परिवर्तन चौक, गोखले मार्ग, जॉपलिंग रोड, सिकंदरबाग चौराहा, सहारागंज, डालीबाग, राणा प्रताप रोड, गोखले मार्ग और कई इलाकों में गाड़ियां रेंगती रहीं।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सीएम अभी लखनऊ में नहीं है। इस कारण सोमवार को भीड़ कम थी, लेकिन अगले दो दिन भीड़ अधिक होगी। इससे आशंका है कि शहर को अगले दो दिन भीषण जाम से जूझना पड़ सकता है।
आईजी लोक शिकायत विजय सिंह मीना ने बताया कि धारा 144 लागू होने पर भी इतने शिक्षा मित्र राजधानी कैसे आ गए, इसकी समीक्षा होगी। बताया कि राजधानी में 4 अडिशनल एसपी, दस डिप्टी एसपी, 19 इंस्पेक्टर और नौ कंपनी पीएसी की अतिरिक्त ड्यूटी लगाई गई है।
लखनऊ: स्थायी धरना स्थल न बना पाने की प्रशासनिक लापरवाही शहर के लोगों के लिए आफत बनती जा रही है। शहर के आउटर में स्थायी धरना स्थल बनाने की कवायद तीन साल से चल रही है, लेकिन जिला प्रशासन के अफसर अभी तक इसके लिए सही जगह और जमीन तक नहीं तलाश पाए हैं।
स्थायी धरना न होने से प्रदेशभर के कर्मचारी संगठनों के धरना-प्रदर्शन लक्ष्मण मेला मैदान में ही हो रहे हैं। शहर के बीच और ट्रैफिक कनेक्टिंग रोड से जुड़े लक्ष्मण मेला मैदान पर कोई भी बड़ा प्रदर्शन होने से आधा शहर जाम हो जाता है। इससे हर बार शहर की करीब 15 लाख आबादी को घंटों जाम झेलना पड़ता है।
शिक्षामित्रों के प्रस्तावित धरना-प्रदर्शन की जानकारी होने के बावजूद ट्रैफिक पुलिस ने डायवर्जन नहीं किया। इस कारण निशातगंज, अशोक मार्ग और हजरतगंज सहित कई इलाकों में सुबह से शाम तक जाम के हालात रहे।
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