शिक्षकों की ग्रामीण क्षेत्रों में तैनाती होगी अनिवार्य, दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को केंद्र सरकार ने लिया गंभीरता से
नई दिल्ली : दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को सरकार ने गंभीरता से लिया है। अब जल्द ही वह इस संकट को खत्म करने की तैयारी में जुटी है। फिलहाल इससे निपटने के लिए सरकार ने एक बड़ी पहल के संकेत दिए हैं। इसके तहत शिक्षकों को अपने सेवाकाल के दौरान एक निश्चित समयावधि के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी सेवाएं देनी पड़ सकती हैं। हालांकि यह विषय राज्यों का होने के चलते सरकार ऐसे कोई निर्देश जारी करने से पहले राज्य सरकारों के साथ चर्चा करेगी। माना जा रहा है कि राज्यों के साथ इस मुद्दे पर जल्द ही मानव संसाधन विकास मंत्रलय बैठक कर सकता है।
मंत्रलय से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इस मामले में शिक्षकों की कमी कोई समस्या नहीं है, बल्कि असली समस्या उनकी सही तरीके से तैनाती की है। वैसे भी छात्र-शिक्षक का जो औसत होना चाहिए, वह करीब 30 छात्रों पर एक शिक्षक का है, जबकि शिक्षकों की संख्या इससे भी ज्यादा है। मौजूदा समय में देश में करीब एक लाख ऐसे स्कूल हैं, जहां केवल एक शिक्षक तैनात है। इस मामले में मूल समस्या यह है कि कोई भी शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में जाना ही नहीं चाहता। ऐसे में शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में जहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक पदस्थ हैं, वहां ग्रामीण क्षेत्रों के बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल भी है, जहां शिक्षक ही नहीं हैं।
सूत्रों की मानें तो ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी के इसी मसले को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर खुद भी अपने स्तर पर देख रहे हैं। उन्होंने मंत्रलय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस मसले पर कई दौर की चर्चा भी की है। इसके बाद तो इस समस्या से निपटने के लिए मंत्रलय मुस्तैदी से जुटा हुआ है। फिलहाल इसे लेकर एक प्लान पर काम चल रहा है। इसमें प्राइमरी स्कूलों के साथ-साथ केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती का भी प्लान होगा।
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:24 AM
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