बजट : आसान नहीं होगी प्री-नर्सरी से 12वीं तक की एक शिक्षा नीति, शिक्षा के कई स्तरों पर एकरूपता में पाठ्यक्रम और मूल्यांकन होगी बड़ी चुनौती
इलाहाबाद : केंद्रीय बजट में नर्सरी से लेकर 12वीं तक की शिक्षा के लिए एक नीति बनने का केंद्र सरकार का एलान लोहे के चने चबाने जैसा होगा। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद, आइसीएसइ, आइएससी तथा सभी राज्यों के अलग अलग माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्वरूप में विविधता के कारण शिक्षा में समानता लाने में काफी कठिनाई होगी। विशेषकर कम और उच्च स्तरीय पाठ्यक्रमों और संसाधनों में एकरूपता लाने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में शिक्षा को लेकर कई ऐलान किए हैं। जिसमें अब प्री-नर्सरी से 12 वीं तक के लिए एक शिक्षा नीति बनाने की बात शामिल है। महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर इंटर कालेज की प्रधानाचार्या सुष्मिता कानूनगो का कहना है कि माध्यमिक और बेसिक शिक्षा के स्तर पर एकरूपता में पाठ्यक्रम और मूल्यांकन बड़ी चुनौती होगी।
हर राज्य में शिक्षा का स्वरूप अलग है, माध्यमिक एवं बेसिक स्तर पर मात्र भाषा ही बड़ी चुनौती है। फिर सीबीएसई, आइसीएसइ, आइएससी जैसे केंद्रीकृत बोर्ड हैं। यहां पर प्री नर्सरी से लेकर 12वीं कक्षाओं में लंबी नीति की आवश्यकता होगी। स्कूलों के संसाधन और फीस के स्तर पर भी काफी विविधता है। यदि सही से प्रयास किए जाएंगे तो सरकार के इस फैसले से प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाई जा सकती है।
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