स्कूल बंदी के दौरान व्हाट्स ऐप एवं दीक्षा पोर्टल से पढ़ाई की हुई थी कवावद, अपेक्षित परिणाम न मिले, ऑनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़ सके 10 फीसदी बच्चे

स्कूल बंदी के दौरान व्हाट्स ऐप एवं दीक्षा पोर्टल से पढ़ाई की हुई थी कवावद, अपेक्षित परिणाम न मिलेऑनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़ सके 10 फीसदी बच्चे

14 Jun 2020


■ दिक्कत
●  ग्रामीणांचलों के अभिभावकों के पास एंड्रायड फोन का आभाव,
● कैसे हो बच्चों की पढ़ाई, इसका हल अभी नहीं निकला


कोरोना संक्रमण काल में किए गए लॉक डाउन से अब तक सभी विद्यालय बंद चल रहे हैं। बंदी के दौरान छात्र-छात्राओं की पढ़ाई जारी रखने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा शासन के फरमान के बाद मिशन प्रेरणा के ई-पाठशाला के तहत व्हाटस ऐप, दीक्षा पोर्टल के माध्यम से परिषदीय स्कूलों के बच्चों की आनलाइन पढ़ाने की व्यवस्था की गई। लेकिन कई कारणों से आनलाइन कक्षाएं मात्र कागजों तक ही सीमित दिख रही हैं। इसके पीछे कारण है कि गरीब बच्चों के अभिभावकों के पास न ही एंड्रायड फोन हैं और न ही रिचार्ज कराने की क्षमता। ऐसे में विभाग की वर्चुअल कक्षाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं।


लॉक डाउन के दौरान बेसिक शिक्षा विभाग के सभी विद्यालयों के बच्चों के लिए वर्चुअल क्लासेज चलाई गईं। जिसमें मिशन प्रेरणा के ई-पाठशाला के तहत शिक्षण सामग्री दीक्षा पोर्टल पर भेजी गईं। जिसे जिले स्तर पर अधिकारियों ने शिक्षकों एवं बच्चों तक पहुंचा कर पढ़ाई कराने का मसौदा तो तैयार कर लिया गया लेकिन अधिकांश बच्चों के अभिभावकों के पास एंड्रायड फोन का आभाव या फिर ऐसे फोन्स को रिचार्ज कराने की व्यवस्था न होने से मकसद पूरा होता नहीं दिख रहा है। हालांकि जिले के कुछ नामी विद्यालयों द्वारा आनलाइन पढ़ाई बेहतर ढंग से कराई भी जा रही है।


बदहाली
विभाग द्वारा शिक्षण सामग्री के साथ दूरदर्शन एवं आकाशवाणी का भी सहारा लिया गया। लेकिन ग्रामीणांचलों में बिजली व्यवस्था दुरुस्त न होने के कारण इच्छुक बच्चे दूरदर्शन से भी शिक्षा नहीं ग्रहण पा रहे हैं। जब कक्षाएं चलनी होती हैं तो बच्चे बिजली आने का इंतजार करते रहते हैं।


बेबसी
आनलाइन पढ़ाई के लिए एक अदद एंड्रायड फोन की जरुरत होती है। जैसा कि परिषदीय विद्यालयों में अधिकांश बच्चे गरीब घर से आते हैं। ऐसे में उनके अभिभावकों का कहना है कि रोटी की व्यवस्था करें कि इतना महंगा फोन लेकर हर माह मोटी रकम रिचार्ज में खर्च करें। ऐसा कर पाना सम्भव नहीं हो पा रहा है।


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