प्रस्तावित शिक्षा नीति में होगी कोरोना वायरस संकट की काट, हो सकते हैं बड़े बदलाव प्रस्तावित नई शिक्षा नीति में ऑनलाइन शिक्षा को लेकर बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।...

प्रस्तावित शिक्षा नीति में होगी कोरोना वायरस संकट की काट, हो सकते हैं बड़े बदलाव

प्रस्तावित नई शिक्षा नीति में ऑनलाइन शिक्षा को लेकर बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।...


कोरोना संकट ने देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था को जहां क्लास रूम से निकालकर ऑनलाइन शिक्षा ओर ले जाने पर मजबूर कर दिया है, वहीं प्रस्तावित नई शिक्षा नीति में भी अब इसको लेकर बड़े बदलाव देखने को मिल सकते है। फिलहाल इसे लेकर नीति का ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी भी सामने आयी है। कमेटी के दो वरिष्ठ सदस्यों ने कोरोना संकट के बाद प्रस्तावित नीति की नए सिरे से समीक्षा की जरूरत बताई है।


नीति की समीक्षा की तेज हुई मांग, सामने आए ड्रॉफ्ट कमेटी के  निष्कर्ष
कमेटी के वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर राम शंकर कुरील के मुताबिक कोरोना जैसी महामारी ने शिक्षा के सामने जो चुनौती खड़ी की है, निश्चित ही भविष्य में हमें ऐसी चुनौतियों से निपटने की पूरी तैयारी रखी होगी। खासकर, कोर्स को इस तरह से डिजाइन करना होगा, जिसमें हम छात्रों को ऐसी महामारी की स्थिति में बेहतर तरीके से पढ़ा सके। इसके लिए नीति की फिर से समीक्षा की जरूरत है। उनमें उन सारी चुनौतियों से निपटने का प्लान भी शामिल किया जाए।


इसके साथ ही ड्रॉफ्ट कमेटी के एक दूसरे वरिष्ठ सदस्य कृष्ण मोहन त्रिपाठी ने भी मौजूदा संकट को देखते हुए प्रस्तावित नीति की समीक्षा की जरूरत बताई। सरकार ने भी जिस तरह से ऑनलाइन शिक्षा को लेकर मुहिम शुरू की है, उसे दूर-दराज के गांवों तक पहुंचाने का भी पूरी योजना नए सिरे से बननी चाहिए। छात्रों को ऐसी महामारी से बचाने की भी एक नीति बननी चाहिए, जिसका मौजूदा नीति में कोई जिक्र नहीं है। 



संकटकाल के दौरान सामने आई चुनौतियां सूचीबद्ध, बदलाव संभव
मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक नीति में बदलाव को लेकर अभी कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन कोरोना संकट के चलते शिक्षा के सामने उपजी चुनौतियों के आंकलन को लेकर अलग-अलग स्तरों पर काम किया जा रहा है। इसके तहत संकट काल की प्रत्येक चुनौतियों को सूचीबद्ध किया जा रहा है। यूजीसी सहित दूसरे शैक्षणिक संस्थान इस काम में जुटे है। 


प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को लेकर अंतिम चरणों में है काम 
सूत्रों के मुताबिक नीति को वैसे भी अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। ऐसे में इसमें बदलाव किए जा सकते है। फिलहाल इसका फैसला सरकार के स्तर पर लिया जाएगा। प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को लेकर काम पिछले करीब तीन वर्षों से चल रहा था जो फिलहाल अंतिम चरण में पहुंच गया है। फरवरी 2020 में प्रधानमंत्री के सामने भी मंत्रालय ने प्रस्तावित नीति को लेकर एक प्रजेंटेशन दिया था। जिसके बाद उम्मीद थी, कि यह नीति मार्च के अंत में या अप्रैल के पहले हफ्ते में आ जाएगी।
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