डीएलएड कालेजों में तय फीस के अलावा मांगा जा रहा प्रवेश शुल्क, पाठ्यक्रम की किताबों के लिए एक साथ धन जमा करने का दबाव, जिम्मेदार अंकुश लगाने में असफल
इलाहाबाद : डीएलएड (पूर्व बीटीसी) 2017 में ऑनलाइन काउंसिलिंग का प्रयोग इसलिए लागू हुआ, ताकि प्रवेश देने में जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थानों का वर्चस्व टूटे। साथ ही सभी कालेजों को समान रूप से एक साथ अभ्यर्थियों का आवंटन किया जाए। कार्य पारदर्शी तरीके से हो, इससे अभ्यर्थियों को भाग-दौड़ करने से निजात मिलेगी। इस मंशा पर डीएलएड कालेज संचालक पानी फेरने पर उतारू हैं।
डीएलएड में प्रवेश के लिए पहले चरण में राज्य स्तर की चार लाख रैंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को कालेज आवंटित किए जा चुके हैं। सभी को 11 अक्टूबर तक अपने पसंदीदा कालेज में जाकर प्रवेश लेने का निर्देश है। ऑनलाइन काउंसिलिंग में सीट लॉक कराने के लिए दो हजार अभ्यर्थियों से जमा कराए गए है, यह धन फीस में कम करके जमा करने के निर्देश हैं। इसके बाद भी तमाम कालेज संचालक अभ्यर्थियों से पूरी फीस का डिमांड ड्राफ्ट मांग रहे हैं, उनका कहना है कि दो हजार रुपये बाद में वापस किया जाएगा। साथ ही प्रवेश शुल्क और किताब खरीदने के लिए अलग से धन जमा करने को कहा जा रहा है। इस तरह की मांग सिर्फ निजी कालेज ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि डायट व अनुदानित महाविद्यालय भी खुलेआम अलग-अलग मद में धन मांग रहे हैं। इससे अभ्यर्थी परेशान हैं।
इतना ही नहीं प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थियों से यह भी कहा जा रहा है कि यदि वह नियमित कालेज नहीं आना चाहते हैं तो उसके एवज में यह भुगतान करना होगा। पहले इस तरह की मांग सेमेस्टर के हिसाब से होती है, अब बदलकर माह के अनुरूप धन देने को कहा जा रहा है। जिन अभ्यर्थियों को कालेज आवंटित हो चुका है वह अब प्रवेश लेने में कतरा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन व शिक्षा विभाग के अफसर इस पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं। हालांकि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय इन शिकायतों पर सचेत है। कहा जा रहा है कि अभ्यर्थी कालेज का नाम बताकर शिकायत करेंगे तो जांच कराकर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। फीस के अलावा कोई धन लेने की सख्त मनाही है।
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